मेरे घर के बगल कौन है ?
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मेरे घर के बगल कौन है ?
सन्त महाजन या आतंकी
मंथन आओ कर लें प्यारे
भूख है हम को कितनी धन की ,,,
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प्रेम क्रोध या घृणा ईर्ष्या
जांचो परखो क्या कुछ
देते
मारो-काटो ले लो बदला ??
जीवन क्षण भंगुर कर देते ..
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मानव योनि है दुष्कर पाए
संस्कार
भारत भू आये
अच्छा
-अच्छाई आ चुन लें
घर आँगन से नीव ये रख लें ..
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मात-पिता सन्तति मन झांकें
सखा भाव रख मन को आंकें
कौन कोयला- हीरा परखें
बनें जौहरी सदा तराशें
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अन्धकार
जब बंद द्वार
हों
निरखें
आओ भरें उजाला
नफरत घृणा अकेलेपन को
दूर करें रख भाई चारा ..
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बारूदों
विस्फोट में जल-जल
क्यों मरते घुट जलते तिल-तिल
ज्वालाओं से जल सब हारा
खो अपना जग कौन है जीता ...
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सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर ५
कुल्लू
हिमाचल भारत
२५-जनवरी -२०१६
दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं
सुंदर भाव
ReplyDeleteआदरणीया डॉ मोनिका जी हार्दिक आभार प्रोत्साहन हेतु
ReplyDeleteभ्रमर ५
प्रशंसनीय
ReplyDelete
ReplyDeleteराकेश भाई रचना को आप ने सराहा मन खुश हुआ आभार भ्रमर ५