BHRAMAR KA DARD AUR DARPAN

Tuesday, September 17, 2013

बाप की पगड़ी में

बाप की पगड़ी में
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बेशर्म लोगों की
बड़ी -बड़ी फ़ौज है
चोर हैं उचक्के हैं
लूट रहे मौज हैं
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थाने अदालत में
'चोर' बड़े दिखते  हैं
नेता के पैरों में
'बड़े' लोग गिरते हैं
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बूढा किसान साल-
बीस ! आ रगड़ता है
परसों तारीख पड़ी
कहते 'वो' मरता है
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बाप की पगड़ी में
'भीख' मांग फिरता है
'नीच' आज नीचे 'पी'
गिरता फिसलता है
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गधे और उल्लू का
बड़ा बोलबाला है
भक्त 'बड़े' चमचे हैं
जिनका मुंह काला है
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नीति -रीति नियम -प्रीति
रोती हैं खोती हैं
विद्या व् लक्ष्मी भी
महलों जा रोती  हैं
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सूरज भी क्षीण हुआ
अँधियारा छाया है
राहु-केतु ग्रहण लगा
कौन बच पाया है ?
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सुरेन्द्र कुमार शुक्ल 'भ्रमर'
1.30 P.M.-2.08 P.M.
कुल्लू हिमाचल

26.08.2013



दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं

10 comments:

  1. गधे और उल्लू का
    बड़ा बोलबाला है
    भक्त 'बड़े' चमचे हैं
    जिनका मुंह काला है ,,,

    बहुत सुंदर सृजन ! बेहतरीन रचना !!

    RECENT POST : बिखरे स्वर.

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  2. बहुत सुन्दर .हकीकत से रूबरू कराती ,कविता.

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  3. सुन्दर प्रस्तुति
    बहुत बहुत आभार आदरणीय-
    तीन दिन प्रवास में बीते-
    सादर-

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  4. धीरेन्द्र भाई आभार प्रोत्साहन हेतु
    भ्रमर ५

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  5. प्रिय राजीव जी ..रचना कुछ हकीकत को दर्शा कर कुछ कह सकी सुन ख़ुशी हुयी
    आभार
    भ्रमर ५

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  6. प्रिय रविकर जी .रचना की प्रस्तुति आप को अच्छी लगी सुन ख़ुशी हुयी ..जीवन में आवास प्रवास गति विश्रांति सब का सामंजस्य जरुरी है ही
    आभार
    भ्रमर ५

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  7. प्रिय ..कालीपद जी रचना आज के हकीकत को व्यक्त करती आप के मन को छू सकी सुन हर्ष हुआ
    आभार
    भ्रमर ५

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  8. प्रिय राजीव जी इस रचना की वेदना और आज के हालत को आप ने महत्व दिया सराहा और इस रचना को हिंदी ब्लागर्स चौपाल चर्चा मंच पर ले गए ख़ुशी हुयी
    आभार
    भ्रमर ५

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  9. सुन्दर कभी यहाँ भी पधारें।
    सादर मदन

    http://saxenamadanmohan1969.blogspot.in/
    http://saxenamadanmohan.blogspot.in/

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दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं
अभिनन्दन आप का ,हिंदी बनाने का उपकरण ऊपर लगा हुआ है -आप की प्रतिक्रियाएं हमें ऊर्जा देती हैं -शुक्ल भ्रमर ५