BHRAMAR KA DARD AUR DARPAN

Thursday, January 28, 2016

माया का जंजाल बनाये

माया का जंजाल बनाये
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मृग नयनी
दो नैन तिहारे
प्यारे प्यारे
प्यार लुटाते
भरे कुलांचे
इस दिल उस दिल
घूम  रहे  हैं
मोहित करते
माया का जंजाल बनाये
सारे तन-मन
 जीत रहे हैं
फिर भी अकुलाये
ये नैना
बिन बोले
कहते कुछ बैना
ढूंढ रहे क्या ?
प्रेम पिपासु
जंगल में भी
आग लगी  है
है बारूद घुला
उस झरना
तरु पौधे सब
झुलस रहे हैं
भाग रहे सब
शांति कहाँ है
गाँव नगर या
शहर कहीं से
लगता-
मानव यहां भी आया
धुंआ  उठा है 
कोहरा छाया
सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर ५
९.२५-९.५७ २५.०१.२०१५

कुल्लू हिमाचल भारत



दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं

Thursday, January 14, 2016

मकर संक्रांति और पोंगल की ढेर सारी हार्दिक शुभ कामनाएं




सभी प्रिय मित्रों को लोहड़ी , मकर संक्रांति और पोंगल की ढेर सारी  हार्दिक शुभ कामनाएं /





किसी ने कितना सुन्दर लिखा भी है
मंदिर की घंटी आरती की थाली
नदी के किनारे सूरज की लाली
जिंदगी में आये खुशियों की बहार
आप सब को मुबारक हो मकर संक्रांति का ये पावन त्यौहार



दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं

Friday, January 1, 2016

आओ प्रियवर स्वागत कर लें (नए वर्ष का)

आओ प्रियवर स्वागत  कर लें (नए वर्ष का)
नव विहान में नयी ताजगी कण कण भर लें
दिल दिमाग मन  मुक्त भाव से
नेह करें हम गले लगाएं शुभ सब लाएं
ऊषा सज-धज स्वागत करती देखो आई
नूपुर छन-छन स्वर्ण रश्मियाँ धरती लाई
जंगल-मंगल , हिम आच्छादित श्वेत पहाड़ी
खिले फूल मन-हर झरने हैं बदली छाई
रंग-बिरंगी ! अमृत वर्षा -नयी कहानी रचने आई
कल जो  स्याह अँधेरा-धुंधला धोने आयी
नया उजाला भर के राह दिखाने  आयी
मन-मौसम सच सब है बदला खुशियाँ छाई
आओ भर लें जोश होश  से रचते जाएँ
थकें नहीं -दें दान- छीने तो सुख पाएं
जो भटके हैं भ्रमित हुए पथ -गेह -नेह से फिर जाएँ
ना हो भय आतंक कहीं भी -शान्ति सुकूँ से सब सो पायें
स्वच्छ रखें परिवेश -स्वच्छ तो तन मन अपना
विश्व गुरू बन राज करें हम पूरा कर लें अपना सपना
मूल-भूत सारी सुविधाएँ जब हर जन पाएं
सम समाज हो कमल दिलों का खिलता जाए
सुरेन्द्र कुमार शुक्ल 'भ्रमर ५'
कुल्लू-मनाली
हिमाचल

१-१-२०१६ , ८-५५ पूर्वाह्न



दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं