BHRAMAR KA DARD AUR DARPAN

Tuesday, July 24, 2012

बूढा पेड़



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बूढा पेड़
झर-झर झरता
ये पेड़ (महुआ का )
कितना मन-मोहक था
orissa_11_20090326 mahua flowers
रस टपकता था
मिठास ही मिठास
गाँव भर में
‘भीड़’ जुटती
इसके तले
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‘बड़ा’ प्यारा पेड़
‘अपने’ के अलावा
पराये का भी
प्यार पाता था
हरियाता था
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फूल-फल-तेल
त्यौहार
मनाता था
थम चुका है
अब वो सिल-सिला
बचा बस शिकवा -गिला
फूल-फल ना के बराबर
मन कचोटता है ……
आखिर ऐसा क्यों होता है ??
सूखा जा रहा है
पत्ते शाखाएं हरी हैं
‘कुछ’ कुल्हाड़िया थामे
जमा लोग हंसते-हंसाते
वही – ‘अपने’- ‘पराये’
काँपता है......
 ख़ुशी भी.....
ऊर्जा देगा अभी भी
‘बीज’ कुछ जड़ें पकड़ लिए हैं
‘पेड़’ बनेंगे कल
फिर ‘मुझ’ सा
‘दर्द’ समझेंगे !
आँखें बंद कर
धरती माँ को गले लगाये
झर-झर नीर बहाए
चूमने लगा !!

( सभी फोटो गूगल नेट से साभार लिया गया )

सुरेन्द्र कुमार शुक्ल ‘भ्रमर’५
कुल्लू यच पी २५.६.१२
८-८.३३ पूर्वाह्न




दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं

16 comments:

  1. उत्कृष्ट प्रस्तुति बुधवार के चर्चा मंच पर ।।

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  2. बहुत बहुत आभार आप का प्रिय रविकर जी ..बुढ़ापे को सहारा मिलना और जोश देना होगा ...
    भ्रमर ५

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  3. बहुत सुंदर भावाव्यक्ति बधाई

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  4. आदरणीय सुनील जी धन्यवाद ..रचना कुछ दर्द बुढ़ापे का दिखा सकी और ये भाव व्यक्त हो सके सुन ख़ुशी हुयी
    आभार
    भ्रमर ५

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  5. वाह ,,,, बहुत बढ़िया प्रस्तुती, सुंदर रचना,,,,सुरेन्द्र जी,,

    RECENT POST काव्यान्जलि ...: आदर्शवादी नेता,

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  6. बहुत ही मार्मिक एवं संवेदनशील रचना...

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  7. संवेदनशील अभिव्यक्ति....

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  8. बहुत ही मार्मिक अभिव्यक्ति....

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  9. प्रकृति के दर्द को आधार बनाकर बहुत सुन्दर सन्देश दिया है रचना में जड़ों को सूखने नहीं देना चाहिए तभी तो नई कोंपले निकलेंगी

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  10. आदरणीय डॉ सुशील कुमार जी अभिवादन
    रचना आप के मन को छू सकी सुन ख़ुशी हुयी आभार
    भ्रमर ५

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  11. आदरणीय सुनील जी जय श्री राधे
    रचना आप के मन को छू सकी सुन ख़ुशी हुयी आभार
    भ्रमर ५

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  12. आदरणीय धीरेन्द्र जी जय श्री राधे
    रचना आप के मन को छू सकी लिखना सार्थक रहा आभार
    भ्रमर ५

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  13. आदरणीया पल्लवी जी रचना के गहन भाव आप के मन को छू सके और बुढ़ापे का दर्द आप ने समझा मन अभिभूत हुआ ..जय श्री राधे

    भ्रमर ५

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  14. आदरणीया डॉ मोनिका जी रचना संवेदनशील लगी सुन मन अभिभूत हुआ ..जय श्री राधे

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  15. आदरणीया डॉ संध्या तिवारी जी रचना मार्मिक लगी और इस बूढ़े का दर्द उभरा लिखना सार्थक रहा आभार आप का प्रोत्साहन हेतु ..जय श्री राधे

    भ्रमर ५

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  16. आदरणीया राजेश कुमारी जी सत्य वचन आप के ...काश लोग ये समझें की एक दिन उनके ऊपर भी ये बुढ़ापा असर करेगा ... आभार आप का प्रोत्साहन हेतु ..जय श्री राधे

    भ्रमर ५

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दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं
अभिनन्दन आप का ,हिंदी बनाने का उपकरण ऊपर लगा हुआ है -आप की प्रतिक्रियाएं हमें ऊर्जा देती हैं -शुक्ल भ्रमर ५