BHRAMAR KA DARD AUR DARPAN

Wednesday, April 9, 2014

अलबेला जी को विनम्र और हार्दिक श्रद्धांजलि





कल अचानक फेस बुक पर मिली खबर से दिल झन्न हो उठा कि हमारे प्यारे दुलारे नेक इंसान अलबेला जी हम सब को विलखता सोचता छोड़ इस नश्वर संसार से विदा हो गए कुछ दिनों से फेफड़ों में इंफेक्शन से परेशान थे और सूरत के नानपुरा स्थित महावीर कॉमा  अस्प्ताल में कॉमा में अंतिम साँसे ले सब कुछ छोड़ चले !
अलबेला खत्री जी एक महान हास्य कलाकार थे जो करीब २६ वर्षों से ६००० मंचो पर भारत तथा भारत के बाहर मंचन कर चुके थे वे एक हास्य कलाकार के साथ ,  कविता लेखन , कहानी और लेख लेखन , अभिनय , गीतों की धुन बनाने में भी माहिर थे और अपने गीत गायन से मन जीत लेने वाले भी थे कोई अहं नहीं था एक सादगी भरे मिलनसार इंसान थे  इन्हे टीपा  और बागेश्वरी पुरस्कार भी मिल चुका है , इनकी रचनाओं  का रसास्वादन इन के ब्लॉग पर  भी लिया जा सकता है http://albelakhari.blogspot.in/

आज के युग में किसी को हँसाना कितना कठिन कार्य है लेकिन वे ये दवा आजीवन बांटते रहे एक महान  हास्य कलाकार जहां जिससे मिलते उसके दिल में घर कर लेते कुछ दिनों से जब से हम ओपन बुक्स आन लाईन मंच पर मिले बातें दिलों की सांझा होती रहीं बड़ा आनंद आता था एक अजब मिठास और अब यादें ही यादें सूनापन , एक रिक्त स्थान। . प्रभु उनकी आत्मा को शान्ति दे और उनके करीबी जन को ये दुःख सहने की शक्ति। .
भ्रमर ५


दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं

8 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज बृहस्पतिवार (10-04-2014) को "टूटे पत्तों- सी जिन्‍दगी की कड़ियाँ" (चर्चा मंच-1578) पर भी है!
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    स्व. अलबेला खत्री जी को श्रद्धांजलि...
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज बृहस्पतिवार (10-04-2014) को "टूटे पत्तों- सी जिन्‍दगी की कड़ियाँ" (चर्चा मंच-1578) पर भी है!
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    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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    स्व. अलबेला खत्री जी को श्रद्धांजलि...
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  3. आदरणीय शास्त्री जी आभार ..इस क्षणभंगुर शरीर के सब कुछ छोड़ जाने को आप ने टूटे बिखरे पत्ते से तुलना की रचना को मान दिया और चर्चा मंच के लिए चुना प्यारे अलबेला जी को श्रद्धांजलि ...
    भ्रमर ५

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  4. श्रद्धांजलि विनम्र !

    सहमत जो भी आपने इस नेक पुरुष के विषय में लिखा है :


    कल अचानक फेस बुक पर मिली खबर से दिल झन्न हो उठा कि हमारे प्यारे दुलारे नेक इंसान अलबेला जी हम सब को विलखता सोचता छोड़ इस नश्वर संसार से विदा हो गए कुछ दिनों से फेफड़ों में इंफेक्शन से परेशान थे और सूरत के नानपुरा स्थित महावीर कॉमा अस्प्ताल में कॉमा में अंतिम साँसे ले सब कुछ छोड़ चले !
    अलबेला खत्री जी एक महान हास्य कलाकार थे जो करीब २६ वर्षों से ६००० मंचो पर भारत तथा भारत के बाहर मंचन कर चुके थे वे एक हास्य कलाकार के साथ , कविता लेखन , कहानी और लेख लेखन , अभिनय , गीतों की धुन बनाने में भी माहिर थे और अपने गीत गायन से मन जीत लेने वाले भी थे कोई अहं नहीं था एक सादगी भरे मिलनसार इंसान थे इन्हे टीपा और बागेश्वरी पुरस्कार भी मिल चुका है , इनकी रचनाओं का रसास्वादन इन के ब्लॉग पर भी लिया जा सकता है http://albelakhari.blogspot.in/

    आज के युग में किसी को हँसाना कितना कठिन कार्य है लेकिन वे ये दवा आजीवन बांटते रहे एक महान हास्य कलाकार जहां जिससे मिलते उसके दिल में घर कर लेते कुछ दिनों से जब से हम ओपन बुक्स आन लाईन मंच पर मिले बातें दिलों की सांझा होती रहीं बड़ा आनंद आता था एक अजब मिठास और अब यादें ही यादें सूनापन , एक रिक्त स्थान। . प्रभु उनकी आत्मा को शान्ति दे और उनके करीबी जन को ये दुःख सहने की शक्ति। .
    भ्रमर ५


    दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं

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  5. bahut dukhad samachar hai ...kitna nashvar hai ye sansar...eeshvar unki aatma ko shanti pradaan kare..

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  6. आदरणीय वीरेंद्र भाई जी आभार ..आप इस दुखद घडी में शामिल हुए और अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की ...ये जीवन पानी का बुलबुला ही है
    भ्रमर ५

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  7. आदरणीया शारदा जी आभार ...एक नेक इंसान को याद ही तो अब रखा जा सकता है और क्या ...ये मर्त्य संसार और माटी ये शरीर ...
    भ्रमर ५

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  8. विनम्र श्रद्धांजलि

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दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं
अभिनन्दन आप का ,हिंदी बनाने का उपकरण ऊपर लगा हुआ है -आप की प्रतिक्रियाएं हमें ऊर्जा देती हैं -शुक्ल भ्रमर ५