BHRAMAR KA DARD AUR DARPAN

Monday, February 29, 2016

मेरे घर के बगल कौन है ?


मेरे घर के बगल कौन है ?
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मेरे घर के बगल कौन है ?
सन्त महाजन या आतंकी
मंथन आओ कर लें प्यारे
भूख है हम को कितनी धन की ,,,
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प्रेम क्रोध या घृणा ईर्ष्या
जांचो परखो क्या कुछ  देते
मारो-काटो ले लो बदला ??
जीवन क्षण भंगुर कर देते ..
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मानव योनि है दुष्कर पाए
संस्कार भारत भू आये
अच्छा -अच्छाई चुन लें
घर आँगन से नीव ये रख लें ..
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मात-पिता सन्तति मन झांकें
सखा भाव रख मन को आंकें
कौन कोयला- हीरा परखें 
बनें जौहरी सदा तराशें  ...
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अन्धकार जब बंद द्वार   हों
निरखें आओ भरें उजाला
नफरत घृणा अकेलेपन को
दूर करें रख भाई चारा ..
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बारूदों विस्फोट में जल-जल
क्यों मरते घुट जलते तिल-तिल
ज्वालाओं से जल सब हारा
खो अपना जग कौन है जीता ...
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सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर
कुल्लू हिमाचल भारत

२५-जनवरी -२०१६




दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं

4 comments:

  1. आदरणीया डॉ मोनिका जी हार्दिक आभार प्रोत्साहन हेतु
    भ्रमर ५

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  2. प्रशंसनीय

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  3. राकेश भाई रचना को आप ने सराहा मन खुश हुआ आभार भ्रमर ५

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दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं
अभिनन्दन आप का ,हिंदी बनाने का उपकरण ऊपर लगा हुआ है -आप की प्रतिक्रियाएं हमें ऊर्जा देती हैं -शुक्ल भ्रमर ५