BHRAMAR KA DARD AUR DARPAN

Saturday, May 7, 2022

गुरुदेव रवीन्द्र नाथ टैगोर

गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर जी का जन्‍म 7 मई सन् 1861 को कोलकाता में हुआ था। रवींद्रनाथ टैगोर एक कवि, उपन्‍यासकार, नाटककार, चित्रकार, और दार्शनिक थे। 
 

 बचपन में उन्‍हें प्‍यार से 'रबी' कहकर बुलाया जाता था। आठ वर्ष की उम्र में उन्‍होंने अपनी पहली कविता लिखी, सोलह साल की उम्र में उन्‍होंने कहानियां और नाटक भी लिखना प्रारंभ कर दिया था। 
उन्‍होंने एक हजार कविताएं, आठ उपन्‍यास, आठ कहानी संग्रह और विभिन्‍न विषयों पर अनेक लेख लिखे। इतना ही नहीं रवींद्रनाथ टैगोर संगीतप्रेमी थे और उन्‍होंने अपने जीवन में 2000 से अधिक गीतों की रचना की।
गुरुदेव के लिखे दो गीत आज भारत और बांग्‍लादेश के राष्‍ट्रगान हैं। एक है जन गण मन अधिनायक और दूसरा आमार सोनार बांग्ला। 
गीतांजलि के प्रकाशित होने के एक साल बाद सन् 1913 में रवींद्रनाथ टैगोर को साहित्य के लिए नोबल पुरस्‍कार से सम्‍मानित किया गया। 
वे एशिया के प्रथम नोबल पुरस्कार से सम्मानित व्यक्ति हैं।
उनका विवाह तेरह साल की मृणालिनी देवी से हुआ था जिनकी मृत्यु 23 नवंबर 1902 को ही हो गई थी।

 गुरुदेव के पांच संताने थी ,रथींद्रनाथ टैगोर, शमींद्रनाथ टैगोर, मधुरिलता देवी, मीरा देवी और रेणुका देवी लेकिन उनमें से 2 की मृत्यु बाल्यावस्था में ही हो गई थी।
रवींद्रनाथ टैगोर के 13 भाई-बहन थे और वह 13 भाई-बहनों में चौथा जीवित पुत्र थे।
1882 में दो पद्य नाटक प्रकाशित किए, एक का नाम “रुद्र चक्र” था और दूसरा एक “संध्या संगीत” कविताओं का संग्रह था।
20 दिसंबर 1915 को, कलकत्ता विश्वविद्यालय ने रवींद्रनाथ टैगोर जी को साहित्य के लिए डॉक्टर की उपाधि से सम्मानित किया था।
23 दिसंबर 1921 को, उन्होंने विश्व भारती विश्वविद्यालय , पेड़ों के नीचे पढ़ाना, शांति निकेतन की स्थापना की थी।
गुरुदेव का देहावसान 7 अगस्त 1941 को कलकत्ता में हो गया था।

सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर 5
प्रतापगढ़ , उत्तर प्रदेश, भारत।

दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं

No comments:

Post a Comment

दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं
अभिनन्दन आप का ,हिंदी बनाने का उपकरण ऊपर लगा हुआ है -आप की प्रतिक्रियाएं हमें ऊर्जा देती हैं -शुक्ल भ्रमर ५