BHRAMAR KA DARD AUR DARPAN

Monday, April 2, 2012

यहीं खिलेंगे फूल


यहीं खिलेंगे फूल
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क्या सरकार है कैसे मंत्री
काहे का सम्मान ??
भिखमंगे जब गली गली हों
भ्रष्टाचारी आम !
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माँ बहनें जब कैद शाम को
भय से भागी फिरतीं
थाना पुलिस कचहरी सब में -
दिखे दु:शासन
बेचारी रोती हों फिरतीं
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बाल श्रमिक- होटल ढाबों में
मैले –कुचले- भूखे -रोते
अधनंगे भय में शोषित ये
बच्चे प्यारे वर्तन धोते
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इंस्पेक्टर लेबर आफीसर
बैठ वहीं मुर्गा हैं नोचे
खोवा दूध मिलावट सब में
फल सब्जी सब जहर भरा
खून पसीने के पैसे से
क्यों हमने ये तंत्र रचा ??
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जिसकी लाठी भैंस है उसकी
लिए तमंचा गुंडे घूमें
चुन -चुन हमने- बेटे भेजे
जा कुछ रंग दिखाए
नील में –गीदड़- जा रंगा वो
कठपुतली बन नाचे जाए
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गली -गली जो गला फाड़ते
बदलूँ दुनिया कल तक बोला
मिट्ठू मिट्ठू जा अब बोले
कभी बने बस -भोला-गूंगा
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रिश्ता नाता माँ तक भूला
कैसा नामक हराम !
पढ़ा पढाया गुड गोबर कर
देश न आया काम !
मुंह में राम बगल में छूरी
क्या दुनिया – हे राम !
किस पर हम विस्वास करें हे
नींदे हुयी हराम !
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आओ भाई सब मिल करके हम
अपना बोझ उठायें
जो हराम की खाएं उनसे
सब हिसाब ले आयें
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वीर प्रतापी जनता सारी
तुम सब ही हो सच्चे राजा
कर बुलंद आवाजें अपनी
देखो कैसे जग थर्राता
सहो नहीं हे सहो नहीं तुम
एक बनो सब -सच्चे-भ्राता
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जो काँटा बोओ -पालोगे
यही गड़ें- बन शूल
कहें “भ्रमर” -सूरज- हे निकलो
करो भोर हे ! समय अभी अनुकूल
करो सफाई घर घर अपने
काँटा फेंको दूर
चैन से कोमल शैय्या सो लो
यहीं खिलेंगे फूल
Bhramar5
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सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर ५
२.४.१२ कुल्लू यच पी
७-७.३९ पूर्वाह्न




दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं

22 comments:

  1. shukla ji, bahut hee sundar muktak likhe hain jo dikhaate hain aaj ke yug ki sachchaai....mere yahaan aane ke liye shukriyaa aapka!

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  2. एक और अच्छी प्रस्तुति |
    ध्यान दिलाती पोस्ट |

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  3. बहुत सुन्दर सृजन , बधाई.

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  4. बहुत बढ़िया.................

    कड़क एवं सार्थक लेखन हेतु बधाई स्वीकारें....

    सादर.
    अनु

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  5. बहुत बढ़िया.................

    कड़क एवं सार्थक लेखन हेतु बधाई स्वीकारें....

    सादर.
    अनु

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  6. वाह बहुत उम्दा प्रस्तुति!
    अब शायद 3-4 दिन किसी भी ब्लॉग पर आना न हो पाये!
    उत्तराखण्ड सरकार में दायित्व पाने के लिए भाग दौड़ में लगा हूँ!

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  7. शास्त्री जी मुबारक हो आप को तब तो ..लेकिन कौन सा दायित्व ...राज है
    क्या ? जय श्री राधे सूरज जी ...
    बधाई हो
    भ्रमर ५

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  8. प्रिय रविकर जी आभार आप का इस रचना को आप ने चुना मन अभिभूत हुआ जय श्री राधे

    भ्रमर ५

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  9. प्रिय रविकर जी आभार आप का इस रचना को आप ने चुना मन अभिभूत हुआ जय श्री राधे

    भ्रमर ५

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  10. प्रिय दिनेश जी बहुत दिन बाद आप आये बड़ी ख़ुशी हुयी मै भी व्यस्त था अब मिलते रहेंगे ..प्रोत्साहन हेतु आभार
    भ्रमर ५

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  11. अनु जी जय श्री राधे ..कड़क और कोमल दोनों भाव आप ने समझा और सराहा सुन ख़ुशी हुयी
    आभार
    भ्रमर ५

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  12. प्रिय शुक्ल जी रचना में कुछ सार्थकता दिखी सुन ख़ुशी हुयी अपना स्नेह बनाये रखें
    भ्रमर ५

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  13. सुन्दर रचना मनोभावों का प्रतिरूप बनकर बहती हुयी

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  14. सरकार तो बीमार है ...
    तीखी व्यंग की धार है ....

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  15. सुरेन्द्र जी ..बहुत सुन्दर और सार्थक रचना...

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  16. प्रिय उदय वीर जी रचना आप के मन को छू सकी सुन हर्ष हुआ काश ये भावनाएं अपने समाज की विषमता को दूर कर सकें -जय श्री राधे
    भ्रमर ५

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  17. आदरणीया हरकीरत हीर जी -जय श्री राधे ..सच कहा आप ने सरकार तो आँखें नहीं खोल रही बीमारी की जोरदार दवा की जरूरत है इसे ..आभार
    भ्रमर ५

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  18. आदरणीय कमलेश जी जय श्री राधे ---इस ब्लॉग पर रचनाओं को आप ने सराहा प्रोत्साहन दिया मन गद गद हुआ स्वागत है आप का कृपया आते रहें .आभार
    भ्रमर ५

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  19. आदरणीया माहेश्वरी जी जय श्री राधे --रचना सार्थक लगी और आप के मन को प्रभावित कर सकी सुन मन अभिभूत हुआ अपना स्नेह बनाये रखे .आभार
    भ्रमर ५

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  20. Aapki post ek dam sahi hai abhar is post liyè:-)

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  21. सवाई सिंह जी समर्थन हेतु आभार
    भ्रमर ५

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दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं
अभिनन्दन आप का ,हिंदी बनाने का उपकरण ऊपर लगा हुआ है -आप की प्रतिक्रियाएं हमें ऊर्जा देती हैं -शुक्ल भ्रमर ५