BHRAMAR KA DARD AUR DARPAN

Wednesday, January 11, 2012

ये नेता अब बिगड़ गए हैं

ये नेता अब बिगड़ गए हैं
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खटमल तो हैं भले बिचारे
चूस रक्त फिर भक्त बने
ये नेता तो चूसे जाते
घर भर लेते नहीं अघाते
दिन में भी हैं लूट रहे
सात समुन्दर पार हैं उड़ते
दिल बदले फिर फिर कर आते
जिस थाली में आते खाते
उसी में सौ सौ छेद करें
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मच्छर तो हैं भले बिचारे
बोल चूस कर उड़ जाते
बच सकते जो जागे होते
नेता जैसे नहीं ये होते
आँख झंपी तो वार करें
अपने बीच में पड़े खड़े हैं
कोल्हू जैसे पेर रहे
यहीं घूमते गोले-गोले
निशि दिन तेल निकाल रहे
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मगरमच्छ सा भोले बन के
यहाँ वहां है सोये
खून सूंघते आहट पर ये
“सौ” -टन जबड़ा कसते
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माया मोह न भाई बंधू
कुछ भी ना पहचानें
बड़े बेरहम हैं -अंधे -ये
माँ को भी ना जानें
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ये बन्दर हैं छीन झपट लें
शेर से करते वार
देव -दूत ना हंस नहीं हैं
गीदड़ -रंगा-नील सियार
पिजड़े में जब तेरे होंगे
मिट्ठू मिट्ठू बोलें
नाक नकेल अगर तुम ला दो
देश का बोझा ढो दें !!
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ये नेता अब बिगड़ गए हैं
फूल का हार न भाता
कोई जूता -हार -पहनता
कोई थप्पड़ खाता !
——————————
काल कोठरी इनको भाती
एक एक कर जाते
माँ के दूध की लाज भी भूले
तनिको ना शरमाते
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रौंद रौंद फुलवारी को अब
सब पराग ले जाता
अंडे खा ना पेट भरे ये
“सोने चिड़िया ” नजर गडाए
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विद्वानों की मति मारें ये
पार्टी चाबुक लाये
जनता को सौ टुकड़े बाँटें
खून हैं रोज बहाते
रावण कंस बने ये दम्भी
देव से लड़ने जाते !!
——————————-
अथक परिश्रम से बनता है
भाई अपना खून
पानी सा मत इसे बहाना
सपने में ना भूल
कल रथ की डोरी हाथों में
तेरे फिर फिर आये
कोड़ा -चाबुक ले कर ही चढ़ना
गीता रखना याद !
माया -मोह- न रटना- “अपने ”
अर्जुन कृष्ण को लाना चुन के
तभी जीत हे ! जनता तेरी
तेरा होगा राज !!
———————————————
शुक्ल भ्रमर ५
३.३०-४.३१ पूर्वाह्न
२७.११.११ यच पी

दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं

6 comments:

  1. इन नेताओं को लपेट लिया है आपने ...

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  2. अअच्छा व्यंग , सच्चाई के बेहद करीब च्छा व्यंग , सच्चाई के बेहद करीब

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  3. प्रिय दिगंबर जी अभिवादन ..आप से भी गुजारिश है ये समय कुछ इन्हें लपेटने में देते रहिये
    जय श्री राधे
    भ्रमर ५

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  4. प्रिय कुश्वंश जी अभिवादन ..रचना सच्चाई के करीब लगी और व्यंग्य झलका ..काश हमारी जनता भी आप की नजरों से देखे सोचे ...
    आभार
    जय श्री राधे
    भ्रमर ५

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  5. alkargupta1 के द्वारा January 11, 2012
    शुक्ला जी , आपके द्वारा बहुत ही अच्छे-अच्छे विशेषणों से सुसज्जित इन नेताओं
    को अब तो जनता को समझ कर ही आगे कदम बढ़ाना होगा तभी कुछ स्थिति
    में सुधार होने की गुंजाइश रहेगी अन्यथा फिर वही ढाक के तीन पात……
    ये बन्दर हैं छीन झपट लें
    शेर से करते वार
    देव दूत ना हंस नहीं हैं
    गीदड़ रंगानील सियार…..बहुत सुन्दर….

    surendra shukla bhramar5 के द्वारा January 12, 2012
    आदरणीया अलका जी ..सुन्दर प्रतिक्रिया काश हमारी जनता इन के विशेषण वाले सब रूप देख सुन ही कुछ करे इन्हें चुने तो आनंद और आये और फिर हमें रोना न पड़े पांच साल
    जय श्री राधे
    भ्रमर ५
    Santosh Kumar के द्वारा January 11, 2012
    आदरणीय भ्रमर जी ,.सादर नमन
    सच्चाई बयां करती और आवश्यक सन्देश देती सुन्दर रचना ,…हार्दिक आभार

    surendra shukla bhramar5 के द्वारा January 12, 2012
    प्रिय संतोष जी रचना सच्चाई पर आधारित लगी ..सुन ख़ुशी हुयी ..आइये सतर्कता से बढ़ते चलें
    भ्रमर ५
    Sumit के द्वारा January 11, 2012
    बहुत मज़ा आया आपकी कविता पढ़ते हुवे,,,,बहुत अच्छी रचना
    http://sumitnaithani23.jagranjunction.com/2012/01/05/वो-पव्वा-चढ़ा-के-आई/

