BHRAMAR KA DARD AUR DARPAN

Monday, May 9, 2011

ममता की तू मूरति माता


हे माँ तेरे बारे में मै अबोध बालक तेरा क्या लिख दूं तेरी महानता के आगे मेरी कलम विवश हो जाती है जितना भी लिख दूं सब कम है मै जो कुछ भी आज हूँ मेरे बोल मेरे शब्द मेरा जीवन सब तेरा है अपना आशीष सदा बनाये रखना ताकि मै हमेशा ता उम्र तेरा प्यार पाता रहूँ -
हे माँ याद है मुझे जब मैंने अपनी कविता -सच की तावीज बंधा दे -सुनाया था तुझे तो तू  कितनी यादों में खो रो पड़ी थी ..शत शत नमन तुझे माँ -

दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं


हे अनाथ की नाथ -प्राण हे
भाग्य विधाता -जग कल्याणी
हे दधीचि की हड्डी वाली
शत शत नमन तुझे है माई

रात रात भर जागी तू
पर मुझे सुलाए लोरी गाये 
भूखी रह भी तू कितने दिन 
अमृत तेरा दूध पिलाये 
कभी नजर तो कभी टोटका 
काजल ला तू रही बचाए 
जब गिरता मै दौड़ उठा  माँ
आँचल डाले 
गोदी अपने भर -भर लेती 
व्यथा चोट फिर रहे कहाँ जो
स्पर्श प्यार से मनहर लेती


मिटटी का मै कभी घरौंदा
बना -धूल में सन जाता था
आँचल से अपने झाडे तू
पावन-पूत बना देती 

तुझे चिढाने की खातिर मै
पेड़ - कहीं भी जा छुप जाता
बाग-बगीचे आँगन घर सब  
चपला सी तू दौड़ भागकर
खोज निकाले -तेरा जादू चल जाता
तेरी आँखों में जादू है
तेरी बातों में जादू
ममता की तू मूरति माता
राग द्वेष ईहा भय खाता !!

होंठ तुम्हारे शारद माँ हैं
कर कुबेर हैं -लक्ष्मी माँ
तू ब्रह्मा है जीवन-दायिनी
शिव विष्णु तू पालक जननी
रस में तू अमृत रस धारा
वेद पुरान तुम्हारे  मन माँ
हो वसंत तुम सावन मैया
जेठ दुपहरी छाँव तुम्ही !!

परम आत्मा है तू माता 
आत्मा मै -बस- एक बूँद वहीँ  
करे अमर तू इस आत्मा को
जहाँ रहे शीतल घन बरसे
प्यास सभी की चले बुझाये !!!

अंत बूँद टपके भी ये तो
हवन कुण्ड में पड़े -उड़े
या सीपी मुह मोती बन के
विजय श्री की हार गुंथे !!!

सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर५
8.5.2011 जल पी बी 



10 comments:

  1. भावपूर्ण हृदयस्पर्शी पंक्तियाँ..... हर शब्द माँ की महिमा को बयां करता..... जिसके विषय में जितना कहें....सुनें ..पढ़ें कम ही लगता है...

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  2. सुंदर .....माँ से अच्छा और प्यारा कोई नहीं.....

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  3. आदरणीया डॉ मोनिका जी व् चैतन्य जी आज आप दोनों साथ साथ आये कितनी खुशी हुयी
    देखिये न चैतन्य भी माँ की ममता का बखान कर रहा है फिर क्या कहना
    प्रभु इसी तरह से माँ और प्यारे लाडले को उतरोत्तर प्रगति की तरफ बढ़ाते रहें
    सच माँ की ममता का कोई मोल तोल नहीं है जितना लिखिए पढ़िए सब अधूरा है माँ अवर्णनिय है
    धन्यवाद आप सब का और स्वागत भी

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  4. पहले तो मैं आपका तहे दिल से शुक्रियादा करना चाहती हूँ मेरे ब्लॉग पर आने के लिए और टिपण्णी देने के लिए!
    मेरे इस ब्लॉग पर भी आपका स्वागत है -
    http://seawave-babli.blogspot.com
    बहुत अच्छा लगा आपके ब्लॉग पर आकर! बहुत ख़ूबसूरत भाव और अभिव्यक्ति के साथ लाजवाब रचना लिखा है आपने जो काबिले तारीफ़ है! बधाई!

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  5. माँ का कोई मुकाबला नहीं..सुन्दर भावमयी रचना

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  6. बबली जी अभिनंदन है आप का यहाँ पर -माँ की ममता होती ही ऐसी है की जो कुछ भी लिखा जाये खूबसूरत हो जाता है
    आइये आप हमारे इससे जुड़े अन्य ब्लॉग पर -पढ़ें और सुझाव भी दें
    धन्यवाद

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  7. अमृता तन्मय जी धन्यवाद आप का माँ के लिए प्यारी प्रतिक्रिया -सचमुच माँ के लिए जितना लिखा जाये कम है
    प्रोत्साहन के लिए धन्यवाद

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  8. bahut bahut khoobsurat rachna ,sach maa maa hi hoti hai uske jaisa koi nahi .

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  9. मां की महिमा से कौन बराबरी कर सकता है

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  10. बिलकुल सत्य कहा आप ने संदीप पंवार जी -माँ की महिमा प्यारी है न्यारी है उसकी बराबरी तो क्या आस पास फटकना भी संभव नहीं उसकी तो पूजा आजीवन करते रहने में ही भलाई है

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दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं
अभिनन्दन आप का ,हिंदी बनाने का उपकरण ऊपर लगा हुआ है -आप की प्रतिक्रियाएं हमें ऊर्जा देती हैं -शुक्ल भ्रमर ५