BHRAMAR KA DARD AUR DARPAN

Monday, April 25, 2011

----यादें ----


अपनी   माँ  अपनी  ही  होती  है -अपना भारत   
----यादें ----
जब जब ठेस लगी है
मेरे-धूल में सना हूँ
लिपटा हूँ -उर से उसके
याद आई है माँ की


झाड़ फूंक कर उठाया था
मोती गिराए- गले- से
लगाया था जिसने !!

सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर
२५ .०४ .२०११
(photo with thanks from other source)

दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं

6 comments:

  1. अच्छी भावपूर्ण रचना |
    आशा

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  2. माँ ..........माँ ही होती है , चाहे जन्म देने वाली माँ हो ..............या अपनी धरती माँ
    भावपूर्ण रचना......

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  3. आदरणीय आशा जी माँ के प्रति बच्चे का समर्पण उसकी यादें बीते हुए पल आप को अच्छा लगा हर्ष हुआ काश सब माँ को अपने दिल से ऐसे ही लगाये रखें
    धन्यवाद

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  4. सुरेन्द्र सिंह झंझट जी नमस्कार बहुत सुन्दर कहा आप ने इसलिए कहा गया हैं न पर अपनी माँ अपनी ही है अमित प्यार जो है करती -धन्यवाद आइये अपने सुझाव व् समर्थन के साथ

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  5. प्रिय गोपाल मिश्र जी धन्यवाद अभिनन्दन है आप का यहाँ पर-आप कि शुभ कामना के लिए आभारी हूँ -आइये अपना मार्ग दर्शन सुझाव व् समर्थन भी दें
    -बहुत सुन्दर आप के विचार हैं -जोश भरा है आप ने- कि लोग कुछ लीक से हटकर कुछ करें कुछ बने -
    सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर ५

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दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं
अभिनन्दन आप का ,हिंदी बनाने का उपकरण ऊपर लगा हुआ है -आप की प्रतिक्रियाएं हमें ऊर्जा देती हैं -शुक्ल भ्रमर ५