    surendra shukla bhramar5 के द्वारा January 11, 2012
    प्रिय सुमित जी अभिवादन और अभिनन्दन आप का शायद पहली मुलाकात ..ये नेता के सर्व गुण पढ़ आप को अच्छे लगे …सुन अच्छा लगा आइये सावधानी से इन के साथ निपटते रहें
    जय श्री राधे
    भ्रमर ५
    आर.एन. शाही के द्वारा January 11, 2012
    भ्रमर जी, इनके सारे अलंकरणों से आपने जनता को बखूबी परिचित करा दिया । अब आपके आवाह्न पर जनता अपना सही निर्णय दे पाए, तो कुछ बात बने । आभार !

    surendra shukla bhramar5 के द्वारा January 11, 2012
    आदरणीय शाही जी जनता तो मालिक है सारे हथियार उस के पास हैं फिर भी वह भुलावे में आ सब भूल जाती है अपनी शक्ति हनुमान जी सा उसे याद दिलाना दर्पण दिखाना ही तो साहित्य का काम है आइये यह करते रहें ..
    आभार प्यारी प्रतिक्रिया
    भ्रमर ५
    vinitashukla के द्वारा January 11, 2012
    आपने अपनी इस रचना में मक्कार और स्वार्थी नेताओं के चरित्र की खूब बखिया उधेड़ी. पढकर आनंद आ गया. अच्छी पोस्ट के लिए बधाई भ्रमर जी.

    surendra shukla bhramar5 के द्वारा January 11, 2012
    मक्कार और स्वार्थी नेताओं के चरित्र …झलके इस रचना में विनीता जी लिखना साकार रहा ..काश ये सब पढ़ भी इनकी मरी आत्मा जागती ये दर्पण में झांकते ..
    जय श्री राधे
    भ्रमर ५
    डॉ॰ सूर्या बाली "सूरज" के द्वारा January 11, 2012
    भ्रमर जी नमस्कार !
    खटमल, मच्छर , मगरमच्छ, गीदड़, सियार और बंदर ,
    बता दिया अब भ्रमर आपने नेताओं से है बेहतर !!!
    बढ़िया प्रस्तुति !
    बधाइयाँ…….

    surendra shukla bhramar5 के द्वारा January 11, 2012
    चलिए ये तो माना आप ने …भ्रमर अपने नेताओं से है बेहतर..ह हा ..आप की शुभ कामनाएं रहीं तो बेहतर से बेहतर होते रहेंगे ..
    लच्छेदार प्रतिक्रिया के लिए आभार ..सूरज जी अभिवादन अब आप के एक भाई परम जित बाली जी भी पधारे हैं /….
    भ्रमर ५
    nishamittal के द्वारा January 11, 2012
    आपने नेताओं को पानी पी पी कर कोसा है,या अदरक वाली चाय पी कर.अच्छी प्रस्तुती शुक्ल जी.

    surendra shukla bhramar5 के द्वारा January 11, 2012
    निशा जी जो भी समझिये लेकिन इतने दुखी कर दिए हैं ये कुछ नेता कि अन्ना जैसे व्यक्तित्व भी दस बार सोचते हैं इन के आगे बढ़ने के लिए ..ये हकदार ही हैं ऐसे ..
    जय श्री राधे
    भ्रमर ५
    malkeet singh "jeet" के द्वारा January 11, 2012
    सच मच नेता बिगड़ गए है भ्रमर जी ,भगवान करे याँ तो ये सुधर जाये यां फिर सिधार जाये ! इसी दुआ के साथ बढ़िया रचना के लिए आभार

    surendr shukl bhramar5 के द्वारा January 11, 2012
    मलकीत भाई
    जय श्री राधे
    जब मन खिन्न होता है तो फिर यही दुवाएं जैसे आप ने दीं सब के मुख से निकलती हैं ..काश इनकी आँखें खुलें ये भी इसी देश के हैं ये घर सुधारना है इन के भेजे में घुस जाए ..
    जय श्री राधे
    भ्रमर ५

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  6. dineshaastik के द्वारा January 12, 2012
    आपकी कविता के सम्मान में कुछ पंत्तियाँ सादर समर्पित—
    बहुत सही उपमायें दी हैं,
    नेता हैं इसके ही लायक।
    अपराधी औ” भ्रष्टाचारी,
    बने सांसद और विधायक।
    जिसने पढ़ीं न कभी किताबें,
    सदा नकल से पास हुआ है;
    आज बना बैठा वह मंत्री,
    मेरी कक्षा का नालायक।।

    surendra shukla bhramar5 के द्वारा January 12, 2012
    जिसने पढ़ीं न कभी किताबें,
    सदा नकल से पास हुआ है;
    आज बना बैठा वह मंत्री,
    मेरी कक्षा का नालायक।।
    प्रिय दिनेश जी अति उत्तम ..सोने में सुहागा लगाया आप ने शशिभूषण जी का काम कर दिया …सच यही हालत है और वे अपने को इंद्र और यमराज से कम कहाँ मानते हैं रावण बन स्वर्ग की सीढ़ी लगाने को चल पड़ते हैं ..
    आभार
    भ्रमर ५
    jlsingh के द्वारा January 12, 2012
    सूर्या बाली, राजकमल जी, ऑंखें रहें गड़ाय!
    उसपर शाही जी ने फिर से दिया मंद मुसकाय.
    बचा नहीं अब तो कुछ भी, क्या हम सुधड़ें अब भाय!
    नमस्कारम नमस्कारम नमस्कारम मुख से निकली जाय!

    surendra shukla bhramar5 के द्वारा January 12, 2012
    ह हा ..प्रिय जवाहर जी ..नमस्कारम
    आप ने उन प्यारे दुलारे महाशयों की हाँ में हाँ मिलाई यही क्या कम है ..बस जनता की भलाई में ही हम सब की भलाई है ..जागते रहो ..बोलते रहिये
    भ्रमर ५
    Rajkamal Sharma के द्वारा January 11, 2012
    यह नेता लोग मच्छर + खटमल + बन्दर + मगरमच्छ की खुबियो वाले तो है
    लेकिन इनकी एक खूबी से पूर्व परिचित होने के बावजूद आप इनके चरित्र से धोखा कहा बैठे है …..
    “गिरगिट सा यह रूप धरे है
    पल में तोला पल में माशा
    गंगा के घाट पे गंगा राम बने है तो
    जमना के घाट पे जमना दास
    हे “भ्रमर” इन छलियो से दूर ही रहना तुम
    माया में इनकी फंस कर मत चले जाना इनके पास
    हा हा हा हा हा हा हा
    मुबारकबाद

    surendra shukla bhramar5 के द्वारा January 12, 2012
    जय श्री राधे प्रिय राज भाई आप का राज खत्म हुआ ..हम तो गिरगिट से बच उड़ जायेंगे बाकी को बचाइये हे राज राज नीति में घुस जाइए …गिरगिट ही नहीं और भी बहुत से रूप ये धरे हैं थोडा तो गच्चा हम खाए पहले इस विशेषण से सम्मानित कर चुके हैं एक पुरस्कार बार बार क्यों इन्हें ..
    नव वर्ष १२ दिन पुराना मंगल मय हो ..कुछ धमाका ले आइये ..
    आभार
    भ्रमर ५
    Timsy Mehta ( टिम्सी मेहता ) के द्वारा January 11, 2012
    बड़ी ही तीखी छैनी से गढ़ी हुई के कविता आपके रोष की कहानी तो कहती ही है, पर साथ ही आपके शब्द,एवं विचार-कौशल का भी परिचय देती है.
    बेहतरीन—उम्दा—शानदार कविता..!

    surendra shukla bhramar5 के द्वारा January 12, 2012
    प्रिय टिम्सी जी हमारा रोष आप का उनका सब का रोष बने तभी कुछ काम होगा ये जनता जागे और बुराई भागे ..सुन्दर प्रतिक्रिया कुछ गढ़ने के लिए छेनी तो चलानी ही पड़ती है टिम्सी जी
    आभार
    भ्रमर 5
    sadhanathakur के द्वारा January 11, 2012
    भ्रमर जी ,वह क्या तुलना की है आपने ,बहुत अच्छे ………बहुत अच्छी रचना …….

    surendra shukla bhramar5 के द्वारा January 12, 2012
    आदरणीया साधना जी रचना में कुछ तुलना की गयी ताकि हमारे लोग जाग्रति हों उस विषय पर सोच ही कुछ करें ..रचना आप के मन भायी सुन ख़ुशी हुयी
    जय श्री राधे
    भ्रमर ५
    akraktale के द्वारा January 11, 2012
    भ्रमर जी सारदार नमस्कार,
    आपने चुनाव के पहले सुन्दर सन्देश दिया है जनता को बधाई.

    surendra shukla bhramar5 के द्वारा January 12, 2012
    प्रिय अशोक जी ..अभिवादन ..क्या किया जाए अन्ना जी अस्वस्थ हैं अब तो आप सब के कन्धों पर ही ये जिम्मेदारी है कुछ करते रहिये ..
    आभार
    जय श्री राधे
    भ्रमर ५
    Amita Srivastava के द्वारा January 11, 2012
    शुक्ल जी
    बहुत सटीक विश्लेषण के द्वारा इन नेताओ की महिमा का बखान किया गया .
    मजा आया पढ़कर

    surendra shukla bhramar5 के द्वारा January 12, 2012
    आदरणीया अमिता जी सटीक हालात रचना दिखा सकी और आप को आनंद भी आया सुन ख़ुशी हुयी प्रोत्साहन बनाए रखें
    जय श्री राधे
    भ्रमर ५

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दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं
अभिनन्दन आप का ,हिंदी बनाने का उपकरण ऊपर लगा हुआ है -आप की प्रतिक्रियाएं हमें ऊर्जा देती हैं -शुक्ल भ्रमर ५