बीबी पुर (जींद हरियाणा) की महिलाओं, अन्य प्रदेशों की बहादुर महिलाओं को नमन जिन्होंने घर परिवार का विरोध सह ज़माने से लड़ने को ठाना .भ्रूण हत्या महा पाप है और वो भी चुन चुन कर , पहचान कर कन्या भ्रूण को नष्ट करना ..हत्या नहीं तो और क्या है ? कोई बेहद मूर्ख ही इस तरह का घृणित कार्य और इसकी सराहना कर सकता है .. इस तरह के अनूठे काम को अंजाम दे खाप पंचायतों ने ये जता दिया की मन में इच्छा हो और हमारा उद्देश्य समाज की भलाई को हो तो हम सफल हो सकते हैं ..मुख्यमंत्री हूडा जी को भी धन्यवाद और आभार जिन्होंने एक करोड़ इस गाँव के विकास के लिए और इसकी याद के लिए पुरस्कार स्वरुप नवाजे ....
अब इस पर अमल हो ..और इस की जड़ अर्थात दहेज़ का पुरजोर विरोध हो तब ही बेटियों का स्वागत होगा इस लिए दहेज़ के लिए सरकार न केवल कानून बना के सोये बल्कि अपने गुप्तचर एजेंसिस शादियों में लगाए खुद देखे खुद दहेज़ पर आक्रमण करे लोग खुल के सामने नहीं आते उन्हें उसी घर परिवार समाज में रहना है तो तिल तिल कर मरने में डरते हैं ....
बेटियों की सुरक्षा पढाई लिखाई और उनकी शादियों दहेज़ तक की चिंता सरकार को करना होगा बेटियों को जनने वाली माँ को केवल ११०० मुहैया करा कर सरकार अपना पल्ला नहीं झाड सकती ....ये राशि दो दिन भी नहीं चलती ..तो दहेज़ की बात तो काल है यमराज है उनके लिए .....जागो सरकार जागो ..हमारे बीच से गए भाइयों , विधायकों, मंत्रियों जागो आप का घर परिवार जान जहान सब कुछ इस समाज का है यहीं रहेगा यहीं पलेगा ...कुछ तो करो इस जीवन में आप का नाम रह जाए यहाँ ......
<strong>कोख को बचाने को... भाग रही औरतें
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ये कैसा अत्याचार है
'कोख' पे प्रहार है
कोख को बचाने को
भाग रही औरतें
दानवों का राज या
पूतना का ठाठ है
कंस राज आ गया क्या ?
फूटे अपने भाग है ..
रो रही औरतें
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उत्तर , मध्य , बिहार से
'जींद' हरियाणा चलीं
दर्द से कराह रोयीं
आज धरती है हिली
भ्रूण हत्या 'क़त्ल' है
'इन्साफ' मांगें औरतें ....
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जाग जाओ औरतें हे !
गाँव क़स्बा है बहुत
'क्लेश' ना सहना बहन हे
मिल हरा दो तुम दनुज
कालिका चंडी बनीं
फुंफकारती अब औरतें ...
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कृष्ण , युधिष्ठिर अरे हे !
हम सभी हैं- ना -मरे ??
मौन रह बलि ना बनो रे !
शब्दों को अपने प्राण दो
बेटियों को जन जननि हे !
संसार को संवार दो
तब खिलें ये औरतें
कोख को बचाने जो
भाग रहीं औरतें
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सुरेन्द्र कुमार शुक्ल 'भ्रमर' ५
१४.७.२०१२
८-८.३८ मध्याह्न
कुल्लू यच पी
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दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं
बहुत सुन्दर...
ReplyDeleteसार्थक रचना....गहन अर्थ लिए हुए.....
समाज को ज़रूरत है ऐसे जागरूक लेखन की...
आभार
अनु
सलाम इंडिया
ReplyDeleteजाग रही है नारी...
ReplyDeleteबहुत ही अच्छी प्रस्तुति...
सटीक विचार |
ReplyDeleteबहुत आभार ||
आदरणीया अनु जी बहुत बहुत आभार आइये समाज में चेतना लाने, जागरूकता लाने के लिए जी तोड़ कोशिश करें ..नारियां आगे आ रही हैं और आप सब का भरपूर समर्थन मिल रहा है देख ख़ुशी होती है ..
ReplyDeleteभ्रमर ५
प्रिय प्रवीण दूबे जी आभार और स्वागत जय हिंद आइये साहित्य समाज का दर्पण हैं इस पर बल दें ..
ReplyDeleteभ्रमर ५
आदरणीय शास्त्री जी नारी के इस महत्वपूर्ण कदम को आप का भरपूर समर्थन मिला बड़ी ख़ुशी हुयी बहुत बहुत आभार
ReplyDeleteभ्रमर ५
हाँ अदा जी स्वागत है आप का और नारी समाज का जो अब बोलने लगीं अब जुर्म नहीं सहना है आइये कदम बढ़ाएं और आगे बढ़ जाएँ
ReplyDeleteभ्रमर ५
सार्थक और सटीक विषय उठाने के लिये साधुवाद !!
ReplyDeleteआदरणीय सुशील जी अभिवादन आप का समर्थन पा बड़ी ख़ुशी हुयी काश ऐसे ही ये मुद्दा आग के जैसे हर जगह फैले भ्रूण हत्या और दहेज़ का हर तरफ हर तरह से विरोध हो ...
ReplyDeleteउम्मीद है की हमारा प्रबुद्ध लेखक गन इसे प्राथमिकता देगा ...भ्रमर ५
सुंदर प्रस्तुति,,,,
ReplyDeleteइसी विषय लिखी मरी रचना पढे.....
-...: वजूद....
RECENT POST ...: आई देश में आंधियाँ....
सार्थक और सटीक ... आज की जरूरत हैं ऐसी रचनाएं जो जागृत कर सकेहं समाज को ... बहुत लाजवाब ...
ReplyDeleteआदरणीय धीरेन्द्र जी इस मुद्दे पर आप का समर्थन मिला रचना की प्रस्तुति ठीक रही लिखना सार्थक रहा
ReplyDeleteआभार
भ्रमर 5
आदरणीय दिगंबर जी अभिवादन और धन्यवाद ..सच में आज के हालत को उभरना और उसे भरपूर समर्थन देना उनकी आवाज को हर जगह पहुँचाना बहुत जरुरी है
ReplyDeleteआभार
भ्रमर 5