नारी नारी नही समझ मन
नारी तो है कुल की देवी
जप से श्रम से तप से गढ़ती
फिर एक जीवन नई कहानी
रक्त से अपने सींच भी रही
प्रेम प्यार भी आंखों पानी
नारी नारी नही समझ मन
नारी तो है कुल की देवी
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पग पग कष्ट सहे कल्याणी
धूप छांव से हमे बचाती
भरे धनात्मक ऊर्जा हम में
जादू टोना सदा बचाती
नारी नारी नही समझ मन
नारी तो है कुल की देवी
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बिटिया लक्ष्मी घर आंगन की
खुशी हंसी खुश्बू कविता है
घर आंगन संसार की अपनी
प्राण प्रतिष्ठा लाज दया है
नारी नारी नही समझ मन
नारी तो है कुल की देवी
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इस कुल उस कुल की दीपक है
अंधियारे से सदा बचाती
ज्ञान की देवी प्रेम की मूरत
प्रेम प्यार सब यही सिखाती
नारी नारी नही समझ मन
नारी तो है कुल की देवी
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गंगा सीता लक्ष्मी दुर्गा
पूत पावनी रूप अनेक
श्रद्धा पूजा काम कामिनी
भक्ति शक्ति सब कुछ ये
नारी नारी नही समझ मन
नारी तो है कुल की देवी
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आओ सीखें इनसे हम भी
प्रेम _मान दे इनको पूजें
जड़ से चेतन बन जाएं हम
भवसागर में तरना सीखें
नारी नारी नही समझ मन
नारी तो है कुल की देवी
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साज यही श्रृंगार यही है
वीणा की झंकार यही है
नृत्य गीत है यही अप्सरा
प्रकृति सृष्टि आधार यही
नारी नारी नही समझ मन
नारी तो है कुल की देवी
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यही है श्रद्धा निद्रा अपनी
शांति यही सुख की है कोष
यही है चन्दा दर्पण कीरति
गुण देखो हे ना कुछ दोष
नारी नारी नही समझ मन
नारी तो है कुल की देवी
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सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर 5
प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश,
भारत।
22/02/2023
4.00_5.00 पूर्वाह्न
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दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं
अभिनन्दन आप का ,हिंदी बनाने का उपकरण ऊपर लगा हुआ है -आप की प्रतिक्रियाएं हमें ऊर्जा देती हैं -शुक्ल भ्रमर ५