ख्वाबों में वो रचे घरौंदे
कितने, मटियामेट हुए,
आंसू की कुछ थाह नहीं है,
स्नेह पुष्प नासूर बने,
गली गली जब एक सा रोना
हृदय सांत्वना देता है ,
रिसते रिश्ते घाव मौन है
शूली भी चढ़ लेता है
दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं
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दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं अभिनन्दन आप का ,हिंदी बनाने का उपकरण ऊपर लगा हुआ है -आप की प्रतिक्रियाएं हमें ऊर्जा देती हैं -शुक्ल भ्रमर ५
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दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं
अभिनन्दन आप का ,हिंदी बनाने का उपकरण ऊपर लगा हुआ है -आप की प्रतिक्रियाएं हमें ऊर्जा देती हैं -शुक्ल भ्रमर ५