BHRAMAR KA DARD AUR DARPAN

Friday, May 13, 2011

नारी अस्तिव-- नारी तेरे बहुत कर्म हैं




प्रिय वियोग में पागल मत बन नारी तेरे बहुत कर्म हैं

(photo with thanks from other sources for a good cause)
जग- जननी ,पालक तो तू ही -जल -फूल खिलाया तूने ही
बन सजनी, श्रष्टा  की तू ही -परिपूर्ण -पकाया तूने ही
बन काली -कलुषित तन जारे -पूजा का अधिकार भी पाया
मंथरा बनी -पूतना बनी -मन मारे -सावित्री सीता नाम लिखाया
पहचानो नारी -पहले खुद को -नारी तेरे कई रूप हैं ----
प्रिय वियोग में पागल मत बन ! नारी तेरे कई रूप है-- -


सुकुमार बनी क्यों -श्रम त्यागा -लक्ष्मण रेखा में रहना चाहा
घूंघट  आड़ खड़ी क्यों - वरमाला -निज वश सब- करना चाहा
संयत ,सुशील , धर धीर चली क्यों -अंकुश टूटा-उच्छृंखल- नर भागा
गंभीर -हीन मन- मार -चली क्यों -अंतर्धारा नर जान पाया
जब चुने रास्ते फूलों के ही -कंटक कीचड तो आयेंगे ही
पहचानो नारी पहले खुद को नारी तेरे कई रूप हैं ----
प्रिय वियोग में पागल मत बन नारी तेरे कई रूप है


जननी,पत्नी, भगिनी, दुहिता, साथी नर माने तुमको ही
शक्ति , भक्ति , ख्याति, शुचिता -नारी- नर पाए तुझसे ही
अपमान जहाँ हो नारी का -सुर ना होंशिव भी शव बन जाता है
पाषाण ह्रदय हो वारि सा -स्पर्श जहाँ हो -पीड़ा भी सुख बन जाता है
जन मानस जब अभिवादन करता नारी -पाले- जा निज-गुण को ..
पहचानो नारी पहले खुद को नारी तेरे कई रूप हैं ----
प्रिय वियोग में पागल मत बन नारी तेरे कई रूप है

नभ , तारे , सूरज ,चाँद व् धरती -प्रेरित करती सब पर बलिहारी
जग आये जीवन -ज्योति अपनी सब अभिनय के अधिकारी
अतिक्रमण करे क्यों अधिकार जताये-प्रिय पीछे मन प्राण गंवाये
प्राण टूटे क्यों -छूटा प्रिय जाये  -मुस्कान लाज ममता जल जाये
विपरीत चले क्यों धारा के तू-भय है अस्तित्व नहीं मिट जाये...
पहचानो नारी पहले खुद को नारी तेरे कई रूप हैं ----
प्रिय वियोग में पागल मत बन नारी तेरे कई रूप है


सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर 
 १३..2011


दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं

6 comments:

  1. विवेक जी धन्यवाद नारी के बिभिन्न रूप और उसके कर्म से युक्त ये रचना आप को सुन्दर लगी सुन हर्ष हुआ
    अपना सुझाव व् विचार भी प्रकट करते रहें
    शुक्ल भ्रमर ५

    ReplyDelete
  2. बहुत सुन्दर प्रस्तुति

    ReplyDelete
  3. बहुत सुन्दर विचार है

    ReplyDelete
  4. चिन्मयी जी हार्दिक धन्यवाद -बहुत सुन्दर आप आई हमारी ब्लॉग पर -आप को अच्छा लगा सुन हर्ष हुआ -आइये हमारे बाल झरोखा सत्यम की दुनिया में
    अपना सुझाव व् समर्थन के साथ
    http://surenrashuklabhramar5satyam.blogspot.com

    ReplyDelete
  5. कोरल जी अभिनंदन आप का यहाँ पर -प्रोत्साहन के लिए धन्यवाद
    कृपया अपना सुझाव व् समर्थन भी दें आइये हमारे अन्य ब्लॉग पर भी
    http://surendrashuklabhramar.blospot.com
    शुक्ल भ्रमर ५

    ReplyDelete

दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं
अभिनन्दन आप का ,हिंदी बनाने का उपकरण ऊपर लगा हुआ है -आप की प्रतिक्रियाएं हमें ऊर्जा देती हैं -शुक्ल भ्रमर ५