BHRAMAR KA DARD AUR DARPAN

Wednesday, September 7, 2011

तेरी विन्दिया जो दमकी (भ्रमर-गीत)

कहीं विकिलीक्स का खुलासा तो कहीं आतंकियों की दहशत त्रस्त है आज जनता , कब कौन बाजार से या कचहरी से लौट के आये या न आये भगवन ही जानता है …ऐसे में महबूब की याद उनसे दो पल मिल लेना मन को सुकून देता है आगे न जाने क्या हो जब तक जिओ जी भर जियो
थोडा हट के लीक से आज प्रस्तुति …..

इतनी सुन्दर है मेरी ऐ महबूब तू
देख परियां भी शरमा गयीं
देख के छत पे जुल्फों को विखराए यों
काली बदरी भी शरमा के रक्तिम हुयी
कान्ति चेहरे की रोशन फिजा जो किये
चाँद शरमा गया चांदनी गम हुयी
इतनी सुन्दर है मेरी ऐ महबूब तू
देख परियां भी शरमा गयीं
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तेज नैनों का देखे तो सूरज छिपा
लाल जोड़ा पहन सांझ दुल्हन बनी
तेरी विन्दिया जो दमकी तो तारे बुझे
ज्यों ही पलकें गिरी सारे टिम-टिम जले
इतनी सुन्दर है मेरी ऐ महबूब तू
देख परियां भी शरमा गयीं
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होंठ तेरे भरे जाम -पैमाना से
फूल शरमाये -भौंरे भी छुपते कहीं
तेरी मुस्कान -जलवे पे लाखों मरे
कौंधी जैसे गगन -कोई बिजली गिरी
इतनी सुन्दर है मेरी ऐ महबूब तू
देख परियां भी शरमा गयीं
—————————————-
खुबसूरत हसीना -मेनका -कामिनी
रेंगते साँप -चन्दन-असर ना कहीं
तू है अमृत -शहद- मधुर -है रागिनी
“भ्रमर” उलझा पड़ा -तेरे दिल में कहीं
इतनी सुन्दर है मेरी ऐ महबूब तू
देख परियां भी शरमा गयीं
———————————————-
तू है मधुशाला मै हूँ पियक्कड़ बड़ा
झूमता देखिये -गली-नुक्कड़ खड़ा
रूपसी -षोडशी -नाचती मोरनी
दीप तू है -पतंगा मै —कैसे बचूं ??
इतनी सुन्दर है मेरी ऐ महबूब तू
देख परियां भी शरमा गयीं
—————————————-
सुरेन्द्र कुमार शुक्ल “भ्रमर”५
जल पी बी ५.८.२०११ ६.३० पूर्वाह्न

दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं

6 comments:

  1. चहुँ-ओर हाय-हाय, हाथ-पैर खोय-खाय
    खून में लटपटाय, मरा या बेहोश है |

    नहीं काहू से डरत, बम-विस्फोट करत,
    बेकसूर ही मरत, करे जय-घोष है |

    टका-टका बिकाय के, ब्रेन-वाश कराय के,
    आका बरगलाय के, रहा उसे पोस है |

    पब्लिक पूरी पस्त है, सत्ता अस्त-व्यस्त है
    सरपरस्त मस्त है, मौत का आगोश है ||

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  2. प्रिय रविकर जी हार्दिक अभिवादन सुन्दर कथन आप के जनता करत हाय हाय ....सारा सिस्टम फेल हो रहा है ...इंटेलिजेंस और सब ....
    आभार इतनी सुन्दर रचना प्रस्तुत करने पर
    भ्रमर ५

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  3. आदरणीय डॉ मोनिका शर्मा जी आज के इस विस्फोटक स्थिति में कुछ मन बदलने के लिए ये रचना आप के मन को भायी सुन ख़ुशी हुयी
    आभार प्रोत्साहन हेतु
    भ्रमर ५

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  4. आपकी पोस्ट आज के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
    कृपया पधारें
    चर्चा मंच-631,चर्चाकार --- दिलबाग विर्क

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  5. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति

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दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं
अभिनन्दन आप का ,हिंदी बनाने का उपकरण ऊपर लगा हुआ है -आप की प्रतिक्रियाएं हमें ऊर्जा देती हैं -शुक्ल भ्रमर ५