तुम तो जिगरी
यार हो
==================
दोस्त बनकर
आये हो तो
मित्रवत तुम
दिल रहो
गर कभी मायूस
हूँ मैं
हाल तो पूछा
करो ..?
-------------------------------
पथ भटक जाऊं
अगर मैं
हो अहम या
कुछ गुरुर
डांटकर तुम
राह लाना
(मित्र है
क्या ........?)
याद रखना
तुम जरूर
------------------------------
तुम हो प्रतिभा
के धनी हे !
और ऊंचे तुम
चढ़ो
पर न सीढ़ी
नींव अपनी
सपने भी
-भूला करो
------------------------------
हे सखा या
सखी मेरे
प्रेम के
रिश्ते बने हैं
सम्पदा ये
महत् मेरी
भाव भक्ति
के सजे हैं
--------------------------------
जिसको मानो
तुम प्रभू सा
मान नित दिल
से करो
कृष्ण सा
निज भूल करके
मित्र की
पूजा करो
--------------------------------
जितने गुण हैं
मित्र में वो
ग्रहण कर
तू बाँट दे
बांटने से
और बढ़ता
परख ले पहचान
ले
---------------------------------
सुख भी मिलता
मन है खिलता
आत्म संयम
जागता है
भय हमारा
भागता है
ना अकेले
हम धरा पर
संग तुम
-परिवार हो
खिलखिला दो
हंस के कह दो
तुम तो जिगरी
यार हो
=================
सुरेन्द्र
कुमार शुक्ल भ्रमर ५
कुल्लू हिमाचल
भारत
१५.४.२०१६
८ पूर्वाह्न
-८.१४ पूर्वाह्न
दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं
जिगरी यार सुख -दुःख का सच्चा साथी होता है . सही राह दिखलाने वाला ...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर ..
आदरणीया कविता जी सच कहा जिगरी यार दिल के सन्निकट होता है और मित्र का अच्छा ही करता है चाहे जैसे
ReplyDeleteप्रोत्साहन के लिए आभार
भ्रमर ५