अपनी माँ अपनी ही होती है -अपना भारत
----यादें ----
जब जब ठेस लगी है
मेरे-धूल में सना हूँ
लिपटा हूँ -उर से उसके
याद आई है माँ की
झाड़ फूंक कर उठाया था
मोती गिराए- गले- से
लगाया था जिसने !!
सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर
२५ .०४ .२०११
(photo with thanks from other source)दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं
अच्छी भावपूर्ण रचना |
ReplyDeleteआशा
माँ ..........माँ ही होती है , चाहे जन्म देने वाली माँ हो ..............या अपनी धरती माँ
ReplyDeleteभावपूर्ण रचना......
आदरणीय आशा जी माँ के प्रति बच्चे का समर्पण उसकी यादें बीते हुए पल आप को अच्छा लगा हर्ष हुआ काश सब माँ को अपने दिल से ऐसे ही लगाये रखें
ReplyDeleteधन्यवाद
सुरेन्द्र सिंह झंझट जी नमस्कार बहुत सुन्दर कहा आप ने इसलिए कहा गया हैं न पर अपनी माँ अपनी ही है अमित प्यार जो है करती -धन्यवाद आइये अपने सुझाव व् समर्थन के साथ
ReplyDeleteBest of luck for this blog.
ReplyDeleteप्रिय गोपाल मिश्र जी धन्यवाद अभिनन्दन है आप का यहाँ पर-आप कि शुभ कामना के लिए आभारी हूँ -आइये अपना मार्ग दर्शन सुझाव व् समर्थन भी दें
ReplyDelete-बहुत सुन्दर आप के विचार हैं -जोश भरा है आप ने- कि लोग कुछ लीक से हटकर कुछ करें कुछ बने -
सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर ५