tag:blogger.com,1999:blog-741081038972826577.post1568044008286267505..comments2024-03-04T01:29:16.625-08:00Comments on BHRAMAR KA DARD AUR DARPAN: आदमी वहशी जानवर नहीं है ...Surendra shukla" Bhramar"5http://www.blogger.com/profile/11124826694503822672noreply@blogger.comBlogger13125tag:blogger.com,1999:blog-741081038972826577.post-25754265227921379782011-11-11T08:24:25.300-08:002011-11-11T08:24:25.300-08:00बहुत बढ़िया लिखा है.बहुत बढ़िया लिखा है.Amrita Tanmayhttps://www.blogger.com/profile/06785912345168519887noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-741081038972826577.post-9475212340193171652011-11-11T08:20:23.073-08:002011-11-11T08:20:23.073-08:00अनुपमा पाठक जी हार्दिक अभिवादन प्रोत्साहन के लिए ...अनुपमा पाठक जी हार्दिक अभिवादन प्रोत्साहन के लिए ..इतनी दूर से आप सब का हिंदी से जुड़े रह इतना सब कुछ करना मन को छू जाता है ..बधाई <br />भ्रमर ५ <br />भ्रमर का दर्द और दर्पणSurendra shukla" Bhramar"5https://www.blogger.com/profile/11124826694503822672noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-741081038972826577.post-15919019512079570752011-11-11T07:58:22.332-08:002011-11-11T07:58:22.332-08:00संवेदनशील ह्रदय के उद्गार!संवेदनशील ह्रदय के उद्गार!अनुपमा पाठकhttps://www.blogger.com/profile/09963916203008376590noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-741081038972826577.post-32661786141404426522011-11-11T01:00:36.560-08:002011-11-11T01:00:36.560-08:00प्रिय साहिल जी रचना पंसंद आई सुन मन को सुकून मिला ...प्रिय साहिल जी रचना पंसंद आई सुन मन को सुकून मिला लिखना सार्थक रहा <br />आभार <br />भ्रमर ५Surendra shukla" Bhramar"5https://www.blogger.com/profile/11124826694503822672noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-741081038972826577.post-27912505545386783632011-11-09T08:09:56.032-08:002011-11-09T08:09:56.032-08:00बहुत ही संवेदनशील विचार लिए है आपकी कविता, बहुत खू...बहुत ही संवेदनशील विचार लिए है आपकी कविता, बहुत खूब!'साहिल'https://www.blogger.com/profile/13420654565201644261noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-741081038972826577.post-46314586186041150922011-11-08T21:07:53.078-08:002011-11-08T21:07:53.078-08:00प्रेम सरोवर जी रचना सार्थक लगी सुन हर्ष हुआ
आभार ...प्रेम सरोवर जी रचना सार्थक लगी सुन हर्ष हुआ <br />आभार <br />भ्रमर ५Surendra shukla" Bhramar"5https://www.blogger.com/profile/11124826694503822672noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-741081038972826577.post-24004734733263115032011-11-08T21:06:33.267-08:002011-11-08T21:06:33.267-08:00alkargupta1 के द्वारा November 8, 2011
