BHRAMAR KA DARD AUR DARPAN

Tuesday, March 29, 2011

रंग गुलाल न मलने पाए -गोरिया न कोई सांवरा " HOLI -


रंग गुलाल मलने पाए -गोरिया कोई सांवरा " HOLI CONTEST"

 आइये आज फिर हम होली के रंगों में डुबायें, आज की शिकवा -शिकायत -भरी होली से उबार- थोडा मेरे संग गुनगुनाइए फाग -वैसे तो फाग के रंग मस्ती भरे गाने में बड़े चटकीले पर यहाँ मैंने आप सब से डर  उन्हें पेश कर बचा लिया
आइये -आप सब को ,
आज  ब्रज की गलियों में घुमाएँ माँ राधा -कृष्ण की चटपटी होली से सराबोर
कर मन थोडा हल्का कर लें -जय श्री राधे -कृष्णा

होली आई रे - , होली आई मेरे भाई चलो सब मिल के अरे छुप -छुप के
हाए- आज - आज पकड़ेंगे कान्हा की चोरी -यशोदा मैया -झूठ ना.

बात कहें दिल थामे सुनना बन जाना तू गोरी नहीं मुह खोलना
घंघरा चोली रंग -बिरंगी सजे हाथ में चूड़ी -संभलकर बोलना
गुल-गुलाब -यौवन से नशा लिपट चिपक मस्ती आये -राज नहीं तू खोलना
पलक झंपे ना साया बन के राधा के संग रहना -अकेली नहीं छोड़ना

राधा का तन- , छू पाए रंग गुलाल मलने पाए -गोरिया कोई सांवरा
होली आई रे - , होली आई मेरे भाई चलो सब मिल के अरे छुप -छुप के
हाए- आज - आज पकड़ेंगे कान्हा की चोरी -यशोदा मैया -झूठ ना.

अरे खा गया छाछ ये देखो -मटकी मेरी फोड़ी -कहाँ से बसा
शेर -शायरी घर में लिख गया -गैया सब की छोड़ी -अरे लो अब बना
छोरिन -गयी पकड़ने गैया -मुए कहाँ सब घुमो- करे रंग-भंग- ना
वृन्दावन की कुञ्ज गली या जमुना तीर गए-सब -ढूंढो -नहीं उसे छोड़ना

अपना आँगन-, झांक सके ना -दौड़ गए ललचाते
राधा के तन क्या रखा है -पहुँच गया जो सांवरा
होली आई रे - , होली आई मेरे भाई चलो सब मिल के अरे छुप -छुप के
हाए- आज - आज पकड़ेंगे कान्हा की चोरी -यशोदा मैया -झूठ ना.

ब्रज की गलियाँ गाँव है सूना - जमुना तीर गुलाबी दिखता- गया भज-सांवरा
गएँ चरती -होली खेले- रास रचाए कहीं पे फिरता -पानी का वो भांवरा
अपनी गोरी गयी कहाँ पे -भेद अपना खोले -अरे वो मन चला 
लाजवंत नारी बहकाए  -प्यार जताए -अंग अपना खोले-यही था मन्त्र-ना.

अपना साजन-, ढोल बजाये -रंग गुलाल मले भंग खाए 
नशा चढे -क्या क्या कर जाये -हुआ -सब- झूठ ना  
होली आई रे - , होली आई मेरे भाई चलो सब मिल के अरे छुप -छुप के
हाए- आज - आज पकड़ेंगे कान्हा की चोरी -यशोदा मैया -झूठ ना.


देख करे क्या -बांहों भरता -आँख मूँद खींचे घर घुसता -चोरों जैसा देखता
दाग छूटे ऐसा रंगता -अन्दर बाहर-कुछ ना बचता -पागल जैसा नोचता 
राधा भी दीवानी क्यों है -रोंके ना मन-मानी -सहती  -सारा रस लूटता
घंघरा चोली -तार तार कर -रंग रहीं सखियाँ पहुंची -बहुरुपिया तो श्याम सा

राधा का मन-, खिलता जाये -श्याम को चूम खिझाये -
टूट पड़ो अब -दिन गुजरा तो -रात पड़ी है -लगी बड़ी भूख ना
होली आई रे - , होली आई मेरे भाई चलो सब मिल के अरे छुप -छुप के
हाए- आज - आज पकड़ेंगे कान्हा की चोरी -यशोदा मैया -झूठ ना.

सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर५ 
२९..2011 

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दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं
अभिनन्दन आप का ,हिंदी बनाने का उपकरण ऊपर लगा हुआ है -आप की प्रतिक्रियाएं हमें ऊर्जा देती हैं -शुक्ल भ्रमर ५