बेवफा सनम को दिल में बसाए उसकी हर चाहत को पूरा करने जब प्रेमी निकला तो उसके आसमान छूते ख्वाब को पूरा करने की चाहत में जिन्दगी में न जाने क्या क्या उसे करना पड़ा झेलना पड़ा और उसकी जिन्दगी अनचाहे पथ पर चल निकली एक तरफ प्रेम और एक तरफ जिन्दगी का भटकाव कशमकश …उहापोह …ये जिन्दगी भी न जाने क्यों परीक्षा लेती है ..जिन्दगी एक गजब की पहेली है …कभी तो ये अलबेली है और कभी बिन पानी के तडपती एक मछली …….
जीवित क्यों हूँ जब सब रोयें
प्रिय दिल की दूरी ही कम करने
भूला -भटका लाश ये ढोये
बढ़ा जा रहा अंधकार में
पथ को खोये
पग लहू-लुहान तो तब ही थे
जब पत्थर तोड़े
भूखे नंगे छिप पड़े जो सोये
दबते अब -
हाथ भी अपने खून से धोये
लौटूं कैसे पास तुम्हारे
राह नहीं
चाह नहीं -
धन मन ले -क्यों नैन भिगोये ?
इज्जत सारी खुशियाँ भर
महलों में सोये
सानिध्य मेरा-दिल क्यों चाहे अब ?
सौ टुकड़ों में टूटा दिल
मै रखा संजोये
काँच सरीखा दिल में तेरे
चुभ न जाए
आग धधकती थी तब-अब भी
नीर नैन से हमने खोये
एक दूजे को देखे – पर थे
सुख सपनों में सोये
गला घोंट लूं -अपना ही क्या ?
पग थम जाता
जीवित क्यों हूँ जब सब रोयें ??
पथरीले राहों झरने को देखे -
बढ़ता जाता आस संजोये !!
भूला -भटका लाश ये ढोये
बढ़ा जा रहा अंधकार में
पथ को खोये
पग लहू-लुहान तो तब ही थे
जब पत्थर तोड़े
भूखे नंगे छिप पड़े जो सोये
दबते अब -
हाथ भी अपने खून से धोये
लौटूं कैसे पास तुम्हारे
राह नहीं
चाह नहीं -
धन मन ले -क्यों नैन भिगोये ?
इज्जत सारी खुशियाँ भर
महलों में सोये
सानिध्य मेरा-दिल क्यों चाहे अब ?
सौ टुकड़ों में टूटा दिल
मै रखा संजोये
काँच सरीखा दिल में तेरे
चुभ न जाए
आग धधकती थी तब-अब भी
नीर नैन से हमने खोये
एक दूजे को देखे – पर थे
सुख सपनों में सोये
गला घोंट लूं -अपना ही क्या ?
पग थम जाता
जीवित क्यों हूँ जब सब रोयें ??
पथरीले राहों झरने को देखे -
बढ़ता जाता आस संजोये !!
सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर ५
जल पी बी २१.२.12
दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं
दर्द बढ़ता जा रहा है |
ReplyDeleteजिंदगी को खा रहा है |
पर भ्रमर भी क्या करे--
गा रहा, बस गा रहा है ||
दिनेश की टिप्पणी - आपका लिंक
ReplyDeletehttp://dineshkidillagi.blogspot.in/2012/02/links.html
प्रिय रविकर जी अभिवादन --सच कहा आप ने दर्द बढ़ता जा रहा है लेकिन कोई नहीं बता रहा है
ReplyDeleteआखिर इस दर्द की दवा क्या है गाने से थोडा दर्द हल्का तो होता ही है तो आइये यों ही गाते मुस्काते चलें
भ्रमर५
प्रिय सुषमा जी अभिवादन --रचना में सुन्दर भाव दिखे सुन हर्ष हुआ काश इस जिन्दगी की परेशानियों को लोग और न बाधाएं सरल हों ...
ReplyDeleteजय श्री राधे
भ्रमर५
गहन अभिव्यक्ति..... जीवन में उहापोह भरे हैं.......
ReplyDeleteइतना दर्द देने वाले की आस फिर भी हम क्यूं करते रहते हैं ?
ReplyDeleteआदरणीया डॉ मोनिका जी रचना के गहन भाव आप के मन को छू सके ख़ुशी हुयी सुन के
ReplyDeleteआभार आप का
भ्रमर ५
आदरणीया आशा जी -जय श्री राधे रचना के गहन भाव आप के मन को छू सके ख़ुशी हुयी सुन के -यही तो समझ नहीं आता प्रेम में दर्द और बेवफाई भी कैसे सहते जाते है सुन्दर कथन आप के --जिन्दगी एक पहेली ही तो है
ReplyDeleteआभार आप का
भ्रमर ५
बहुत बढ़िया भाव पुर्ण सराहनीय प्रस्तुति,सुंदर रचना के लिए बधाई .
ReplyDeleteसुरेन्द्र जी,बहुत दिनों से मेरे पोस्ट पर नही आरहे
ऐसी भी क्या नारजगी,...आइये स्वागत है....
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