BHRAMAR KA DARD AUR DARPAN

Thursday, March 31, 2011

“दिया” जला तो अम्मा -बाबू -चैन से सोये


दिया जला तो
अम्मा -बाबू -चैन से सोये
भिनसारे ही उठकर भाई
ख़ुशी-झूम कर –‘नाच’ पड़े हैं
मेरादर्द’ हुआ कम भाई
नहींदवाई’ उनने खायी
लिए मोबाईल
‘सन्देशा’ वे भेज रहे हैं
‘गुल्ली’-डंडा’ याद तू करना
 ‘मुन्ना’ - मेरे ‘लाल’ 
जरा नहीं घबराना उनसे 
कर देना मुह ‘लाल’ 
‘एक’+ -‘एक’- रन जोड़े जाना 
‘चौका’ भी धर देना
यहाँ -वहां ताके तुम रहना 
‘छक्का’ भी जड़ देना
जितने तेरे ‘भाई’ –‘संग’ हैं
मिल के ‘गलेलगाना  
सबको जिम्मेदारी देना
"माँ" की लाज बचाना
‘कांटे’ –‘पत्थर’ दौड़ा था तू
करतामुश्किल’- काम
जिले राज्य से भेजा हमने
करना ना बदनाम
आज तोमखमल’ दौड़ रहा तू
कर सकता हैहर’-‘ काम’
तेरा बल्ला
तेरी माँ के बल्ले सेवो’ बनी टोकरी
संग -संग रक्खे
उसमे रक्खाफूल’

  

सदाहोश’ में खेले जाना
कुछ भी ना होभूल’
रखोभरोसा’- अपने ऊपर
सभी काम-आसान’
‘अश्वमेध’ हम  करते बैठे
‘घोड़े’ भागें तेज
‘विजय’ रथ ना रुके हमारा
तेरीअम्मा’ ने भी माँगा
‘नवरात्रि’ !!! हे दुर्गा माई !!
पूत हमारा -  दुनिया’ छाये
लिएविश्वकप जल्दी आये !!

सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर५
प्रतापगढ़ .प्र.
अब हम जीत के आयेंगे >>>>>
1.4.2011

Tuesday, March 29, 2011

All India Bloggers' Associationऑल इंडिया ब्लॉगर्स एसोसियेशन

All India Bloggers' Associationऑल इंडिया ब्लॉगर्स एसोसियेशन

Lucknow Bloggers' Association लख़नऊ ब्‍लॉगर्स असोसिएशन: उत्तर प्रदेश ब्लॉगर्स एसोसियेशन

Lucknow Bloggers' Association लख़नऊ ब्‍लॉगर्स असोसिएशन: उत्तर प्रदेश ब्लॉगर्स एसोसियेशन

सराबोर कर दो हर मन को
अगली होली यार
सभी रंग घुल जाएँ ऐसे
एक धरा हो
एक पृष्ठ हो
एक हमारे मन की आँखें
धर्म जाति व्यव्हार एक हो
गुल गुलशन सब खिले
मिलेंगे -अब
उस होली त्यौहार
सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर५

27.03.2011

रंग गुलाल न मलने पाए -गोरिया न कोई सांवरा " HOLI -


रंग गुलाल मलने पाए -गोरिया कोई सांवरा " HOLI CONTEST"

 आइये आज फिर हम होली के रंगों में डुबायें, आज की शिकवा -शिकायत -भरी होली से उबार- थोडा मेरे संग गुनगुनाइए फाग -वैसे तो फाग के रंग मस्ती भरे गाने में बड़े चटकीले पर यहाँ मैंने आप सब से डर  उन्हें पेश कर बचा लिया
आइये -आप सब को ,
आज  ब्रज की गलियों में घुमाएँ माँ राधा -कृष्ण की चटपटी होली से सराबोर
कर मन थोडा हल्का कर लें -जय श्री राधे -कृष्णा

होली आई रे - , होली आई मेरे भाई चलो सब मिल के अरे छुप -छुप के
हाए- आज - आज पकड़ेंगे कान्हा की चोरी -यशोदा मैया -झूठ ना.

बात कहें दिल थामे सुनना बन जाना तू गोरी नहीं मुह खोलना
घंघरा चोली रंग -बिरंगी सजे हाथ में चूड़ी -संभलकर बोलना
गुल-गुलाब -यौवन से नशा लिपट चिपक मस्ती आये -राज नहीं तू खोलना
पलक झंपे ना साया बन के राधा के संग रहना -अकेली नहीं छोड़ना

राधा का तन- , छू पाए रंग गुलाल मलने पाए -गोरिया कोई सांवरा
होली आई रे - , होली आई मेरे भाई चलो सब मिल के अरे छुप -छुप के
हाए- आज - आज पकड़ेंगे कान्हा की चोरी -यशोदा मैया -झूठ ना.

अरे खा गया छाछ ये देखो -मटकी मेरी फोड़ी -कहाँ से बसा
शेर -शायरी घर में लिख गया -गैया सब की छोड़ी -अरे लो अब बना
छोरिन -गयी पकड़ने गैया -मुए कहाँ सब घुमो- करे रंग-भंग- ना
वृन्दावन की कुञ्ज गली या जमुना तीर गए-सब -ढूंढो -नहीं उसे छोड़ना

अपना आँगन-, झांक सके ना -दौड़ गए ललचाते
राधा के तन क्या रखा है -पहुँच गया जो सांवरा
होली आई रे - , होली आई मेरे भाई चलो सब मिल के अरे छुप -छुप के
हाए- आज - आज पकड़ेंगे कान्हा की चोरी -यशोदा मैया -झूठ ना.

ब्रज की गलियाँ गाँव है सूना - जमुना तीर गुलाबी दिखता- गया भज-सांवरा
गएँ चरती -होली खेले- रास रचाए कहीं पे फिरता -पानी का वो भांवरा
अपनी गोरी गयी कहाँ पे -भेद अपना खोले -अरे वो मन चला 
लाजवंत नारी बहकाए  -प्यार जताए -अंग अपना खोले-यही था मन्त्र-ना.

अपना साजन-, ढोल बजाये -रंग गुलाल मले भंग खाए 
नशा चढे -क्या क्या कर जाये -हुआ -सब- झूठ ना  
होली आई रे - , होली आई मेरे भाई चलो सब मिल के अरे छुप -छुप के
हाए- आज - आज पकड़ेंगे कान्हा की चोरी -यशोदा मैया -झूठ ना.


देख करे क्या -बांहों भरता -आँख मूँद खींचे घर घुसता -चोरों जैसा देखता
दाग छूटे ऐसा रंगता -अन्दर बाहर-कुछ ना बचता -पागल जैसा नोचता 
राधा भी दीवानी क्यों है -रोंके ना मन-मानी -सहती  -सारा रस लूटता
घंघरा चोली -तार तार कर -रंग रहीं सखियाँ पहुंची -बहुरुपिया तो श्याम सा

राधा का मन-, खिलता जाये -श्याम को चूम खिझाये -
टूट पड़ो अब -दिन गुजरा तो -रात पड़ी है -लगी बड़ी भूख ना
होली आई रे - , होली आई मेरे भाई चलो सब मिल के अरे छुप -छुप के
हाए- आज - आज पकड़ेंगे कान्हा की चोरी -यशोदा मैया -झूठ ना.

सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर५ 
२९..2011