BHRAMAR KA DARD AUR DARPAN

Friday, September 27, 2013

भारत माँ की बड़ी दुलारी हिंदी रानी

भारत माँ की बड़ी दुलारी हिंदी रानी
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सीधी सादी नेक बड़ी हूँ दिल की रानी
भारत माँ की बड़ी दुलारी हिंदी रानी
मै महलो हूँ गाँव बसी हूँ जंगल में भी
आदि काल से जन-जन में हूँ आदिवासी
कुछ सुधरो कुछ मुझे सुधारो चाह यही
मन में झांको हीरा-पन्ना सगुण भरी
मुझे  सजाओ रूप संवारो मै महरानी
भारत माँ की बड़ी दुलारी हिंदी रानी
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बड़ा दर्द होता है सुन-सुन अंग्रेजी महरानी
घर की देवी छोड़ पूजते बनते गए विदेशी
कोमल संस्कार बच्चों के छीने घूँट पिलाये
आधी हिंदी इंग्लिश आधी खिचड़ी उन्हें खिलाये
सौतन कितना प्रेम करेगी क्या ये समझ न आये
मान दिया है घर में रखा तेरी खातिर मान गँवाए
अन्तः झांको धनी  बहुत हूँ सरस्वती वरदानी
भारत माँ की बड़ी दुलारी हिंदी रानी …………..
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आकाशवाणी दूरदर्शन विद्यालय नैतिकता लाओ
रेडिओ स्टेशन टी वी सेंटर स्कूल टेबल ना मन लाओ
अधकचरा अधपके ज्ञान से ना साक्षात्कार कराओ
एम्प्लाई इम्प्लायर मन को हिंदी के रुख लाओ
पत्र पत्रिका ग्रन्थ या पुस्तक हिंदी सारी छपवाओ
मेरे रूप में झांको  लिख दो चिट्ठे बहुत बनाओ
लेख लिखो तुम कविता लिख दो तकनीकें लिख डालो
ज्ञान भरा है निज भाषा में विश्व गुरु बन छाओ
उन्हें भी दे दो धनी बनो तुम मै लक्ष्मी महरानी
भारत माँ की बड़ी दुलारी हिंदी रानी …………..
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हर्षित मै हूँ कुछ ने समझा मुझे पूजते हिंदी रानी
आओ जुडो और कुछ भाई  बहन सभी हूँ देवनागरी
सुन्दर सुघड़ बड़े गुण वाली समृद्ध तुम्हे बनाऊँगी
जन-जन में पहचान दिला के तुझको ताज पिन्हाऊँगी
भारत -भाषा संस्कृति अपनी नेह प्रेम ले तुझमे बसती
मुझको लो पहचान अभी भी ना मानो मुझको तुम सस्ती
अधजल गगरी छलके जाए मै ‘प्रिय’ गागर-सागर
कर मंथन हे ! अमृत पा ले हिंदी संग बन "मानव"
दूध की नदिया सोने चिड़िया खान भरी मै रानी
भारत माँ की बड़ी दुलारी हिंदी रानी ....................
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"मौलिक व अप्रकाशित"
सुरेन्द्र कुमार शुक्ल 'भ्रमर'
24.09.2013 6.19-7.03 पूर्वाह्न
प्रतापगढ़
वर्तमान -कुल्लू हिमाचल प्रदेश
भारत


दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं

7 comments:

  1. सुरेन्द्र कुमार जी ,आपकी कविता के हर छंद बहुत सुन्दर है और अर्थपूर्ण है
    नई पोस्ट साधू या शैतान
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  2. बहुत ही सुन्दर रचना! आपको हार्दिक बधाई!

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  3. प्रिय कालीपद जी रचना के सभी छंद आप को भाये सुन ख़ुशी हुयी जय हिंदी जय हिन्द
    आभार
    भ्रमर ५

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  4. प्रिय राजीव भाई सराहना के लिए आभार
    जय हिंदी जय हिन्द
    आभार
    भ्रमर ५

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  5. प्रिय नीरज जी प्रोत्साहन के लिए आभार
    जय हिंदी जय हिन्द
    आभार
    भ्रमर ५

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  6. प्रिय धीरेन्द्र भाई रचना आप को भाव पूर्ण लगी लिखना सार्थक रहा
    जय हिंदी जय हिन्द
    आभार
    भ्रमर ५

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दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं
अभिनन्दन आप का ,हिंदी बनाने का उपकरण ऊपर लगा हुआ है -आप की प्रतिक्रियाएं हमें ऊर्जा देती हैं -शुक्ल भ्रमर ५