BHRAMAR KA DARD AUR DARPAN

Saturday, March 14, 2015

ख्वाबों में आया राम-राज्य

भोला हूँ मै, भोले शिव सा
भगवान द्वार मेरे आये
प्रेम हमारा यों उपजा –
बस कृष्ण -सुदामा दृग छाये
—————————————
ख्वावों से रिश्ते जोड़ लिए
ढह गयी हकीकत महलों सी
मन के पंखे हैं , ख्वाब खिले-
माँ -बाप ! गयी गर जमीं सभी
——————————
श्रम किया बहुत पग छाले हैं
कुछ भरा उदर , सपने तो इतने सारे हैं
पानी , बिजली , छत रोजगार
शिक्षा संस्कृति अब ना गुहार !
————————————
ख्वाबों में आया राम-राज्य
धरती अपनी अब स्वर्ग बनी
महका गुलशन चिड़ियाँ चहकीं
‘आम’ ही क्षत्रप घर सुराज्य
——————————–
झूठ -फरेब दुष्ट दुःशासन
मिटे सभी -सपने प्यारे हम देख रहे
पैठे गृह अब भी सब बलात्
कब सोएं रावण -राक्षस हैं ताक रहे
————————————–
जो ओज ऊर्जा कण-कण भर
हमने इतिहास बदल डाला
आओ खोलें दृग पल-पल रच
बदलें -मानस मन नया नया
———————————
जब मिटे ईर्ष्या—पाखंड झूठ
सच पनपेगा —-तब ह्रदय प्रेम
फिर भोर —उजाला दिव्य रूप
साधन सुख -ज्ञान गीता के बस कर्म योग
——————————————–
सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर ५
४-५.३५ पूर्वाह्न
कुल्लू हिमाचल



दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं

6 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (15-03-2015) को "ख्वाबों में आया राम-राज्य" (चर्चा अंक - 1918) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

    ReplyDelete
  2. आदरणीय शास्त्री जी आप के स्नेह से गदगद हुआ मन आभार
    भ्रमर ५

    ReplyDelete
  3. बहुत सुंदर प्रस्‍तुति।

    ReplyDelete
  4. बहुत सुंदर रचना,आ. भ्रमर जी.
    नई पोस्ट : बीत गए दिन

    ReplyDelete
  5. प्रिय राजीव भाई आभार प्रोत्साहन हेतु
    भ्रमर ५

    ReplyDelete
  6. प्रिय कहकशां खान जी स्वागत है आप का यहां ..बहुत अच्छा लगा आप से प्रोत्साहन मिला रचना आप के मन को छू सकी सुन हर्ष हुआ आभार भ्रमर ५

    ReplyDelete

दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं
अभिनन्दन आप का ,हिंदी बनाने का उपकरण ऊपर लगा हुआ है -आप की प्रतिक्रियाएं हमें ऊर्जा देती हैं -शुक्ल भ्रमर ५