BHRAMAR KA DARD AUR DARPAN

Saturday, May 15, 2021

आज चांद शरमाया कुछ है

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आज चांद शरमाया कुछ है
गोरी चंदा छुपी निहार
हिय हुलसे कब साजन झांकें
मन खटके दौड़े बस द्वार
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सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर 5, प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश, भारत


दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं

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दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं
अभिनन्दन आप का ,हिंदी बनाने का उपकरण ऊपर लगा हुआ है -आप की प्रतिक्रियाएं हमें ऊर्जा देती हैं -शुक्ल भ्रमर ५