जी, कितने आए कितने चले गए , मोह माया है सब ,
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ये तेरा है ये मेरा है
लड़ते रहे बनी ना बात,
खून जिस्म में कमा के लाते
फिर भी सुनते सौ सौ बात
मुंह फेरे सब अपनी गाते
अपनी ढपली अपना राग,
बूढ़ा पेड़ नए तरुवर से
उलझ कहां टिकता दमदार,
पानी खाद तो मिलना दूभर
बने खोखला गिरती डाल,
कुछ है हरा फूल फल गिरते
आंधी कभी, कभी वज्रपात,
पेड़ जीव या मानव तन हो,
मिलती जुलती एक कहानी,
आज खंडहर रोता कहता
एक थे राजा एक थी रानी,
जब तक दम है आओ खेलें
बोलें डोलें हंस मुस्का लें,
वे अबोध हैं क्रोध छोड़ दो
माफ करो कुछ बनेगी बात,
आग लगी है हवन सुगंधित
चाहे जितना कर पवित्र ले,
घी डालो या चंदन खुशबू,
पानी डालो या फिर पीटो,
एक दिन हो जाना है राख,
यही तो है सब की औकात.........
सुरेंद्र कुमार शुक्ल भ्रमर5
प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश।
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज गुरुवार 26 अगस्त 2021 शाम 3.00 बजे साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद आप का आदरणीया रचना को आप ने सांध्य दैनिक मुखरित मौन में साझा किया हार्दिक खुशी मिली, आभार , राधे राधे।
Deleteबहुत बहुत आभार आप का आदरणीया रचना आप के मन को छू सकी और आप ने इसे अंकुरित कोंपलों की हथेली में खिलने लगे हैं सुर्ख फूल,के लिए चुना खुशी हुई।
ReplyDeleteबहुत बढ़िया सृजन।
ReplyDeleteसादर
हार्दिक आभार आपका आदरणीया, राधे राधे।
Deleteबहुत सटीक एवं सही औकात दिखाई है आपने...
ReplyDeleteबहि ही सारगर्भित सृजन।
बहुत बहुत आभार आपका आदरणीया, समर्थन और स्नेह बना रहे
Deleteसार्थक चिंतनपूर्ण रचना ।
ReplyDeleteहार्दिक आभार आप का आदरणीया प्रोत्साहन बनाए रखें। राधे राधे।
Deleteशाश्वत भावों का गहन सृजन ।
ReplyDeleteआध्यात्मिक भाव रचना।
सुंदर।
बहुत बहुत धन्यवाद आप का अपना प्रोत्साहन बनाए रखें , राधे राधे।
Deleteबहुत बहुत धन्यवाद आप का आदरणीया, प्रोत्साहन बना रहे। राधे राधे।
ReplyDeleteअति सुन्दर सृजन । कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ ।
ReplyDeleteसुंदर प्रस्तुति।
ReplyDeletebahut hi sundar aur staya prastuti hai is rachana mein
ReplyDeleteabhar!