प्रिय मित्रों कभी कभी कुछ हमारे बड़े लोग बुद्धिमान लोग- ऊंचे पदों पर आसीन लोग- बेचारों सी- मूर्ख सी- भ्रष्टाचार बढाने वाली बातें करते हैं तो हमारे सामजिक व्यवस्था पर रोना आता है -वे तो इस भ्रष्टाचार के खिलाफ चल रही मुहीम को सीधे चाट जाते हैं …ये कभी ख़त्म ही नहीं हो सकता …जहां इस तरह के चार लोग जुट जाते हैं ईमानदारों की धोती भी बची रहे तो – बस भगवान् भरोसे …जो भी हो

(फोटो साभार गूगल /नेट से )
अन्ना जी आप ने टोपी उतार गांधी जी को नमन किया ….हम आप के जवान दिल का नमन करते हैं ..जो हमारे युवकों बूढों के दिलों को धड़का कर आगे बढ़ा रहा है जोश ही जोश ..अब आएगा होश …
बढे चलो अन्ना जी हम सब तुम्हारे साथ है ..आज नहीं तो कल कुछ होगा …हाड पर मांस चढ़ेगी ही ….जय भारत ….
चाँव -चाँव करते अन्ना जी
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नए हमारे डाइरेक्टर श्री
शक-सोना जी आये
स्वागत अभिवादन में भैया
पञ्च सितारा होटल लाये
सूप-सलाद पापड़ पकवान से
कुछ मीठा हो जाए तक -में
बड़े फायदे भ्रष्टाचार के
सारे उनने हमें गिनाये
इन पचास सालों में देखो
देश गया कितना आगे
नंगे जो हम रहे घूमते
अब ए.सी. में चढ़ के आते
गाँव -गाँव में बिजली पानी
पक्के घर हैं -खुशहाली
लात मार कर गाँव से आई
बीबी -मेरी -महरानी
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बाबा माँ मर रहे अगर जो
टी टी की तुम जेब भरो या
दो सौ दलाल दे टिकट मंगाओ
वेट लिस्ट लत-मरुवा बैठे
उन पर चढ़ -चढ़ के तुम जाओ
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ट्रैफिक जाम या जांच फंसो तो
सौ का नोट भरे मुट्ठी में
हवलदार को तुम पकडाओ
भले मरीज मारें उस ट्रैफिक
अपनी मंजिल-तय कर जाओ
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कोर्ट कचहरी -एडवोकेट को
सौ -पचास दे "डेट" बढाओ
सौ वर्षों तक खेती जोतो
दुश्मन बूढा कर मरवाओ
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मंत्री -तंत्री नोट फेंक के
शिक्षा का लाईसेंस मंगाओ
ड्रेस किताब कॉपी प्रोजेक्ट से
कई -कई स्कूल खोल के
लल्लू से लाला बन जाओ
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जी डी पी की ग्रोथ है इतनी
मुद्रा स्फीति है बड़ी घटी
चाँव -चाँव करते अन्ना जी
क्या हम सब को आज कमी
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घर मंदिर सब भरे हुए हैं
सोने चांदी के तहखाने
कहाँ है मक्का जौ बजरी अब
देखो दस प्लेट- सजे हैं-खाने
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पांच हजार का निगले खाना
हम बाहर को आये
घंटों भर थे जाम में अटके
हवलदार ना कोई आये
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कीचड़ सड़कों भरी हुयी थी
धुंआ धूल -कोलाहल -चर्चा
ए.सी.गाडी हम बैठे थे
बड़ी जोर की लगी थी वर्षा
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युवती -नंगा बच्चा लटकाए
भीग पोंछती बाहर शीशा
लिए कटोरा खट -खट करती
दाँत दिखा रोती -मुस्काती
चार दिनों से भूखा -प्यासा
भला हो बाबू -
तेरा-मेरा- बच्चा रोता
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हमने अपने निर्देशक को
दुनिया फिर दिखलाई
ये है "सर " जी वचपन अपना
ये है भरी जवानी
पेट में जब कूदें चूहे तो
याद है आती नानी
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परदे पर अंगडाई सैंया
बाहर बहुत लड़ाई
रोती -नमक भी कहीं नहीं है
कहीं है मखनी दाल -मलाई
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नोट-वोट दंगे फसाद से
दारु-ट्रेलर सब दिखलाया
मारे चौके छक्के हम ने
भ्रष्टाचार का रूप दिखाया
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पाक -बांगला चीन का बार्डर
कारगिल-स्विस तक सभी घुमाया
दो रोटी- की खातिर हमने
बच्चे-कुत्ते लड़ते कैसे
कूड़ेदान - दिखाया
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हम पचास सालों हैं पीछे
नहीं बढे कुछ आगे
हाथ मिलाते -नजर बचाते
प्लेन चढ़े -वे -छुपते भागे
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भ्रमर ५
८-८.२२ पूर्वाह्न
११.१२.२०११
दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं