BHRAMAR KA DARD AUR DARPAN

Tuesday, March 7, 2023

नाचे मोरी नथुनिया

चली फागुन की ठंडी बयार हो
मनवा झूमे सजनवा
मोरे जियरा में उठेला हिलोर हो
नाचे मोरी नथुनिया
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अमवा बौराया मनवा भी फाग हो
होंठ कांपे हैं गाए कोयलिया
लाल गुलाबी धानी चूनर बेकार हो
बिन सजना केवल अमावस अंधेरिया
चली फागुन की....
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ढोल मजीरा मृदंग बजे है
आवा आवा सजन अंगनाई
मोरे जियरा में उठेला तूफान हो
कान तरसें सुनइ शहनाई
चली फागुन की...
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हर आहट दौडूं घर बाहर
सुर्ख चेहरा पे आंखे पथराई
लाल गाल टेसू से टपके गुलाल
सिहरे कांपे बदन बदरी जैसे है छाई
चली फागुन की...
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दहके होली अगन जरे मोरा बदन
चूड़ी कंगना ना तनिको भाए
रंग बरसा है तर हुआ सारा बदन
आए आए सजन घर आए।
चली फागुन की .. 
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चमक गई बिंदिया कुंडल भी चूमे
चमक नैनों में आई सजनिया
नथिया औ बेसर नाचे रे झूमे
सजन गदगद मिली दुल्हनिया
चली फागुन की ठंडी....



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सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर 5
प्रतापगढ़ भारत।
7.3.2023
फोटो साभार गूगल नेट से 



दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं

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दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं
अभिनन्दन आप का ,हिंदी बनाने का उपकरण ऊपर लगा हुआ है -आप की प्रतिक्रियाएं हमें ऊर्जा देती हैं -शुक्ल भ्रमर ५