बहना मेरी दूर पड़ा मै दिल के तू है पास
अभी बोल देगी तू "भैया" सदा लगी है आस
मुन्नी -गुडिया प्यारी मेरी तू है मेरा खिलौना
मै मुन्ना-पप्पू-बबलू हूँ बिन तेरे मेरा क्या होना ! -
तू ही मेरी सखी सहेली कितना खेल खिलाया कभी -कभी मेरी नाक पकड़ के तूने बहुत चिढाया !
थाली में तू अपना हिस्सा चोरी से था डाल खिलाया
जान से प्यारी मेरी बहना भैया का गहना है बहना !!
जब एकाकी मै होता हूँ सजी थाल तेरी वो दिखती
चन्दन जभी लगाती थी तू पूजा- मेरी आरती- करती !
रक्षा -बंधन और मिठाई दस-दस पकवान पकाती थी
बाँध दिया बंधन से तूने ये अटूट रक्षा जो करता
मेरी बहना सदा निडर हो ख़ुशी रहे दिल हर पल कहता
जहाँ रहे तू जिस बगिया में हरी-भरी हो फूल खिले हों
ऐसे ही ये प्यारा बंधन सब मन में हो -गले लगे हों
तू गंगा गोदावरी सीता तू पवित्र मेरी पावन गीता
तेरी राखी आई पाया चूम इसे मै गले लगाया
कितने दृश्य उभर आये रे आँख बंद कर हूँ मै बैठा
जैसे तू है बांधे राखी मन -सपने-उड़ता मै "पाखी"
तेरी रक्षा का प्रण बहना रग-रग में राखी दौडाई
और नहीं लिख पाऊँ बहना आँख छलक मेरी भर आई
सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर ५
प्रतापगढ़ , उत्तर प्रदेश, भारत
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज रविवार 22 अगस्त 2021 शाम 3.00 बजे साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteहार्दिक आभार आप का आदरणीया, भाई बहन के पावन पर्व रक्षाबंधन पर आप ने इस रचना को मान दिया बहुत खुशी हुई, आप सब को ढेरों शुभकामनाएं और बधाई। राधे राधे
Deleteबहुत ही सुन्दर भावपूर्ण सृजन
ReplyDeleteवाह!!!
हार्दिक आभार आप का आदरणीया , रचना में निहित प्रेम को मान मिला खुशी हुई, राधे राधे
Deleteबहुत खूब
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका आदरणीया, ढेर सारी हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई आप सब को भी।
ReplyDeleteसुंदर भावों का सृजन।
ReplyDeleteहार्दिक आभार आप का आदरणीया , अपना प्रोत्साहन बनाए रखें, राधे राधे।
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