धरती भी काँप गयी
———————-
उड़ान भरती चिड़िया
जलती दुनिया
आंच लग ही गयी
———————
दाढ़ी बाल बढ़ाये
साधू कहलाये
चोरी पकड़ा ही गयी
————————-
इतना बड़ा मेला
पंछी अकेला
डाल भी टूट गयी
———————-
खंडहर भी चीख उठा
रक्त-बीज बाज बना
धरती भी काँप गयी
————————
कानून सोया था
सपने में रोया था
देवी जी भांप गयीं
———————–
जल्लाद जाग उठा
गीता को बांच रहा
सुई आज थम गयी
————————
‘एक’ माँ रोई थी
‘एक ‘ आज रोएगी
अपना ही खोएगी
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उड़ान भरती चिड़िया
जलती दुनिया
आंच लग ही गयी
———————
दाढ़ी बाल बढ़ाये
साधू कहलाये
चोरी पकड़ा ही गयी
————————-
इतना बड़ा मेला
पंछी अकेला
डाल भी टूट गयी
———————-
खंडहर भी चीख उठा
रक्त-बीज बाज बना
धरती भी काँप गयी
————————
कानून सोया था
सपने में रोया था
देवी जी भांप गयीं
———————–
जल्लाद जाग उठा
गीता को बांच रहा
सुई आज थम गयी
————————
‘एक’ माँ रोई थी
‘एक ‘ आज रोएगी
अपना ही खोएगी
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सुरेन्द्र कुमार शुक्ल ‘भ्रमर’५
१ २ . १ ५ पूर्वाह्न -1 २ . ३ ४ पूर्वाह्न
कुल्लू हिमाचल
२ ५ .० ८ – १ ३
१ २ . १ ५ पूर्वाह्न -1 २ . ३ ४ पूर्वाह्न
कुल्लू हिमाचल
२ ५ .० ८ – १ ३
दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं
भावो को खुबसूरत शब्द दिए है अपने....
ReplyDeleteभावो को खुबसूरत शब्द दिए है अपने....
ReplyDeleteवर्तमान परिद्रश्य की मार्मिक रचना |
ReplyDeleteवाह!शब्द और भावों का सुंदर सृजन,,,बधाई
ReplyDeleteRECENT POST : पाँच( दोहे )
sunder rachana
ReplyDeleterecent post
किसी भी साईट से विडियो डाउनलोड करने का एक बहुत बढ़िया एक्सटेंशन
आदरणीया सुषमा जी प्रोत्साहन के लिए आभार
ReplyDeleteभ्रमर ५
प्रिय अजय जी रचना वर्तमान परिदृश्य को व्यक्त कर सकी लिखना सार्थक रहा आभार प्रोत्साहन हेतु
ReplyDeleteभ्रमर ५
प्रिय धीरेन्द्र भाई रचना आप के मन को छू सकी लिखना सार्थक रहा आभार प्रोत्साहन हेतु
ReplyDeleteभ्रमर ५
प्रिय सन्नी जी रचना आप को अच्छी लगी लिखना सार्थक रहा आभार प्रोत्साहन हेतु
ReplyDeleteभ्रमर ५
sundar kriti
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