BHRAMAR KA DARD AUR DARPAN

Friday, August 23, 2013

कुंठित मन

कुंठित मन
===============

वंजर धरती को जोते हम
डाल उर्वरक हरा बनाये
सालों साल वृथा मिटटी जो
आज हँसे लहके लहराए !

कुंठित मन को कुंठा से भर
दुखी रहें क्यों हम अलसाये
कुंठित बीज हरी धरती में
कुंठित फसल भी ना ला पायें !

नाश करें खुद के संग धरती
वंजर  वृथा ह्रदय अकुलाये
जोश उर्जा क्षीण हो निशि दिन
ख़ुशी हंसी मन को खा जाए !

सहज सरल भी चुभें तीर सा
बिन बात बतंगड़ बनती जाए
घुन ज्यों अंतर करे खोखला
दिखता कुछ होता कुछ जाए !
हरे वृक्ष बन ठूंठ सडे कुछ
क्या जीवन , क्यों जीवन पाए ?
आओ तम से उबरें, भरें उजास -
ऊर्जा ! कूदें उछलें नाचें गायें !

हो आनंदित मन जब अपना
हो साकार तभी सब सपना
साधें लक्ष्य एकलव्य बन
अर्जुन भीष्म सा करें चित्त हम !

कुरुक्षेत्र हो या लंका रण
लिए सीख मन मन्त्र बढ़ें हम !

जित जाएँ उत राह बनायें
खुद तो चलें सभी बढ़ पायें
मिले हाथ से हाथ कदम तो
हो जय घोष विजयश्री आये !
----------------------------------

सुरेन्द्र कुमार शुक्ल ' भ्रमर ५'
प्रतापगढ़ उ प्र
(कुल्लू हिमाचल )
रचना -बरेली -मुरादाबाद मार्ग
३.-३. ४ ५ लौह पथ गामिनी में

२७ .० ७  -२ ० १ ३


17 comments:

  1. हो आनंदित मन जब अपना
    हो साकार तभी सब सपना
    साधें लक्ष्य एकलव्य बन
    अर्जुन भीष्म सा करें चित्त हम !

    मन की जीत जरुरी है बाकी राहें आसां हो ही जाती हैं
    सुन्दर, आभार !

    ReplyDelete
  2. प्रिय राजीव जी आप ने इस ब्लॉग का समर्थन किया हार्दिक ख़ुशी हुयी अभिनंदन आप का ...रचना को सराहा भी सोने पर सुहागा आभार
    भ्रमर ५

    ReplyDelete
  3. प्रिय शिवनाथ जी सच कहा आप ने
    मन की जीत जरुरी है बाकी राहें आसां हो ही जाती हैं
    प्रोत्साहन हेतु आभार

    भ्रमर ५

    ReplyDelete
  4. सुंदर सृजन लाजबाब प्रस्तुति,,,बधाई,सुरेन्द्र जी,,,

    RECENT POST : सुलझाया नही जाता.

    ReplyDelete
  5. बहुत बढ़िया -
    आभार आदरणीय-

    ReplyDelete
  6. नमस्कार आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (25-08-2013) के चर्चा मंच -1348 पर लिंक की गई है कृपया पधारें. सूचनार्थ

    ReplyDelete
  7. आदरणीय भ्रमर जी, बहुत ही खूबसूरत लेखन |
    “जीवन हैं अनमोल रतन !"

    ReplyDelete
  8. प्रिय धीरेन्द्र भाई आभार स्नेह बनाये रखें कृपया
    भ्रमर ५

    ReplyDelete
  9. प्रिय रविकर जी आप ने सराहा मन खुश हुआ आभार
    भ्रमर ५

    ReplyDelete
  10. प्रिय अनंत जी रचना को आप ने मान दिया और चर्चा मंच में स्थान मिला ख़ुशी मिली आभार
    भ्रमर ५

    ReplyDelete
  11. प्रिय अजय जी सराहना के लिए आभार
    भ्रमर ५

    ReplyDelete
  12. प्रिय कुलदीप जी अभिनंदन आप का इस ब्लॉग के समर्थन हेतु अपनी राय भी देते रहिये लिखते रहें
    भ्रमर ५

    ReplyDelete
  13. बहुत सुन्दर प्रस्तुति। ।

    ReplyDelete
  14. प्रिय काली पद जी आभार प्रोत्साहन हेतु
    अभिनंदन समर्थन हेतु
    भ्रमर ५

    ReplyDelete
  15. आदरणीया प्रतिभा जी रचना की प्रस्तुति आप को अच्छी लगी सुन ख़ुशी हुयी
    अभिनंदन आगमन पर
    भ्रमर ५

    ReplyDelete

दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं
अभिनन्दन आप का ,हिंदी बनाने का उपकरण ऊपर लगा हुआ है -आप की प्रतिक्रियाएं हमें ऊर्जा देती हैं -शुक्ल भ्रमर ५