BHRAMAR KA DARD AUR DARPAN

Sunday, January 27, 2013

उडती चिड़िया काट लिए ‘पर’ कहाँ प्यार है ??


भारत देश हमारा प्यारा, न्यारा इसका संविधान है
शीतल  धवल दुग्ध धार है कहीं उबलता क्या विधान है
तरह तरह की भाषा बोली हैं हम जोली
दुश्मन-मित्र हैं अपने घर ही कहीं है गोली
आस्तीन के सांप बनाये रखना दूरी
तिलक देख है  फंस -फंस जाती भोली-
जनता ! त्राहि -त्राहि कर न्याय मांगती
मुंह में राम बगल में छूरी  कहाँ जानती
ये रस्सी या सांप बड़ा ही विभ्रम यारों
गीता - देवी एक ही पोथी ‘देव’ अलग हैं
लोअर- मिडिल -अपर में देखो बड़ा फरक है
कहाँ है दुर्गा चंडी राम कृष्ण जो रावण खोजें
बड़े बड़े हैं देव बंधे घर रावण मोहित होते सोते
उडती चिड़िया काट लिए ‘पर’ कहाँ प्यार है ??
तुम हो अपने ?? कितना ढीला जर्जर अपना संविधान है
आओ कसें कसौटी रच-रच सुदृढ़ इसे बनायें
नियम नीति अनुशासन डर भय सारे ला के
सचमुच प्यारा न्यारा अपना ‘संविधान’ हम पायें
नमन करें ‘माँ’ -‘भारति’ को हम शस्त्र हो अद्भुत
जन-गण मन पुलकित हो उभरें नित नूतन सद्गुण
अपनी संस्कृति प्रेम सत्य ईमान गगन हो
सागर सा दिल मिल मिल खिल खिल फूल बना हो
चंदन सा फिर जहां सुवासित शीतलता हो
हों भुजंग भी विन विष वाले समता ममता यहाँ वहां हो !!

सुरेन्द्र कुमार शुक्ल 'भ्रमर 5 "
26.1.2013 11 मध्याह्न
कुल्लू यच पी





दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं

Sunday, January 13, 2013

कदाचार मुक्त भारत के लिए आम आदमी पार्टी का प्रतापगढ़ उत्तर प्रदेश में आगाज


कदाचार मुक्त भारत के लिए आम आदमी पार्टी का प्रतापगढ़ उत्तर प्रदेश में आगाज





कदाचार मुक्त भारत के लिए आम आदमी पार्टी का प्रतापगढ़ उत्तर प्रदेश में आगाज हुआ हाथ से हाथ मिले दीप जले मन मिले तो आनंद  और आये हमारे धैर्य की भ्रष्टाचारियों ने बहुत परीक्षाएं ली अब भी बाज नहीं आ रहे आम आदमी का खून पसीना व्यर्थ जा रहा है दो जून की रोटी मिलना भी दूभर है कंस सा इमान को कैद कर दिया गया है जंजीरें टूटेंगी दरवाजा खुलेगा ईमानदार और गरीब त्रस्त  हैं भय से आकुल हैं बच्चों की शिक्षा बेटियों की शादी घर और कपडा सब स्वप्न सा दीखता है और उधर इनके कलेजे पर चढ़े भ्रष्टाचारी कानून को धता बता लूट कर मौज मना रहे हैं नेता बने घूम रहे हैं भ्रष्ट आचरण का पाठ पढ़ा रहे हैं दोस्तों सज्जनों आइये जागें जगाएं होश में आयें हाथ से हाथ मिलाएं ....

जय भारत जय हिन्द 
भ्रमर 5 



दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं