BHRAMAR KA DARD AUR DARPAN

Friday, April 8, 2011

छवि ‘माँ’ की धूमिल करते जो -‘पाप’ कर रहे सौ-सौ


छविमाँ’ की धूमिल करते जो -‘पाप’ कर रहे सौ-सौ


  ( फोटो साभार और धन्यवाद के साथ अन्य स्रोत से लिया गया )

 माटी’ के 'लाल' हमारे
'शक्ति' रूपिणी 'नारी'
आओहाथ’ बढाओ अपना
‘चीख’ सुनो हे भाई
‘माँ’ ने तुम्हे पुकारा है अब
‘रखवाले’ सब आओ
छविमाँ’ की धूमिल करते जो
‘पाप’ कर रहे सौ-सौ
कोई नोच -खसोट रहा है
‘महल’ बनाये नौ -सौ
कहीं एकभूखा’ मरता है
‘बिन व्याही’-बेटी’ बैठी
फटी -धरा है
बीज -नहीं है
 मराकृषक’ लेकर्ज’ कहीं है
‘विधवा’ घररोती’ बैठी
भरा हुआ धन देश हमारे
‘सोने की चिड़िया’ हम अब भी
आओ करेंशिकार’ उसी का
जोचिड़िया की घात’ में बैठा
बीच हमारे
‘जाल’ बिछाए
‘दाना डाले’
‘फंसा’ रहा है
‘कैद’ में कर के
‘गला दबा’ के
‘डरा’ रहा है
'उड़ा' जा रहा -उस 'सागर के पार' !!                                                                                         आओ उसको हम दिखला  दें
‘ताकत’ अपनी –‘माँ’ की भक्ति
बड़े हमारेलम्बे हाथ’ !
हमशक्ति’ हैं !
‘काली’ भी हम !
गला काटकर
मुंड-माल ले -पहने चाहें !!
‘भैरव’ भी हम
‘रौद्र रूप’ हम धारण करके
‘तांडव’ भी करना जानें
अगर तीसरा- नेत्र
हमारा-शिव हो -शिव हो
‘शिव’ की खातिर
खुला तो कांपेगी -धरती फिर
काँप उठे सारा संसार !!

अगरप्रलय’ ना अब भी चाहो
तोधारा’ के साथ बढ़ो
चूम गगन -फहरा दोझंडा’
आजतिरंगा’
दूषितमन’ का दहन करो !!!

सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भरमार
..२०११

6 comments:

  1. बहुत सुन्दर अभिब्यक्ति| धन्यवाद|

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  2. पतली द विलेज जी हार्दिक स्वागत है आप का हमारे ब्लॉग पर प्रतिक्रिया के लिए धन्यवाद जहाँ भी हों आप इस आवाहन में शामिल हो माँ का साथ दें
    सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर ५

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  3. This comment has been removed by the author.

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  4. प्रार्थना जी धन्यवाद आप ने मेरी बात मान के - सुन्दर अभिव्यक्ति आप की छवियों के साथ जुडी चार चाँद लगायी - यह पोस्ट हटा ली गयी है लिख के आपने हमें डरा ही दिया था -आइये अपने सुझाव व् समर्थन के साथ हमारे तीनो ब्लॉग पर -साधुवाद

    सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर५

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  5. आपको बहुत बहुत बधाई ..सुंदर कविता..

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  6. अमृता तन्मय जी हार्दिक स्वागत है आप का हमारे ब्लॉग पर प्रोत्साहन के लिए धन्यवाद हम आप के सुझाव व् समर्थन की भी आस लगाये हैं

    सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर५

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दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं
अभिनन्दन आप का ,हिंदी बनाने का उपकरण ऊपर लगा हुआ है -आप की प्रतिक्रियाएं हमें ऊर्जा देती हैं -शुक्ल भ्रमर ५