शुक्ला जी ,...alkargupta1 के द्वारा November 8, 2011<br />शुक्ला जी , आदमी की अन्तर्दशा का करूणामय सजीव चित्रण किया है<br />श्रेष्ठ कृति के लिए बधाई !<br /><br />surendra shukla bhramar5 के द्वारा November 8, 2011<br />आदरणीया अलका जी अभिवादन और आभार आप का आप ने इस रचना के हालात और मानवीय गुणों को परखा समझा की क्यों कर ऐसा हो जाता है -श्रेष्ठ कृति लगी आप को सुन बहुत ही हर्ष हुआ<br />प्रोत्साहन यों ही बनाये रखें<br />भ्रमर ५<br />jlsingh के द्वारा November 8, 2011<br />भ्रमर जी, नमस्कार!<br />पहले तो मुझे भ्रम हुआ शीर्षक देखकर —-<br />पहले पढ़ा था — हम जानवर हैं, वहशी जानवर — अबोध बालक<br />फिर “आदमी वहशी जानवर नहीं है …”<br />लगा किसी ने ‘एडिट’ कर दिया…..<br />लेकिन आपने उनका ‘मान’ रखते हुए लिखा — आँखों पर पट्टी बाँध देता है<br />और लाठी ,भाला ,बरछी<br />हमारी भी चल जाती है<br />फिर हम “अबोध” लोग<br />रोते हैं एक अपना ही खोते हैं<br />कितनी करुणा, व्यथा, सहृदयता छिपी है इन पंक्तियों के पीछे छिपे हुए मानस में.<br />सादर नमन! – जवाहर.<br /><br />surendra shukla bhramar5 के द्वारा November 8, 2011<br />प्रिय जवाहर जी एडिट तो नहीं किया हमने कभी किसी का लेकिन आप ने उसे जोड़ा बिलकुल सही जगह से-अबोध जी प्रेरणा स्रोत तो बने ही तो मान रखना ही था …है की नहीं ?? -बहुत अच्छा लगा आप का स्पष्टीकरण व्याख्या और आप के समझने की ….<br />बहुत बहुत आभार आप ने इस के दर्द और मर्म को समझा की क्यों हम ऐसा कर जाते हैं ..<br />आभार<br />भ्रमर<br />shashibhushan1959 के द्वारा November 8, 2011<br />नर नहीं जानवर होता है, पर स्वाभिमान ना खोता है,<br />सुख-दुःख में स्थितप्रज्ञ रहे, सम्मान भुला दे वह अपना,<br />यह जीना भी क्या जीना है ?<br />जिसकी मर्जी जो भी कह दे, क्या इसीलिए जग में आये,<br />बेबस-दयनीय बने रहना, पुंसत्वहीन नर को भाये,<br />यह जीना भी क्या जीना है ?<br />हंसकर शिव जैसे गरल पिए, झंझावातों में कूद जाय,<br />जब स्वाभिमान पर बात अड़े, तो रक्तसरित में डूब जाय,<br />ऐसा जीना ही जीना है.<br />.<br />क्षमाप्रार्थना सहित………………<br /><br />surendr shukl bhramar5 के द्वारा November 8, 2011<br />प्रिय शशिभूषण जी बहुत सुन्दर क्षमाप्रार्थी क्यों ..बहुत बढ़िया लिखा आप ने जो सच है वो सच हमेशा ..सुन्दर सीख देती रचना आप की ..<br />धन्यवाद आप का<br />naturecure के द्वारा November 8, 2011<br />आदरणीय शुक्ल जी<br />सादर प्रणाम<br />आदरणीय शशिभूषण जी की बात से मैं पूर्णतया सहमत हूँ |Surendra shukla" Bhramar"5https://www.blogger.com/profile/11124826694503822672noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-741081038972826577.post-61738653141021980792011-11-08T21:06:11.782-08:002011-11-08T21:06:11.782-08:00akraktale के द्वारा November 9, 2011
आदरणीय सुरेन्...akraktale के द्वारा November 9, 2011<br />आदरणीय सुरेन्द्र जी नमस्कार,<br />आपने अब पूरी तरह आदमी का चेहरा बे नकाब किया है. इससे पूर्व अबोध जी सिर्फ रा वन का सिर्फ ऊपर का मुख देख कर उसे ही आदमी का असली चेहरा बता रहे थे किन्तु आपने अब अन्य नौ चहरे भी दिखाए हैं.किन्तु मै उन्हें भी गलत नहीं मानता क्योंकि एक नजर में सर्व प्रथम आदमी का वाही चेहरा सामने नजर आता है. मगर पूरी हकीकत आपने अपनी चिर परिचित शैली में लिखी है धन्यवाद.<br /><br />surendr shukl bhramar5 के द्वारा November 9, 2011<br />प्रिय अशोक जी बहुत बहुत आभार आप का गलत कोई नहीं है एक ही चीज के एक ही सिक्के के दो पहलु होते हैं बड़ी ख़ुशी हुयी आप ने हमारी और अबोध जी की रचना को बहुत ही सुन्दर ढंग से स्पष्ट किया सुन्दर समीक्षा आप की- उन्होंने जिस प्रसंग में कहा जो देखा लिखा -उस समय वही भाव आते हैं उस समय व्यक्ति वही सोच जाता है -ऐसा ही होता है जज्बात तब जब कोई मारा जा रहा हो काटा जा रहा हो हम इतिहास न देखें तो ..<br />अपना स्नेह बनाये रखें …हम साधारण लोग आप से विद्वानों से सीख लेने के लिए हर पल लालायित हैं ..<br />भ्रमर ५<br />Santosh Kumar के द्वारा November 9, 2011<br />आदरणीय भ्रमर जी ,.सादर प्रणाम<br />मैं आदरणीय रमेश सर के उदगार चोरी ही कर लेता हूँ ,..<br />मनोभावो के इस कारुणिक अन्तर्द्वन्द को रेखांकित करना तभी संभव होता है जब खुद के भीतर<br />करुना की सहज धार हो | आपके अंतस में तो करुना का सागर ही भरा है |”…………..बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति ..हार्दिक बधाई<br /><br />surendr shukl bhramar5 के द्वारा November 9, 2011<br />प्रिय संतोष जी जब मन मिलते हैं -कुछ हमारे आप के गुण मिलते हैं तो हमारा एक दूसरे का कहा( वैसे ही जैसे चिड़िया चिड़िया की भाषा पर दौड़ आती है समझ लेती है दुःख दर्द ख़ुशी सब कुछ -) सब सहज ही समझ में आ जाता है मन भावुक हो जाता है कभी कभी तो आँखें भी भर आती हैं -<br />आप और बाजपेयी जी दोनों ही दिल से काफी भावुक और स्नेही लगे ..हम साधारण इंसान बस प्यार मोहब्बत दो पल का जीवन और है ही क्या ???<br />आभार<br />भ्रमर ५<br />Ramesh Bajpai के द्वारा November 9, 2011<br />प्रिय श्री शुक्ल जी मनोभावो के इस कारुणिक अन्तर्द्वन्द को रेखांकित करना तभी संभव होता है जब खुद के भीतर<br />करुना की सहज धार हो | आपके अंतस में तो करुना का सागर ही भरा है |<br />मै बाहर था , अब वापसी हुयी है | मिलना होता रहेगा | बधाई<br /><br />surendr shukl bhramar5 के द्वारा November 9, 2011<br />प्रिय बाजपेयी जी अभिवादन वापसी पर आप का स्वागत है ये तो आप का बड़प्पन और जर्रा नवाजी है जो आप ने ये पुरस्कार बख्शा -बहुत सही कहा आपने और ये वही इंसान समझ सकता भी है जो करुना और वेदना को अन्तः से झाँका हो आप के उदगार हमारी धरोहर हैं और जीवन में और कुछ करते रहने में प्रेरणादायी है ..<br />अपना स्नेह बनाये रखें<br />रचना आप के मन को छू सकी लिखना सार्थक रहा<br />भ्रमर ५<br />sumandubey के द्वारा November 8, 2011<br />शुक्ल जी नमस्कार, मानव की सभी श्रेष्ठता को आपने श्ब्द दिये है पर आज ये संवेदनाये मर रही है। बड़E दूख के साथ ये कहना पड़ रहा है।<br /><br />surendr shukl bhramar5 के द्वारा November 9, 2011<br />प्रिय सुमन दूबे जी अभिवादन बिलकुल सही आंकलन है आप के लेकिन किया ही क्या जाए उमीदों के सहारे जीना है और आशावान हो मानवीय गुणों को जीवित रखना है ..<br />आभार आप का<br />भ्रमर 5<br />nishamittal के द्वारा November 8, 2011<br />शुक्ल जी मानवीय मनोभावनाओं से परिपूर्ण बहुत भावों से परिपूर्ण रचना.<br /><br />surendr shukl bhramar5 के द्वारा November 9, 2011<br />आदरणीया निशा जी इस रचना ने मानवीय भावनाओं को भावों गुणों को कुछ दर्शाया ..आप से सुन बड़ी ख़ुशी हुयी आभार<br />भ्रमर ५<br />Rajkamal Sharma के द्वारा November 8, 2011<br />आदरणीय भ्रमर जी …. सादर अभिवादन !<br />आपकी इस रचना में एक कमी है_JAGRAN JANCUTION FORUM<br />लेकिन खुशी तो इसी बात की है की आपकी इस चूक के बावजूद<br />यह ख़ाक अपने खमीर वाले असली स्थान पर पहुँच ही गई है …..<br />बहुत ही सुंदर तरीके से दर्दनाक मंजर का चरित्र चित्रण (मानसिक ) किया है आपने<br />मुबार्कबाद और मंगलकामनाये<br />न्ये साल तक आने वाले सभी त्योहारों की बधाई<br /> <br /> <br /> <br /> <br /> <br />http://rajkamal.jagranjunction.com/2011/11/05/“भ्राता-राजकमल-की-शादी”/<br /><br />surendr shukl bhramar5 के द्वारा November 9, 2011<br />प्रिय राज भाई जय श्री राधे ..चलिए वो कमी आप सब और जागरण जंक्शन फोरम ने पूरा कर ही दिया ख़ुशी और बढ़ गयी जब सब आप सब की मर्जी से हो ..<br />इस रचना में दर्दनाक मंजर का चरित्र चित्रण (मानसिक ) हुआ आप से ये समीक्षा सुन और ख़ुशी हुयी ..<br />सच में इंसान हैवान और जानवर तो कतई नहीं है न …<br />अपना स्नेह बनाये रखें<br />भ्रमर ५Surendra shukla" Bhramar"5https://www.blogger.com/profile/11124826694503822672noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-741081038972826577.post-84434889105346058672011-11-08T18:34:18.626-08:002011-11-08T18:34:18.626-08:00आपके पोस्ट पर आना सार्थक लगा । मेरे नए पोस्ट पर आ...आपके पोस्ट पर आना सार्थक लगा । मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है । सादर।प्रेम सरोवरhttps://www.blogger.com/profile/17150324912108117630noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-741081038972826577.post-30948001611181351052011-11-08T04:48:40.240-08:002011-11-08T04:48:40.240-08:00बहुत सुन्दर कहा आप ने कविता जी ..काश आप की बातों प...बहुत सुन्दर कहा आप ने कविता जी ..काश आप की बातों पर लोग गौर करें ...अपना बोझ न धोएं जीवन पर्यंत ...<br />आभार आप का <br />भ्रमर ५Surendra shukla" Bhramar"5https://www.blogger.com/profile/11124826694503822672noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-741081038972826577.post-85414592696782572692011-11-08T03:54:40.011-08:002011-11-08T03:54:40.011-08:00सच जब तक आदमी के अन्दर इंसानियत है तब तक ही वह इं...सच जब तक आदमी के अन्दर इंसानियत है तब तक ही वह इंसान बना रह पाता है .....जन्म से आदमी बहशी जानवर तो नहीं होता लेकिन जब बन जाता है तो फिर इंसान होने के भ्रम में जीवन ढ़ोता रहता है....<br />बढ़िया सार्थक चिंतन.कविता रावत https://www.blogger.com/profile/17910538120058683581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-741081038972826577.post-19203943971089829752011-11-07T21:48:54.994-08:002011-11-07T21:48:54.994-08:00डॉ मोनिका शर्मा जी बहुत बहुत आभार आप का मानवीय गुण...डॉ मोनिका शर्मा जी बहुत बहुत आभार आप का मानवीय गुणों को आप ने बढावा दिया प्रशंसा किया ..लिखना सार्थक रहा <br />भ्रमर ५Surendra shukla" Bhramar"5https://www.blogger.com/profile/11124826694503822672noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-741081038972826577.post-68112153312961537992011-11-07T21:36:48.869-08:002011-11-07T21:36:48.869-08:00गहरी संवेदना लिए कविता ..... बहुत बढ़ियागहरी संवेदना लिए कविता ..... बहुत बढ़िया डॉ. मोनिका शर्मा https://www.blogger.com/profile/02358462052477907071noreply@blogger.com