हे माँ तू
अमृत घट है
री
कण कण मेरे
प्राण समायी
मै अबोध बालक
हूँ तेरा
पूजूं कैसे तुझको
माई
बिन तेरे अस्तित्व
कहाँ माँ
बिन तेरे मेरा
नाम कहाँ ?
तू है तो
ये जग है
माता
तू ही मेरी
भाग्य विधाता
ऊँगली पकडे साहस
देती
दिल धड़के जो
धड़कन देती
नब्ज है मेरी
सांस भी तू
ही
गुण संस्कृति की खान
है तू ही
देवी में तू
कल्याणी है
प्रकृति पृथिव्या सीता तू
है
तू गुलाब है तू
सुगंध है
पूत प्रीत ‘माँ
‘ गंगा तू है
धीरज धर्म है
साहस तू माँ
लगे चोट मुख
निकले माँ माँ
तेरा सम्बल जीवन देता
देख तुझे मै
आगे बढ़ता
आँचल तेरा सर
है जब तक
नहीं कमी जीवन
में तब तक
रश्मि तू सूरज
की लाली
बिना स्वार्थ जीवन भर
पाली
सारे दर्द बाल
के सह के
भूखी प्यासी मेहनत कर
के
तूने जो स्थान
बनाया
देव मनुज ना
कोई पाया
तू मन मस्तिष्क
रग रग छायी
पल पल माँ
है आँख समायी
आँख सदा बालक
पर रखती
पीड़ा पल में
जो है हरती
उस माँ को
शत नमन हमारा
माँ माँ जपे
तभी जग सारा
माँ की ममता
बड़ी निराली
तभी तो पूजे
जग-कल्याणी
अंत समय तक
माँ संग रखना
न हो जुदा
दिल में बस
रहना
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सुरेन्द्र कुमार शुक्ल 'भ्रमर
'५
कुल्लू हिमाचल भारत
११-मई -२०१४
रविवार
दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं
सुन्दर भावाभिव्यक्ति....माँ से बढ़कर दुनिया में कुछ नहीं. माता-पिता को शत-शत नमन.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर कविता.. माँ से ही सबकुछ है.. माँ है तो हम हैं ... बहुत बधाई..
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति।
ReplyDelete--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज सोमवार (12-05-2014) को ""पोस्टों के लिंक और टीका" (चर्चा मंच 1610) पर भी है।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत सुंदर रचना...!
ReplyDeleteमातृदिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ।
RECENT POST आम बस तुम आम हो
बहुत सुंदर !
ReplyDeleteआदरणीय शास्त्री जी माँ की ममता का बखान करती ये रचना आप के मन को छू सकी और आप ने इसे चर्चा मंच पर स्थान दिया ख़ुशी हुयी
ReplyDeleteआभार
भ्रमर ५
प्रिय हिमकर जी सच कथन आप का माँ से बढ़ कुछ नहीं ..आभार प्रोत्साहन हेतु
ReplyDeleteभ्रमर ५
जी नीरज जी माँ बिन अपना अस्तित्व ही कहाँ ...आभार
ReplyDeleteभ्रमर ५
जी नीरज जी माँ बिन अपना अस्तित्व ही कहाँ ...आभार
ReplyDeleteभ्रमर ५
धीरेन्द्र भाई आभार प्रोत्साहन हेतु
ReplyDeleteभ्रमर ५
आदरणीय सुशील जी प्रोत्साहन हेतु बहुत बहुत आभार
ReplyDeleteभ्रमर ५
लाजवाब...बहुत बहुत बधाई...
ReplyDeleteनयी पोस्ट@आप की जब थी जरुरत आपने धोखा दिया
मर्मस्पर्शी रचना .... माँ को नमन
ReplyDeleteप्रिय प्रसन्न बदन जी हार्दिक आभार आप का माँ की ममता के महत्त्व में लिखी इस रचना को आप ने सराहा ख़ुशी हुयी
ReplyDeleteआभार
भ्रमर ५
आदरणीया डॉ मोनिका जी बहुत बहुत आभार ..सभी माँ को नमन ...
ReplyDeleteभ्रमर ५
माँ -बाप से बढ़कर दूजा कोई नहीं संसार में
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति
आदरणीया कविता जी हार्दिक आभार माँ की ममता का उसके त्याग का कोई जबाब नहीं ..सच है
ReplyDeleteभ्रमर ५