BHRAMAR KA DARD AUR DARPAN

Monday, August 24, 2015

नर्सिंग होम

नर्सिंग होम 
कुकुरमुत्ते सा उगा 
व्यापार  का नया धंधा 
फलता -फूलता 
ना हो कभी मंदा 
मेडिकल वाले उन्हें ही 
अच्छा बताते हैं 
रिक्शे वाले भाई 
पकड़ यहाँ लाते हैं 
भाड़ा नहीं - 'कमीशन' ले जाते हैं 
अच्छा सा होटल है -ए.सी. है 
हीटर है, गीजर है 
टी वी है केबल है 
पानी की बोतल-ग्लूकोज है 
काफी हाल में बस 
चहल -पहल -दिखता है 
गली नुक्कड़ -चौराहे पर 
खुले -होटल से शो -रूम 
सजी नर्सें केरल से -
कन्या कुमारी का झरोखा दिखाती है 
पांच सौ रूपये में रखी -
कुछ जूनियर डाक्टर्स भी 
जबरन मुस्का जाते हैं 
बड़े बड़े बोर्ड -दस-काबिल डाक्टर 
लिखे दिख जाते हैं 
भर्ती होने के बाद -चीखते - मरते 
बमुश्किल -एक -नजर आते हैं 
भर्ती से पहले -
जेब तलाश ली जाती है 
फिर उपचार -आपरेशन 
जंग -शुरू हो जाती है 
अपनी टांगों पर चल के निकलें 
या चार कन्धों पर 
पहले पूरी रकम -पूँजी 
जमा कर ही -छुट्टी दी जाती 
बेबस लाचार जो केवल 
रोटी ही जाने हैं 
डॉक्टर बाबू को  भगवान माने हैं 
नहीं जानें एक - दो 
क्या जानें किडनी - खून 
बच बचा के जान 
बेचारे कुछ दिन में 
चोरी से भागे हैं !!
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सुरेन्द्र कुमार शुक्ल "भ्रमर "५ 
प्रतापगढ़ उ.प्र.२६.०७.२०११

६.१५ पूर्वाह्न जल पी बी 



दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं

1 comment:

  1. आदरणीया डॉ मोनिका जी आभार रचना को पढ़ने और इसमें भरा दर्द समझने हेतु
    भ्रमर ५

    ReplyDelete

दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं
अभिनन्दन आप का ,हिंदी बनाने का उपकरण ऊपर लगा हुआ है -आप की प्रतिक्रियाएं हमें ऊर्जा देती हैं -शुक्ल भ्रमर ५