BHRAMAR KA DARD AUR DARPAN

Tuesday, April 19, 2016

तुम तो जिगरी यार हो

तुम तो जिगरी यार हो
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दोस्त बनकर आये हो तो
मित्रवत तुम दिल रहो
गर कभी मायूस हूँ मैं
हाल तो पूछा करो ..?
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पथ भटक जाऊं अगर मैं
हो अहम या कुछ गुरुर
डांटकर तुम राह लाना
(मित्र है क्या ........?)
याद रखना तुम जरूर
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तुम हो प्रतिभा के धनी हे ! 
और ऊंचे तुम चढ़ो
पर न सीढ़ी नींव अपनी
सपने भी -भूला करो
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हे सखा या सखी मेरे
प्रेम के रिश्ते बने हैं
सम्पदा ये महत् मेरी
भाव भक्ति के सजे हैं
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जिसको मानो तुम प्रभू सा
मान नित दिल से करो
कृष्ण सा निज भूल करके
मित्र की पूजा करो
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जितने  गुण  हैं मित्र में  वो
ग्रहण कर तू बाँट दे
बांटने से और बढ़ता
परख ले पहचान ले
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सुख भी मिलता मन है खिलता
आत्म संयम जागता है
भय हमारा भागता है
ना अकेले हम धरा पर
संग तुम -परिवार हो
खिलखिला दो हंस के कह दो
तुम तो जिगरी यार हो
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सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर ५
कुल्लू हिमाचल भारत
१५.४.२०१६

८ पूर्वाह्न -८.१४ पूर्वाह्न 


दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं

Sunday, April 17, 2016

जन्म दिन मुबारक हो प्रिये

प्रिय मित्रों आज मेरी भार्या और जीवन संगिनी माधुरी का जन्म दिन है बड़ी मधुरता और माधुर्य से भरा रहा जीवन का हर पल  उनके साहचर्य में सहचरी हो तो ऐसी  जो जीवन के हर रंग में पति  का साथ दे, मीठी मीठी यादें सुहाना सफर सदा यादगार बना रहे  , खुशियों से गम न महसूस होने देने कि उनकी कला ,
 , , प्रभु से प्रार्थना है कि वे  इन्हे सदा इसी तरह  प्रेम से सराबोर रखें ,  करुणा रस छलके,    स्वास्थ्य और मन सदा प्रफुल्लित बना रहे ...
आशा है आप सब का आशीष और दुवाएं भी .....
भ्रमर ५






please be united and contribute for society ....Bhramar5


दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं

Friday, April 8, 2016

माता शैलपुत्री


नवरात्रों की शुरुआत माँ दुर्गा के प्रथम रूप माँ शैल पुत्री की उपासना के साथ होतीहै। शैलराज हिमालय की पुत्री के रूप में जन्मी माँ दुर्गा के इस रूप का नाम शैलपुत्री है। पार्वती और हेमवती इन्हीं के नाम हैं। माँ का वाहन वृषभ है और इनके दाएँ हाथ में त्रिशूल और बाएँ हाथ में कमल का फूल है।

वन्दे वांछितलाभाय चंद्रार्धक्रतशेखराम !
वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्री यशस्विनीम !!

शैलपुत्री माता जो यशस्विनी हैं, जिनके मस्तक पे आधा चन्द्र सुशोभित है, जो वृष पे आरुड़ हैं , इच्छित लाभ देने वाली हैं, उनकी हम वंदना करते हैं ..........
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आज माता रानी का आगमन हुआ पूजा पाठ से मन बहुत शांत हुआ 
...कलश स्थापना ..

.मन में अनुपम शांति समायी .अति सुन्दर मनोरम ..रामायण का पाठ भी प्रारम्भ हुआ 

..अब नौ दिन श्रीमती जी का व्रत भी रहेगा ..आनंद दाई क्षण ..

.माँ अम्बे हम सब के लिए हर क्षण मंगल करें ...सब शुभ हो ..सब को माँ सद्बुद्धि दें ..

जय माता दी

भ्रमर 5 .




दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं

Thursday, April 7, 2016

आंगन सूना बिन तुलसी के


आंगन सूना बिन तुलसी के
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भोर हुआ, थी रंग -बिरंगी आसमान में छाई बदली
इंद्रधनुष था गगन-धरा मंडप पर शोभित
पुष्प-अधर कलियाँ मुस्कातीं - जैसे गातीं
मन-भावन हे अनुपम छटा से दिल था मोहित !
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स्वर्ण झील ज्यों भारत माता उसमे अंकित
स्वर्ण रश्मि बरसाते सूरज कण-कण झंकृत
जय-जय-जय उद्घोष सा कलरव- थे सातों सुर
नाना  वर्ण की चिड़ियाँ पूरब- स्वर्ग जमीं पर
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ऊंचे-ऊंचे पर्वत वन थे - शांत झील को घेरे
प्रहरी वन जी जान निछावर करते जैसे वर्फ-गोद में सोये
माँ से शीतलता पाने को -योग ध्यान में  खोये  
पाते और लुटाते पल -पल पाप हरे ज्यों तेरे -मेरे
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पर्यावरण को शुद्ध रखे हम आओ पौधे और लगाएं
स्वच्छ वायु में सांस भी ले लें जीवन-जल भी पाएं
कंक्रीट का जंगल विन जल पशु -पक्षी ना आएं
आंगन सूना -विन तुलसी के -दीपक कल फिर कौन जलाए ?
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सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर ५
कुल्लू हिमाचल भारत
६ अप्रैल २०१६

८.३० पूर्वाह्न -९ पूर्वाह्न


दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं