इसी रथ से प्रभु श्री राम एक मैदान से कुल्लू के दशहरा स्थल में बने अपने मंदिर में चलते हैं राजा महेश्वर जी और अन्य पुजारी जज आदि पूजा अर्चना कर के इन्हें रथ में बिठाते हैं फिर गाँव गाँव से आये पालकी में सवार ३०० देवता गाजे बाजे के साथ इनसे मिल चल पड़ते हैं और मनमोहक नजारा भीड़ धूम ...अब तो १० दिन मेला ...जय प्रभु श्री राम ....
kullu ki darshan karane ke liye dhanyawad..mere blog per bhi aapka swagat hai
ReplyDeleteप्रिय डॉ आशुतोष मिश्र जी विजय दशमी की हार्दिक शुभ कामनाएं कैसा लगा मेला कहाँ रहे कल ? सौभाग्य से कुल्लू में प्रभु श्री राम के दर्शन हुए और मन में आया आप सब के बीच भी इस शुभ कार्य को बांटा जाए .--
ReplyDeleteइसमें शरीक होने और आप की शुभ कामनाओं के लिए
आभार आप का
भ्रमर ५
Bahut khoobsoorat post.aabhar
ReplyDeleteप्रिय श्री शुक्ल जी अभिवादन प्रभु श्री राम के दर्शन आप ने किये लिखना और वन्जारों सा हमारा घूमना सार्थक रहा प्रोत्साहन और स्नेह बनाये रखें
ReplyDeleteभ्रमर ५
बड़ी ही सुन्दर शब्द वाटिकाए है भाव पूर्ण प्रस्तुति भ्रमर जी यहाँ भी आपका पीछा नहीं छोड़ेंगे हम
ReplyDeleteप्रिय भाई मलकीत जी हार्दिक अभिवादन और अभिनन्दन भ्रमर का दर्द और दर्पण में ..बड़ी ख़ुशी हुयी आप को देख ...
ReplyDeleteआभार आप के स्नेह के लिए यहाँ तक आप पहुंचे वैसे तो हम जागरण जंक्शन में साथ साथ हैं ही लेकिन इस घर में आने से और हर्ष हुआ इसी तरह के और भी पांच घर हैं
आभार प्रोत्साहन हेतु
भ्रमर ५