(फोटो साभार गूगल / नेट से )
पीत वसन से सजी धरती सखि
सोन से भाव में तोलि रही सब
सोंधी सी खुश्बू हिया अब उमड़ति
प्रीति के चन्दन लपेटि रही अंग
कुसुमाकर बनि काम कुसुम तन
सिहरन बनि झकझोरि रहे हैं
नील गगन रक्तिम बदरी मुख
मलयानिल बढ़ी खोलि दिए हैं
पतझर के दिन बीते रे सजनी !
कोंपल-हरि मन जीत लिए हैं
कूके कोयलिया मन बागन में
बौर सना रस प्रीति सुधा जिमि
पवन मंद ज्यों बेल लिपटि फिर
दूर भये व्याकुल चितवन करि
आँख मिचौली वासंती संग
आनंदी आनंद मगन ह्वे
सब ऋतुवन को जीति लियो है …..
पियरी सर-सों मन मीत पियारी
प्रीति अधर खिलि मोह लियो है
स्वर्ग अप्सरा मोर मगन मन झंकृत कर हे
दुल्हन वसुधा श्रृंगार चरम करि तीन लोक में
प्रकृति नटी हिय झंडा गाडि के रीझि रही है !!
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सभी प्रिय मित्रों को वसंत पंचमी और माँ सरस्वती पूजा की हार्दिक शुभ कामनाएं ....जीवन में माँ शारदे ज्योति भरें मन पुष्पित पल्लवित हो और सदा सदा वसंत सा झूमता खिलखिलाता जीवन समाज को कुछ दे के ही जाए हम समाज से जब लेते रहे हैं तो दे के जाना भी हमारा धर्म ही तो है
जय श्री राधे
सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर 5
प्रतापगढ़ अवध
14.02.2013 11.45 मध्याह्न
दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं
बहुत शानदार बसंत का उम्दा चित्रण ,,,
ReplyDeleterecent post: बसंती रंग छा गया
प्रिय धीरेन्द्र भाई जी आभार प्रोत्साहन हेतु ...
ReplyDelete.जय श्री राधे भ्रमर ५
बेहतरीन अभिव्यक्ति!!
ReplyDelete...बसंत पंचमी की शुभकामनाएँ !!!
सादर नमन ।।
ReplyDeleteबढ़िया है -
शुभकामनायें-आदरणीय
अपने गृह जनपद के नाम से ब्लॉग देखकर अच्छा लगा।
ReplyDeleteब्रिजेश नीरज जी अभिनन्दन है आप का भ्रमर का दर्द और दर्पण और प्रतापगढ़ साहित्य प्रेमी मंच पर ....आपका स्नेह पा ख़ुशी हुयी अपना स्नेह बनाये रखें शुभ कामनाएं आप के साहित्यिक सफ़र के लिए ...आप की रचनाएँ यों ही छपती रहें और समाज आलोकित होता रहे ..
ReplyDeleteभ्रमर 5
प्रतापगढ़ साहित्य प्रेमी मंच
rituraj vasant ka sundar chitran .....
ReplyDeleteआदरणीया संध्या जी रचना पर प्रोत्साहन हेतु आभार ..
ReplyDeleteजय श्री राधे
भ्रमर ५
बहुत ही सराहनीय . उत्तम रचना. बधाई.
ReplyDeleteप्रोत्साहन के लिए आभार ...काव्य्सुधा जी जय श्री राधे ...भ्रमर ५
ReplyDeleteनीरज जी अभिनन्दन है आप का भ्रमर का दर्द और दर्पण में जय श्री राधे ...भ्रमर 5
ReplyDeletevery well written .... nice
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