हमारे सभी प्यारे
दुलारे कान्हा गोपियों राधे माँ को प्रभु
कृष्ण के जन्म पर ढेर सारी हार्दिक शुभ
कामनाएं सब मंगल हो
आइये एक बार खुले
दिल से जोर से बोलें
प्रभु श्री कृष्ण
की जय
हरे कृष्ण -हरे
राम राम राम हरे हरे............
और रात के बारह
बजे तक कान्हा के संग बाल गोपाल बन के
ध्यान और आराधना में डूब जाएँ
श्याम हमारे नान्हे कान्हा मनमोहन हैं भाई
मोर पंख संग रत्न
जड़े हैं
कारे घुंघराले
हैं बाल
माथे तिलक चाँद
सोहे है
सूरज सम चमके है
भाल
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सुन्दर भृकुटी
मन-मोहक है
मोर पंख ज्यों
घेरे नैना
तीन लोक दर्शन
अँखियन में
अजब जादुई वशीकरण
कान्हा के नैना
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मुख-मण्डल यों
आभा बिखरी
मन-मोहन खिंचते
सब आयें
कोई दधि ले माखन कोई
आतुर छू लें कैसे
दर्शन पायें
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कर्ण कपोल गाल पे
कुण्डल
हहर -हहर जाए
भक्तन मन
लाल होंठ ज्यों
बोल पड़ेंगे
खुले दिखे मुख
जीव जगत सब
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दमकत लपकत हार
गले है
ज्यों
दामिनि छवि धरती -अम्बर
दर्द मोह माया सब
भूले
प्रभु चरणों सब
मिलता सम्बल
रंग -बिरंगे पट
आच्छादित
मुरली खोंसे हैं करधन
गाय, ग्वाल सखियाँ आह्लादित
पुलकि-पुलकि
हैं खिले सभी मन
श्याम हमारे
नान्हे कान्हा मन-मोहन हैं भाई
मातु देवकी यसुदा
माता आज धन्य हर माई
पूत जने ललना यों
लायक घर घर बाजे थाली
गद-गद ढोल नगाड़े
तासे, मथुरा वृन्दावन काशी
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सुरेन्द्र कुमार
शुक्ल 'भ्रमर'
५ .० ५ - ५ . ३ ५
मध्याह्न
कृष्ण जन्माष्टमी
प्रतापगढ़
कुल्लू हिमाचल
दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं