BHRAMAR KA DARD AUR DARPAN

Wednesday, April 1, 2015

बस दो दिन और ---



खाना खाना। अम्मी  खाना  दे ! चिड़चिड़ाता काँपता बच्चा अब चीखने लगा था --- महीनों से दौड़ी भागी थकी हारी माँ का सपना टूट चुका  था -छोटा बच्चा रोये जा रहा था।  गर्म बदन तेज चलती साँसे नींद उड़ा रही थी काले बादल छंटते से दिख रहे थे।  भोर का उजाला कुछ कुछ आस बंधा रहा था किरण आएगी तो कुछ कुछ तो जीवन मिलेगा ही , गोद में सिर  रखे बच्चे  को थपकी देती विमला ढांढस बंधाती जीवन दान देती जा रही थी।  माँ जो है !
अपनी बपौती खुले आसमान , पेड़ के नीचे दो पीढ़ी से तो यहीं जमी थी , सास ससुर पति यहीं -- इसी जगह से अलविदा ---
तभी विजली चमकी तेज बूँदें -एक पोटली - भीगता कम्बल -- मुन्ने को लिए वो रेन बसेरा की तरफ भागी --
हालत बदलेंगे , कालोनी बनेगी , अपने सिर पर छत होगी , लाखों कैमरे होंगे अपनी गरीबी देखेंगे , कम्प्यूटर पर खाना होगा , पकवान , दवाई ---
ठोकर लगी , गिरी विमला उठी , …रैन बसेरे में भीड़ , कोई पाँव फैला चुका था --
पैर एक कोने घसीट , भीगा कम्बल मुन्ने को ओढाती वो फफक फफक रो पड़ी , बस दो दिनों में वोटों की
गिनती ---
अम्मी दो दिन में तो मै भूखा मर -----
चुप कर -- उसके होंठ उँगलियों से बंद करती विमला सिसक पड़ी ---
बस दो दिन और जी ले मेरे मुन्ने ---

सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर
6. -6 . 3 8 पूर्वाहन
रविवार //२०१५
कुल्लू हिमाचल प्रदेश भारत





दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं

14 comments:

  1. झूठे आश्वासनों के मकडजाल में फंसे आदमी की व्यथा की सटीक अभिव्यक्ति...बहुत मर्मस्पर्शी लघु कथा ..

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  2. प्रिय कैलाश भाई रचना के दर्द को आप ने गहराई से समझा हार्दिक ख़ुशी हुयी आभार आप का
    भ्रमर ५

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  3. बहुत मर्मस्पर्शी कहानी.
    नई पोस्ट : रुके रुके से कदम

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  4. प्रिय राजीव भाई कहानी मर्मस्पर्शी लगी लिखना सार्थक रहा प्रोत्साहन हेतु आभार
    भ्रमर ५

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  5. मार्मिक प्रस्तुति
    माँ मरकर भी अपने बच्चे को जिन्दा रखती हैं तभी तो वह माँ कहलाती है ..

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  6. आदरणीया कविता जी रचना के दर्द को आप ने समझा और प्रोत्साहन मिला आपसे ख़ुशी हुयी
    आभार
    भ्रमर ५

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  7. यही तो है जन मन :बस दो दिनों में वोटों की गिनती ........बिम्ब सशक्त हमारे वक्त का। शुक्रिया भ्रमर भाई।

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  8. आदरणीया मोनिका जी जय श्री राधे ..रचना ने आप के मन को छुआ और आप ने आम के दर्द दो समझा ख़ुशी हुयी
    आभार
    भ्रमर ५

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  9. राम राम वीरेंद्र भाई जी ..लेख पर आप से प्रोत्साहन मिला बड़ी ख़ुशी हुयी हमारा जन समाज आम बड़ा भोला है ही
    आभार
    भ्रमर ५

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  10. बहुत ही सुंदर रचना।

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  11. बहुत मर्मस्पर्शी लगी कहानी !

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  12. सुमन जी आभार प्रोत्साहन हेतु
    जय श्री राधे
    भ्रमर ५

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  13. कहकशां खान जी आभार प्रोत्साहन हेतु ये लघु लेख आप के मन को छू सका सुन ख़ुशी हुयी

    भ्रमर ५

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दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं
अभिनन्दन आप का ,हिंदी बनाने का उपकरण ऊपर लगा हुआ है -आप की प्रतिक्रियाएं हमें ऊर्जा देती हैं -शुक्ल भ्रमर ५