बाप की पगड़ी में
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बेशर्म लोगों की
बड़ी -बड़ी फ़ौज है
चोर हैं उचक्के
हैं
लूट रहे मौज हैं
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थाने अदालत में
'चोर' बड़े दिखते हैं
नेता के पैरों
में
'बड़े' लोग गिरते हैं
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बूढा किसान साल-
बीस ! आ रगड़ता है
परसों तारीख पड़ी
कहते 'वो' मरता है
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बाप की पगड़ी में
'भीख' मांग फिरता है
'नीच' आज नीचे 'पी'
गिरता फिसलता है
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गधे और उल्लू का
बड़ा बोलबाला है
भक्त 'बड़े' चमचे हैं
जिनका मुंह काला
है
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नीति -रीति नियम
-प्रीति
रोती हैं खोती
हैं
विद्या व्
लक्ष्मी भी
महलों जा
रोती हैं
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सूरज भी क्षीण
हुआ
अँधियारा छाया है
राहु-केतु ग्रहण
लगा
कौन बच पाया है ?
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सुरेन्द्र कुमार
शुक्ल 'भ्रमर'५
1.30 P.M.-2.08 P.M.
कुल्लू हिमाचल
26.08.2013
दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं
गधे और उल्लू का
ReplyDeleteबड़ा बोलबाला है
भक्त 'बड़े' चमचे हैं
जिनका मुंह काला है ,,,
बहुत सुंदर सृजन ! बेहतरीन रचना !!
RECENT POST : बिखरे स्वर.
बहुत सुन्दर .हकीकत से रूबरू कराती ,कविता.
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आदरणीय-
तीन दिन प्रवास में बीते-
सादर-
बहुत खुबसूरत ,हकीकत को बयां करती कविता
ReplyDeletelatest post: क्षमा प्रार्थना (रुबैयाँ छन्द )
latest post कानून और दंड
धीरेन्द्र भाई आभार प्रोत्साहन हेतु
ReplyDeleteभ्रमर ५
प्रिय राजीव जी ..रचना कुछ हकीकत को दर्शा कर कुछ कह सकी सुन ख़ुशी हुयी
ReplyDeleteआभार
भ्रमर ५
प्रिय रविकर जी .रचना की प्रस्तुति आप को अच्छी लगी सुन ख़ुशी हुयी ..जीवन में आवास प्रवास गति विश्रांति सब का सामंजस्य जरुरी है ही
ReplyDeleteआभार
भ्रमर ५
प्रिय ..कालीपद जी रचना आज के हकीकत को व्यक्त करती आप के मन को छू सकी सुन हर्ष हुआ
ReplyDeleteआभार
भ्रमर ५
प्रिय राजीव जी इस रचना की वेदना और आज के हालत को आप ने महत्व दिया सराहा और इस रचना को हिंदी ब्लागर्स चौपाल चर्चा मंच पर ले गए ख़ुशी हुयी
ReplyDeleteआभार
भ्रमर ५
सुन्दर कभी यहाँ भी पधारें।
ReplyDeleteसादर मदन
http://saxenamadanmohan1969.blogspot.in/
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