BHRAMAR KA DARD AUR DARPAN

Wednesday, November 16, 2011

शराब और ड्रग्स ने उसे लील लिया


शराब और ड्रग्स ने उसे लील लिया
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(फोटो साभार गूगल नेट से लिया गया )
जहां सुमति तहां सम्पति नाना !
जहां कुमति तहां विपति निधाना !!
बेटे की बचपन की शैतानियों से माँ को बड़ा प्यार था लेकिन किशोरावस्था के बाद की शरारतें माँ के मन को बेचैन करतीं थी ! उस का देर से घर लौटना अँधेरे में कई बार गिर पड़ चोट खा कर आना माँ की चिंता का सबब बनता जा रहा था ! धीरे धीरे वे उसकी हरकतों पर गौर करने लगी ! लगा की बच्चा अब बड़ा हो गया है और इसे अब अपने भविष्य के विषय में सोचना चाहिए !
किसी तरह से डिग्री की पढाई पूरी हो गयी ! कान में कुछ उडी पड़ी खबर भी आने लगी की बदनाम दोस्तों के साथ घूमना फिरना इस का जारी है ! लोक लाज का भय और बाप से हमेशा इस के विषय में छुपाये रखना माँ को अंदर ही अन्दर खोखला किये जा रहा था !
अप्रत्यक्ष रूप से बेटे को प्यार से समझाती जब फरमाईश होती तो बाप से बहाने बना पैसे भी बेटे को मुहैया कराती रहती और जितना ही उन्होंने उस को अपने आँचल में बाँधने की कोशिश की मामला बिगड़ता गया ! धीरे धीरे बातें पिता के कान तक पहुँचने लगी माँ ने भी खरी खोटी सुनी ! चिंता अब बढ़ गयी थी !
बेटा अब तो रात में शराब पी कर आने लगा ! घर में बहस बाजी झगडा झंझट बाप के साथ उलझ जाना मार पीट की नौबत क्या हाथापायी सब हो जाती ! दिन गुजरते गए लोगों ने सलाह दी बाहर कहीं भेज यहाँ के बदनाम लड़कों से संपर्क ख़त्म करें ! लेकिन माँ बाप की कौन सुनता बेटा अब जवान जो हो गया था ! २५ साल बहुत होते हैं लम्बा चौड़ा ६ फुट से भी बड़ा …….पतला छरहरा देखने सुनने में सुन्दर शरीर …लेकिन शराब और अन्य गोलियों के नशे के सेवन से जीवन का रास्ता ही बदल गया था !
लोग जो सुझाते माँ दौड़ी जाती ! पंजाब से दवा मंगाती खाने पीने में, चाय में, देती की आदत ये नशे की छूटे लेकिन सब बेकार कुछ दिन उल्टियां फिर बंद….. फिर शुरू !
फिर कुछ लोगों ने कहा की इस के पल्ले कोई सुन्दर बहुरिया बाँध दी जाए तो शायद प्यार में ये सुधर जाए ! सब को ये राह भी पसंद आ गयी शादी भी हो गयी ……….सुन्दर बहू आ गयी सौम्य सुन्दर सुशील लेकिन अब तो कोहराम मचाने पर कोई सुनने वाला, सहने वाला ,लिपटने वाला ,रोने और गिडगिडाने वाला , और जो मिल गया था ,खूंखार और हो गया सारे उपचार बेकार …
साल भर बीत गया ! प्रभु ने सुना बच्चा होने की उम्मीद से सब खुश ..! शायद बच्चे से प्रेम हो जाए कुछ करिश्मा हो और सुधार हो …..लेकिन उस के कानों में जब बात पड़ी उसने गर्भपात ही करा दिया .. बीबी को घर में सोने तक नहीं देता नीचे विस्तर लगा बेचारी सो जाती ..पर साथ निभाने का प्यारा वादा वो रस्म रिवाज उसे तो सब याद था …..बीच बचाव में चूड़ियाँ तो पहले ही टूट जाती थी ……….गहने जो कुछ थे एक एक कर सब दद्दा ले गए ……….
शराब और कबाब में …सब जाता रहा सब मूक दर्शक बन सहते रहे अपना भाग्य बना लिए .
सब फिर बेचैन …हाथ पर हाथ धरे बैठे बूढ़े माँ बाप और कौन कितना लड़े ….
अभी १३ नवम्बर २०११ रविवार की रात फिर वही सिला वही चक्र देर से खा पी आना ……झगडा लड़ाई …..हंगामा और फिर एक कमरे में घुस बंद कर लेना ….सब को डराना की आज मै जो गोली खा कर आया हूँ …अब मुझको कोई नहीं बचा सकता …फिर खुद को कमरे में बंद कर लेना ….रोज रोज ऐसी बातें सुन लोगों का विश्वास उठ चला था कितना सच कितना गलत पता नहीं …. ब्लैकमेलिंग की आदत तो पड़ ही चुकी थी ……..
लेकिन आज उसकी चेतावनी झूठ नहीं थी ……..उसने खुद को फांसी के फंदे से करीब रात ११ बजे ही लटका लिया था .और शराब ने उसे लील लिया था ….
….रात से ही हंगामा रोना पीटना …माँ पर दौरे पड़ना ……..पत्नी का मिटटी का तेल पी जान देने की कोशिश …अस्पताल में भर्ती……..पुलिस मीडिया रिश्तेदार ……आज तक किसी को अब उस घर नींद नहीं भागे भागे फिर रहे …………….
अब ये खबर आई की पत्नी के पेट में फिर बच्चा है ……..अगर मिटटी के तेल का असर न हुआ तो शायद बच जाए ………..
माँ को सपना आया मै फिर लौट कर इस घर में आऊँगा ……….पागलपन ….सब आ गए दद्दा नहीं आये बस कहती जाती …
मेरे दद्दा भगवान् को प्यारे हो गए शराब ने नशे ने उसे लील लिया ………यही बार बार दुहराना शायद अब उसकी किस्मत …………..
ये रायबरेली उत्तर प्रदेश के निवासी एक श्रीवास्तव परिवार की सच्ची घटना है …बाप अब रिटायर है …माँ बूढी घर में है …..एक बहिन की शादी हो चुकी है ………
एक अभी भी कुंवारी है …..और भाई की आदतों से तंग आ गाँव में रह कर शिक्षा मित्र बन बच्चों को पढ़ाती है गाँव से ये सुन दौड़ आकर भाई से मिली यातनाएं भूल.. फूट फूट कर रो पड़ी ..बचपन के दिन…….. राखी की यादें……….. एक ही भाई ….सब तार तार हो गया … मेरे दद्दा ……मेरे दद्दा …….मेरे राहुल ..राहुल अभी नहीं आया ……
और मेरी आँखें भी भर आयीं …क्षमा करिए अब लिख नहीं सकता ….उस आत्मा को श्रद्धांजलि और सब को सहने की शक्ति दें भगवान्
भ्रमर ५
१४.११.२०११



दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं

जब अधर छुए तो कांपा तन मन -भ्रमर की माधुरी





दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं 

Friday, November 11, 2011

भावी पीढ़ी चलो बनायें



भावी पीढ़ी चलो बनायें
मात पिता सब आओ मिलकर
भावी पीढ़ी स्वर्ग बनायें
पहले तो आने ही ना दें
अल्ट्रा साऊंड रोज कराएं
बिना इजाजत आ ही धमकें
बदले में हम कुछ कर जाएँ
आँख खुले तो टी वी देखें
यूरोप चैनेल सौ सौ उनको
बड़े बड़े स्पीकर ला के
कान में लम्बे तार घुसा के
भेजा फ्राई हम कर जाएँ
कार का शीशा खोले उनको
बन्दर सा लटका दें
या स्टीयरिंग पकड़ा करके
बच्चों पर चढवा दें
रोज चाट पूरी हाट डाग
आईस्क्रीम खिलाने जाओ
उनके दांत के बड़े विटामिन
टाफी झोले भर ले आओ
भेजो जब स्कूल उन्हें तो
दस मोबाईल ले के दे दो
मोटर साइकिल कार हो सर्कस
अस्पताल हड्डी जुड़वाओ
रोज पिओ तुम सिगरेट दारु
महफ़िल घर में रोज सजाओ
“मित्र” बना के बेटा -बेटी
“सारी ” कला निपुण करवाओ
कहीं कैबरे डिस्को “बार” -कहीं बालाएं
खाना खाने को महामहिम हे !
बीबी -बच्चे वहीं ले जाएँ
भाग-भाग वे साइबर कैफे
इन्टरनेट ना दौड़े जाएँ
लैपटाप ला ला के दे दो
बंद किये घर “रात” बनायें
तुम तो कुछ “कपडे” पहने हो
उनको बोलो “मुक्त” रहें
मूल अधिकार का हनन नहीं हो
गूंगे सा तुम देख हंसो
आई ऐ यस यम बी ऐ उनको
लूट-पाट के चलो बनाओ
काले धन चोरी की बातें
राज नीति जी भर सिखलाओ
अगर जरुरत तुम्हे बेंच दें
भवन बेंच दें खेत बेंच दें
पैसे कैसे कहाँ कमायें
अपनी आँखों देख मरो
कहाँ जा रहा देश हमारा
ड्रग से कैसे बच्चे ऐन्ठें
नशा किये “वो” झूम नाचती
होटल में बेटी है पकड़ी
कहीं जेल में बेटी बैठी
बेटा गुंडा बना हुआ
कहीं द्रौपदी चीख भागती
दुनिया “मेला ” सभी बिका !
क्या सफ़ेद है क्या काला है
रावण राम में अंतर क्या !
क्या गुलाब है क्या काँटा है
बेचारों को नहीं पता !
पानी की बूंदों की खातिर
घिस -घिस विस्तर पे तुम जी लो !
भावी पीढ़ी अरे बनाया
नरक भोग कुढ़ -कुढ़ कर मर लो !!
प्रिय मित्रों आओ अपने बच्चों को बहुत प्यार दे दें दुलार दे दें उनको हर शिक्षा दीक्षा का संसाधन दे दें लेकिन हमेशा उन्हें निगरानी में अपने संरक्षण में रखें वे क्या कर रहे हैं नहीं कर रहे हैं वहां आते जाते रहें देखते रहें नेट और मोबाईल पर भी सारी सुविधा है और बच्चे क्या देख रहे हैं क्या पढ़ रहे हैं पल पल का हिसाब दर्ज रहता है आप उस को देखें कुछ गलत पायें तो निःसंदेह उन्हें समझाएं प्यार से ..हमेशा उन को लगे की आप उनके माँ पिता हैं उनके भविष्य को समझने वाले बनाने वाले हैं .
कृपया इसे एक व्यंग्य के रूप में ही लें -इस तरह की रचना के लिए क्षमा -
शुक्ल भ्रमर ५
यच पी ८.११.२०११
७-७.४० पूर्वाहन




दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं