“चंदा को देख मन ” भ्रमर हिंदी पोएम्स (कविता )
(फोटो साभार एक अन्य स्रोत से सुन्दर कार्य में प्रयुक्त)
(फोटो साभार एक अन्य स्रोत से सुन्दर कार्य में प्रयुक्त)
सागर सा शांत मन ,
सदियों से क्लांत मन ,
गहराई नाप नाप ,
पर्वत से लड़ा मन ,
मोती को देख देख ,
डूबे - उतराए ..
उछले - इतराए ,
अब तक का खारा मन
मीठा हो जाये
‘चंदा ’ को देख - देख
लहर …लहर जाये >>>>
कल –कल करे नदी ,
सूरज की किरणों से
स्वर्णिम सजी नदी
चट्टानों से लड़ी ,
झरनों से आ गिरी ,
सोने व् चांदी के
खानों से गुजरी
रुकी नहीं -थमी नहीं
चलती ही जाये
सागर की बाँहों में
गोता लगाये …
प्रियतम ‘आगोश ’ में
खोयी चली जाए ….
‘चंदा ’ को देख कुछ
गीत गुनगुनाये …
लहर …लहर जाये >>>>
अंधकार देख -देख
दुनिया में भटका मन
व्यग्र -उग्र -एकाकी -
अंधड़ से उजड़ा मन
देख एक रौशनी
खिंचा चला जाये
‘दिया ’ जला देख मन
दिवाली मनाये …
‘चंदा ’ को देख मन
हीरे व् चांदी सा
चमक -चमक जाये >>>>
शरमाई सी कली
बंधन -जकड़ी पली-
फूलों को देख - देख
खिलने को ‘पंखुरी ’
मद से भरी - बढ़ी
कांटो को देख संग
सहमी डरी कली
भौंरे को देख
फिर साहस जुटाए
खिली चली जाये …
‘चंदा ’ को देख मन -
-कमल
खिला खिला जाये >>>>>
मेरा किशोर मन
‘पिजरे ’ से मुक्त मन
हरियाली झरनों में
फूलों व् कलियों में
खेतों व् बगियों में
प्यारी सी गलियों में
सागर की लहरों में
नदियों व् झीलों में
ढूंढता फिरे -कोई -
बुलबुल व् हंसिनी
कोयल व् मोरनी
प्यारी सी संगिनी
मोती चुगे ये मन ..
“हंस ’ बना !
“गोरी ” की पायल -
की थिरकन सुने
-तो मन -
गाने को गीत ,
व्यग्र –आकुल -
हुआ ये मन ..
पीपल के पत्तों
सा शोर मचाये ..
‘आम ’ सा बौराए ..
आई “बसंती ”-
ने -मन ललचाये
ये !
तड़फडाये ..
पंख फड़फडाये ..
उड़ा चला जाये >>>>
‘चंदा ’ को देख मन
हहर –हहर जाये .
सुरेंद्रशुक्ला ”भ्रमर ”
७ .३० पूर्वाह्न
१५ .२ .११ जल ( पी. बी. )
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दे ऐसा आशीष मुझे माँ आँखों का तारा बन जाऊं
अभिनन्दन आप का ,हिंदी बनाने का उपकरण ऊपर लगा हुआ है -आप की प्रतिक्रियाएं हमें ऊर्जा देती हैं -शुक्ल भ्रमर ५