ईमानदारी का मोल दो
————————–
इस दधीचि की हड्डी को
आकृति बना दो
पेट भर दो- खून भर दो
सूर्य से जो ये दमकें इन का तेज देखो
रोटी -कपड़ा और मकान का
ब्रांड अम्बेसडर बनाएं
अग्नि पृथ्वी रक्षा कवच में
ईमान की हम भर्ती कराएं
———————————–
ईमानदारी का मोल दो
हीरे जवाहरात सा तोल दो
मान दो सम्मान दो
जी भर के इनको प्यार दो
—————————–
उच्च सिंहासन इन्हें आसीन कर दो
मुख्य रथ की बागडोर हो
अनुशासन की चाबुक या हो
उन गरीबों को खिलाएं
सड़कें बनायें पुल बनाएं
ऐसे प्यारे इनको सारा काम दो
———————————-
बेटियों का व्याह कर दें
जुर्म की आंधी मिटा दें
अनपढ़ विचारे आज भी जो
दो लात-पा दुत्कार खाएं
उनको सम्मान का हम मुकुट पहनाएं
ऐसे प्यारे कल से इनको काम दे दो !
————————————–
बेलगाम घोड़े हैं जो कुचले सभी को
उन पर ये लगाम लगाएं
अच्छा बुरा उनको सिखाएं
मंच पर केवल चढ़ें ये “प्रिय” हमारे
दे दें तमगा रत्न-भारत -पद्मभूषण
उन सभी को जो हों न्योछावर
धरा को स्वर्ग करने में लगे हों
जो हों मानव- बोते मानवता यहाँ पर
लहलहाए जिनके कर को छू ये फसलें
सोना उगले
सोने चिड़िया बन के फुदके
दूध की नदिया के सपने
आओ प्यारे फिर संजो लें
सब चलो ये मिल के मांगें
झंडे ले के गीत गायें
“ईमानदारी” का मोल दे दो
प्यार बो- दो -प्यार बांटो
“ईमानदारी” का मोल दे दो
प्यार बो-दो -प्यार बांटो !!
———————————
शुक्ल भ्रमर ५ ६.१२.२०११ ७.१५-७.५८ पूर्वाह्न
यच पी
दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं
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इस दधीचि की हड्डी को
आकृति बना दो
पेट भर दो- खून भर दो
सूर्य से जो ये दमकें इन का तेज देखो
रोटी -कपड़ा और मकान का
ब्रांड अम्बेसडर बनाएं
अग्नि पृथ्वी रक्षा कवच में
ईमान की हम भर्ती कराएं
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ईमानदारी का मोल दो
हीरे जवाहरात सा तोल दो
मान दो सम्मान दो
जी भर के इनको प्यार दो
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उच्च सिंहासन इन्हें आसीन कर दो
मुख्य रथ की बागडोर हो
अनुशासन की चाबुक या हो
उन गरीबों को खिलाएं
सड़कें बनायें पुल बनाएं
ऐसे प्यारे इनको सारा काम दो
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बेटियों का व्याह कर दें
जुर्म की आंधी मिटा दें
अनपढ़ विचारे आज भी जो
दो लात-पा दुत्कार खाएं
उनको सम्मान का हम मुकुट पहनाएं
ऐसे प्यारे कल से इनको काम दे दो !
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बेलगाम घोड़े हैं जो कुचले सभी को
उन पर ये लगाम लगाएं
अच्छा बुरा उनको सिखाएं
मंच पर केवल चढ़ें ये “प्रिय” हमारे
दे दें तमगा रत्न-भारत -पद्मभूषण
उन सभी को जो हों न्योछावर
धरा को स्वर्ग करने में लगे हों
जो हों मानव- बोते मानवता यहाँ पर
लहलहाए जिनके कर को छू ये फसलें
सोना उगले
सोने चिड़िया बन के फुदके
दूध की नदिया के सपने
आओ प्यारे फिर संजो लें
सब चलो ये मिल के मांगें
झंडे ले के गीत गायें
“ईमानदारी” का मोल दे दो
प्यार बो- दो -प्यार बांटो
“ईमानदारी” का मोल दे दो
प्यार बो-दो -प्यार बांटो !!
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शुक्ल भ्रमर ५ ६.१२.२०११ ७.१५-७.५८ पूर्वाह्न
यच पी
दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं
बहुत सुंदर रचना hai
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत पोस्ट |
ReplyDeleteनिराला अंदाज |
बधाई ||
खूबसूरत अंदाज,
ReplyDeleteआदरणीय रोशी जी अभिवादन रचना पसंद आई और ईमाँ को आप का समर्थन मिला ख़ुशी हुयी
ReplyDeleteभ्रमर ५
प्रिय रविकर जी ईमानदारी के समर्थन में आप ने गीत गाया ख़ुशी हुयी इसका अंदाज निराला लगा सुन और भी
ReplyDeleteभ्रमर ५
प्रिय संदीप जी रचना की प्रस्तुति का अंदाज आप को प्यारा लगा सुन हर्ष हुआ आइये इस ईमान को बचाएं
ReplyDeleteभ्रमर ५
kuch nayapanliye hue acchi kavita..aapke blog per kaphi dino baad aana hua..accha laga..mere blog per bhi aap sadar amantrit hain..sadar badhayee
ReplyDeleteभाव पूर्ण अभिव्यक्ति आभार
ReplyDeleteसत्य वचन
ReplyDeleteडॉ आशुतोष मिश्र जी अभिवादन काफी दिन बाद मुलाकात ..व्यस्तता और नेट की समस्याएं बाधा उत्पन्न करती ही हैं रचना में कुछ नयापन दिखा और आप ने इस पर समर्थन किया सुन ख़ुशी हुयी
ReplyDeleteआभार
भ्रमर ५
आदरणीया ममता जी हार्दिक अभिवादन और अभिनन्दन आप का ...ईमानदारी का आप ने समर्थन किया सुन ख़ुशी हुयी --
ReplyDeleteआभार
भ्रमर ५
अरुणेश जी अभिवादन और धन्यवाद आप का ..रचना कुछ सत्य और सटीक बात कह सकी सुन हर्ष हुआ
ReplyDeleteआभार
भ्रमर ५
सच कहा है ... अगर यर दुनिया इमानदारी का मोल भी डे डे तो बहुत है ... सत्य लिखा है रचना में ..
ReplyDeleteप्रिय दिगम्बर जी अभिवादन सच कहा आप ने ..ये ईमानदारी का मोल दे दे तो फिर क्या कहने सब सुधर जाए
ReplyDeleteआभार
भ्रमर ५