BHRAMAR KA DARD AUR DARPAN

Wednesday, April 24, 2013

छोटी -छोटी बातें



छोटी छोटी बातों पर 
अनायास ही अनचाहे 
मन मुटाव हो जाता है 
दुराव हो जाता है 
दूरी बढ़ जाती है 
हम तिलमिला जाते हैं 
मौन हो जाते हैं 
अहम भाग जाता है 
मन का यक्ष प्रश्न बार बार 
झकझोरता है 
कुरेदता है 
हम बड़े हैं  फले-फूले हैं 
हम देते हैं पालते हैं 
पोसते हैं 
न जाने क्यों फिर लोग 
हमे ही झुकाते हैं -नोचते हैं 
वैमनस्य --मारते हैं  पत्थर 
कैसा संसार ??
और वो बिन बौर-आये 
बिना फले -फूले 
ना जाने कैसे -सब से 
पाता दया है 
रहमो करम पे 
जिए चला जाता है 
पाता दुलार !!
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माँ ने मन जांचा -आँका 
पढ़ा मेरे चेहरे को -भांपा 
नम आँखों से -सावन की बदली ने 
आंचल से ढाका 
फली हुयी डाली ही 
सब ताकते हैं 
उस पर ही प्यारे -सब 
नजर -गडाते हैं 
लटकते हैं -झुकाते हैं 
पत्थर भी मारते हैं 
अनचाहे -व्याकुल हो 
तोड़ भी डालते हैं 
रोते हैं -कोसते हैं 
बहुत पछताते हैं 
नहीं कोई वैमनस्य 
ना कोई राग है 
अन्तः में छुपा प्यारे 
ढेर सारा 
उसके  प्रति प्यार हैं 
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मन मेरा जाग गया 
अहम कहीं भाग गया 
टूटा-खड़ा हुआ मै
फिर से बौर-आया 
हरा भरा फूल-फूल 
सब को ललचाया 
फिर वही नोंच खोंच 
पत्थर की मार !
हंस- हंस -मुस्काता हूँ 
पाता दुलार !
वासन्ती झोंको से 
पिटता-पिटाता मै 
झूले में झूल-झूल 
बड़ा दुलराता हूँ 
हंसता ही जाता हूँ 
करता दुलार !!
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शुक्ल भ्रमर ५ 
कुल्लू यच पी 
३०.३.१२ -४.४५-५.११ पूर्वाह्न 







दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं

12 comments:

  1. तीनों ही रचनाएँ मन को जाग्रत कर गईं .... मर्मस्पर्शी भाव

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  2. आदरणीया डॉ मोनिका जी ख़ुशी हुयी रचना आप के मन को छू सकी ..छोटी छोटी बातें गौर करने लायक होती ही हैं
    भ्रमर ५

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  3. प्रशंसनीय

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  4. मर्मस्पर्शी भाव सुन्दर रचना .........

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  5. प्रिय राकेश जी प्रोत्साहन के लिए आभार
    भ्रमर ५

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  6. आदरणीया डॉ संध्या जी रचना आप को प्रभावित कर सकी सुन हर्ष हुआ
    जय श्री राधे
    भ्रमर ५

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  7. आदरणीया डॉ निशा जी छोटी छोटी बातों के प्रभाव की कथा वाली ये रचना की अभिव्यक्ति और भाव आप के मन को छू सके सुन ख़ुशी हुयी
    भ्रमर ५

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  8. आपकी यह सुन्दर रचना दिनांक 14.06.2013 को http://blogprasaran.blogspot.in पर लिंक की गयी है। कृपया देखें और अपना सुझाव दें।

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  9. बहुत खूब .जाने क्या क्या कह डाला इन चंद पंक्तियों में

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  10. प्रिय बृजेश भाई जी आप ne रचना को मान दिया और ब्लाग्प्रसरन के लिए चुन ख़ुशी हुयी अपना स्नेह बनाये रखें
    भ्रमर ५

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  11. प्रिय संजय भाई जी आप ने रचना के भावों की गहराइयों में ध्यान दिया सुन ख़ुशी हुयी आभार
    भ्रमर ५

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दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं
अभिनन्दन आप का ,हिंदी बनाने का उपकरण ऊपर लगा हुआ है -आप की प्रतिक्रियाएं हमें ऊर्जा देती हैं -शुक्ल भ्रमर ५