कुंठित मन===============वंजर धरती को जोते हमडाल उर्वरक हरा बनायेसालों साल वृथा मिटटी जोआज हँसे लहके लहराए !कुंठित मन को कुंठा से भरदुखी रहें क्यों हम अलसायेकुंठित बीज हरी धरती मेंकुंठित फसल भी ना ला पायें !नाश करें खुद के संग धरतीवंजर वृथा ह्रदय अकुलायेजोश उर्जा क्षीण हो निशि दिनख़ुशी हंसी मन को खा जाए !सहज सरल भी चुभें तीर साबिन बात बतंगड़ बनती जाएघुन ज्यों अंतर करे खोखलादिखता कुछ होता कुछ जाए !हरे वृक्ष बन ठूंठ सडे कुछक्या जीवन , क्यों जीवन पाए ?आओ तम से उबरें, भरें उजास -ऊर्जा ! कूदें उछलें नाचें गायें !हो आनंदित मन जब अपनाहो साकार तभी सब सपनासाधें लक्ष्य एकलव्य बनअर्जुन भीष्म सा करें चित्त हम !कुरुक्षेत्र हो या लंका रणलिए सीख मन मन्त्र बढ़ें हम !जित जाएँ उत राह बनायेंखुद तो चलें सभी बढ़ पायेंमिले हाथ से हाथ कदम तोहो जय घोष विजयश्री आये !----------------------------------सुरेन्द्र कुमार शुक्ल ' भ्रमर ५'प्रतापगढ़ उ प्र(कुल्लू हिमाचल )रचना -बरेली -मुरादाबाद मार्ग३.-३. ४ ५ लौह पथ गामिनी में
२७ .० ७ -२ ० १ ३
Friday, August 23, 2013
कुंठित मन
Location:
Pratapgarh City, Uttar Pradesh, India
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बहुत सुन्दर कविता .
ReplyDeleteहो आनंदित मन जब अपना
ReplyDeleteहो साकार तभी सब सपना
साधें लक्ष्य एकलव्य बन
अर्जुन भीष्म सा करें चित्त हम !
मन की जीत जरुरी है बाकी राहें आसां हो ही जाती हैं
सुन्दर, आभार !
प्रिय राजीव जी आप ने इस ब्लॉग का समर्थन किया हार्दिक ख़ुशी हुयी अभिनंदन आप का ...रचना को सराहा भी सोने पर सुहागा आभार
ReplyDeleteभ्रमर ५
प्रिय शिवनाथ जी सच कहा आप ने
ReplyDeleteमन की जीत जरुरी है बाकी राहें आसां हो ही जाती हैं
प्रोत्साहन हेतु आभार
भ्रमर ५
सुंदर सृजन लाजबाब प्रस्तुति,,,बधाई,सुरेन्द्र जी,,,
ReplyDeleteRECENT POST : सुलझाया नही जाता.
बहुत बढ़िया -
ReplyDeleteआभार आदरणीय-
नमस्कार आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (25-08-2013) के चर्चा मंच -1348 पर लिंक की गई है कृपया पधारें. सूचनार्थ
ReplyDeleteआदरणीय भ्रमर जी, बहुत ही खूबसूरत लेखन |
ReplyDelete“जीवन हैं अनमोल रतन !"
प्रिय धीरेन्द्र भाई आभार स्नेह बनाये रखें कृपया
ReplyDeleteभ्रमर ५
प्रिय रविकर जी आप ने सराहा मन खुश हुआ आभार
ReplyDeleteभ्रमर ५
प्रिय अनंत जी रचना को आप ने मान दिया और चर्चा मंच में स्थान मिला ख़ुशी मिली आभार
ReplyDeleteभ्रमर ५
प्रिय अजय जी सराहना के लिए आभार
ReplyDeleteभ्रमर ५
प्रिय कुलदीप जी अभिनंदन आप का इस ब्लॉग के समर्थन हेतु अपनी राय भी देते रहिये लिखते रहें
ReplyDeleteभ्रमर ५
-बहुत अच्छी रचना
ReplyDeletelatest post आभार !
latest post देश किधर जा रहा है ?
बहुत सुन्दर प्रस्तुति। ।
ReplyDeleteप्रिय काली पद जी आभार प्रोत्साहन हेतु
ReplyDeleteअभिनंदन समर्थन हेतु
भ्रमर ५
आदरणीया प्रतिभा जी रचना की प्रस्तुति आप को अच्छी लगी सुन ख़ुशी हुयी
ReplyDeleteअभिनंदन आगमन पर
भ्रमर ५