तिरछे नैनों से संधान मत कर प्रिये
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तिरछे नैनों से संधान मत कर प्रिये
छलनी दिल में भी मूरत दिखेगी तेरी
ढूंढता पूजता रात दिन मै जिसे
प्यासा चातक निगाहें तो बरसें तेरी
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मोम की तू बनी लेे के कोमल हिया
मत जला मुझको री तू पिघल जाएगी
प्रेम दर्पण में तेरे है अटका जिया
कंकरी मार सौ - सौ तू बन जाएगी
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फूल कोमल सुकोमल मेरी जान री
कांटा ही मै सही प्रहरी पहचान हूं
खुश्बू बिखराए मादक नशेमन अरी
करता गुंजन ' भ्रमर ' मै तेरी शान हूं
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चांद है तू चकोरा मै इक टक लखूं
सांस कमतर हुई कल चली जाएगी
प्रेम रस दे भिगो बदली - बिजली सहूं
मेनका इन्द्र धनु कितना तरसाएगी
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सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर5
उत्तर प्रदेश , भारत
जी नमस्ते ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार ( 01 -03 -2021 ) को 'मौसम ने ली है अँगड़ाई' (चर्चा अंक-3992) पर भी होगी।आप भी सादर आमंत्रित है।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
#रवीन्द्र_सिंह_यादव
बहुत बहुत धन्यवाद रवीन्द्र भाई, रचना को आपने मान दिया सुखद लगा, राधे राधे
ReplyDeleteप्रेम रस में डूबी सुंदर पंक्तियां ..अनोखी रचना..मेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है ..
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर सृजन मन मुग्ध हो गया।
ReplyDeleteसादर
प्रेमपगी रचना । बहुत खूब
ReplyDeleteप्रणाम भ्रमर जी, बहुत सुंदर कविता ...वाह...कि
ReplyDeleteचांद है तू चकोरा मै इक टक लखूं
सांस कमतर हुई कल चली जाएगी..क्या खूब ही कहा..
बहुत सुन्दर
ReplyDeleteआभार जिज्ञासा जी , रचना को आप ने सराहा खुशी मिली
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद संगीता जी ये प्रेमासिक्त कविता आप के मन को छू सकी हर्ष हुआ
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति ।
ReplyDeleteनमस्ते, सदा आप का मंगल हो अलकनंदा जी, रचना की कुछ पंक्तियां आप के मनको छू सकी दिल खुश हुआ
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका मित्र ओंकार जी रचना को सराहने हेतु आते रहिए
ReplyDeleteआभार आप का मीना जी प्रोत्साहन कृपया बनाए रखें
ReplyDeleteआपके ब्लॉग पर आ कर सुखद अनुभूति हुई। आपके इस ब्लॉग को मैं follow करना शुरू कर रही हूं। मेरे सभी ब्लॉगस् पर आपका सदैव स्वागत है।
ReplyDeleteसादर,
डॉ. वर्षा सिंह
कृपया मेरे ब्लॉग
ReplyDeleteविचार वर्षा
पर भी पधारें।
सादर,
डॉ. वर्षा सिंह
बहुत सुंदर रचना।
ReplyDeleteचांद है तू चकोरा मै इक टक लखूं
ReplyDeleteसांस कमतर हुई कल चली जाएगी
प्रेम रस दे भिगो बदली - बिजली सहूं
मेनका इन्द्र धनु कितना तरसाएगी
बेहद सुंदर अभिव्यक्ति,सादर नमन
सुंदर पंक्तियां
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार वर्षा जी , स्वागत है आप का इस ब्लॉग पर, आप के ब्लॉग विचार वर्षा का मै भी अनुशरण कर रहा हूँ , राधे राधे
ReplyDeleteहार्दिक आभार ज्योति जी रचना को मान देने के लिए , राधे राधे
ReplyDeleteहार्दिक आभार कामिनी जी , रचना की ये कुछ पंक्तियाँ आप के मन को छू सकी ख़ुशी हुयी
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद संजय भाई रचना को मान दिया आप ने
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