तेरे नैना मेरे नैना सबके नयना होते प्यारे !
आँखों का तारा जो बनते होते प्राण पियारे !!
(फोटो गूगल/ नेट से लिया गया साभार )
आँखों का तारा जो बनते होते प्राण पियारे !!
(फोटो गूगल/ नेट से लिया गया साभार )
दिल दिमाग नैनों पर हावी अद्भुत रंग दिखाते !
हम ‘उनके’ नयनों में उलझे लूट हमें ‘वो’ जाते !!
हम ‘उनके’ नयनों में उलझे लूट हमें ‘वो’ जाते !!
‘भंवर’ बड़ी है उन नयनों में नैन मेरे ‘खो’ जाते !
नैन मिला ‘ऊँगली’ पकडाए वे ही ‘जान’ बचाते !!
नैन मिला ‘ऊँगली’ पकडाए वे ही ‘जान’ बचाते !!
राह तके नैना इतने दिन ‘पी’ की आस लगाये !
‘पी’ के पी घर आये – मोरे नैना अति अकुलाये !!
‘पी’ के पी घर आये – मोरे नैना अति अकुलाये !!
कली से जब मै फूल बनी नैनन सपन सजाये !
चंचल शोख नयन पी खोये घूँघट जभी उठाये !!
चंचल शोख नयन पी खोये घूँघट जभी उठाये !!
नयन तुम्हारे बेदर्दी बेरहम बड़े हैं नैनों से टकराएँ !
बिन पूछे ही हाल जिया का ‘डग’ भरते खो जाएँ !!
बिन पूछे ही हाल जिया का ‘डग’ भरते खो जाएँ !!
नयन हमारे तभी हैं मिलते मन में जब सच्चाई !
‘कपटी’ नैना इत उत भटकें नयन मिले ना भाई !!
‘कपटी’ नैना इत उत भटकें नयन मिले ना भाई !!
नैनों में मदिरा है मेरे जी भर ‘जाम’ पिलाऊंगी !
मस्त रहो -मधुशाला वैरन नयनन उसे जलाऊंगी !!
मस्त रहो -मधुशाला वैरन नयनन उसे जलाऊंगी !!
प्यार की बदरी नैना मेरे तुम क्यों रूखे – सूखे !
‘नीर’ सम्हारो नयनन अपने बरसो ‘जी’ फिर पूजे !!
‘नीर’ सम्हारो नयनन अपने बरसो ‘जी’ फिर पूजे !!
तेरे नैना भटक गए हैं पाखी सा सागर में विचरें !
मन सागर दिलवर मेरा है उड़ आयेंगे मेरे नैन में !!
मन सागर दिलवर मेरा है उड़ आयेंगे मेरे नैन में !!
नयनों में सपना था साजन सुख संसार में खोऊंगी !
नहीं था मालुम घृणा क्रोध घृत डाले ‘हवन’ मै रोऊंगी !!
नहीं था मालुम घृणा क्रोध घृत डाले ‘हवन’ मै रोऊंगी !!
नयन के उनके मरा है पानी वेशर्मी है हया नहीं !
बेटी ‘उनकी’ बुरे नैन हैं अपनी बेटी ‘कोख’ नहीं !!
बेटी ‘उनकी’ बुरे नैन हैं अपनी बेटी ‘कोख’ नहीं !!
चाटुकार चमचे नयनन में ‘कुत्ते’ पूँछ हिलाते !
बड़े भयावह खूंखार हैं निज रक्त ‘नयन’ पी जाते !!
कवि व्यभिचारी चोर नयन तो एक जगह ना टिकते !
सुवरन को खोजे ही फिरते डूब नयन मन मोती चुगते !!
सुवरन को खोजे ही फिरते डूब नयन मन मोती चुगते !!
प्रेम का सागर नैना गागर आओ नयनों बस जाएँ !
हंस बने हम ‘मोती’ चुग लें नैनन डूबें उतरायें !!
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सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर ५
७.४५-८.३० पूर्वाह्न
कुल्लू यच पी ८.०९.2012
हंस बने हम ‘मोती’ चुग लें नैनन डूबें उतरायें !!
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सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर ५
७.४५-८.३० पूर्वाह्न
कुल्लू यच पी ८.०९.2012
दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं
तुमको देखा है जब से आँखों ने
ReplyDeleteऔर कोई चेहरा नजर नहीं आता
तुम हर नजर का ख़्वाब हो,
हर दिल की धडकन हो
कैसे तारीफ करता तुम्हारे हुस्न की
तुम्हारा चेहरा तो किताबी है,
कहाँ से आया इतना हुस्न....
जबाब में वे मुस्करा दिए और बोले-?
कुछ तो आपकी मोहब्बत का नूर है
कुछ कोशिश हमारी है,,,,,,
RECENT POST - मेरे सपनो का भारत
बहुत बड़े फलक की रचना है जो एक साथ कई रूपकों का निर्वाह करती हुई आगे बढती है .नदी सा प्रवाह लिए ,मुग्धा का समर्पण लिए ,हिय का दर्द लिए ,प्रीतमा की जिज्ञासा लिए .,नैनों की उतरी आब लिए .नैन इशारे समझे ऐसे चिरकुट साथ लिए ..ram ram bhai
ReplyDeleteमंगलवार, 11 सितम्बर 2012
देश की तो अवधारणा ही खत्म कर दी है इस सरकार ने
कल्पना के अथाह सागर को गागर मेँ समेटती रचना .....।
ReplyDeleteशुभकामनाएं ।